हमसे जुड़ें
ADVERTISEMENTREMOVE AD

अमित शाह का दौरा और शिवराज चौहान का बयान, MP में 'मामा' के लिए क्या संकेत?

MP Politics: मध्यप्रदेश में बीजेपी के लिए Shivraj Singh Chouhan का उत्तराधिकारी कौन है?

रोज का डोज

निडर, सच्ची, और असरदार खबरों के लिए

By subscribing you agree to our Privacy Policy

जब 15 दिन के अंदर अमित शाह और मोहन भागवत का मध्यप्रदेश (MP Politics) में दौरा हो जाए तो बहुत सारे अंदाजे लगने लगते हैं. वो भी ऐसे मौके पर जब हाल ही में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव खत्म हुए हों, बीजेपी को 16 नगर निगम अध्यक्ष सीटों में से 7 पर हार झेलनी पड़ी हो तो इन दौरों के इर्द गिर्द कयासों की झड़ी लग गई है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जहां एक तरफ लगातार दौरों से राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी हुई है वहीं शिवराज सिंह चौहान का नाम संसदीय समिति से बाहर किए जाने ने मामले को और दिलचस्प बना दिया है. माना जा रहा है कि नगरीय निकाय चुनावों के परिणामों में 7 नगर निगम अध्यक्ष पदों पर हार के बाद BJP आलाकमान का एक रिएक्शन ये भी है.

हालांकि इसके बाद मुख्यमंत्री चौहान के बयान ने, कि "पार्टी अगर दरी बिछाने का काम देगी तो वो भी मैं राष्ट्रहित में मानकर करूंगा", भी चर्चाओं में घी डालने का ही काम किया है.

बड़ा सवाल है कि मध्यप्रदेश में क्या शिवराज सिंह चौहान के हाथ से छिन जाएगी कमान या ये कहना अभी अतिश्योक्ति है?

मुश्किल में शिवराज?

महज 15 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों के पहले बीजेपी के सामने कई समस्याएं हैं, इनमें से एक यह भी है कि आखिर 'मामा' कब तक ? शिवराज सिंह चौहान के 4 बार के मुख्यमंत्री कार्यकाल में ठोस तौर पर बीजेपी के पास लोगों को दिखाने के लिए कुछ खास नहीं है. बीते कई सालों से रोजगार, स्वास्थ और महंगाई पर कोई बड़ा कदम, जो आम जनता को राहत पहुंचाए, ऐसा देखने को नहीं मिला है.

इसके अलावा शिवराज की अपनी लोकप्रियता में कोई कमी भले ही ना आई हो लेकिन बीजेपी का 2018 विधानसभा चुनावों में 165 सीटों से 107 सीटों पर लुढ़कना भी नजरंदाज करने वाली बात नहीं है.

कांग्रेस से विधायक तोड़ कर बनाई गई सरकार में शिवराज चौथी बार मुख्यमंत्री बने लेकिन बीजेपी के सामने अगले चुनावों में एक चुनौती यह भी रहेगी कि अगला चेहरा कौन होगा?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हालांकि राज्य के एक वरिष्ठ पत्रकार और राजीनीतिक विश्लेषक गिरीश शर्मा का कहना है कि शिवराज को हटाने का कोई ठोस कारण अभी नहीं है.

"आखिर किसी को हटाने का काम तभी किया जाएगा जब कोई कारण हो, या कुछ गलत हुआ हो या हटाने वाले का प्रोमोशन होना हो, तीनों ही चीजें मुख्यमंत्री शिवराज के साथ होते हुए नहीं दिख रही हैं, अब ये अलग बात है कि बीजेपी नेतृत्व आने वाले समय में जैसे गुजरात में पूरा बदलाव किया है वैसा कुछ यहां भी कर दे लेकिन ऐसा करने के कारण अभी की स्थिति में तो नहीं है"
गिरीश शर्मा

शर्मा से इतर एक और वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि अगर शिवराज को हटाने का कोई कारण नहीं है तो उनके बने रहने के भी कारण भी कम ही हैं और जिस तरह से कांग्रेस और AAP समेत अन्य विपक्षी पार्टियों का नगरीय निकाय चुनावों का प्रदर्शन रहा है, उसके बाद बीजेपी के लिए अगले चुनावों में लड़ाई बहुत कठिन होने वाली है.

"देखिए बात ये नहीं है कि शिवराज को हटाया जाएगा या नहीं, बात ये है कि आखिर भविष्य किसके हाथ में जाएगा? चार बार के मुख्यमंत्री चौहान की लोकप्रियता कम नहीं हुई है लेकिन जनता ने 18-19 सालों से एक ही चेहरा देखा है और हाल की परिस्थितियों को देखते हुए हो सकता है कि जनता की उबाई बीजेपी के लिए घातक हो. संसार की सबसे मूलभूत नियम के तहत ही बदलाव तो होना ही है और आने वाले चुनावों में इसपर काम इसलिए भी करना जरूरी है क्योंकि कांग्रेस काफी सशक्त हुई है"

तो प्राकृतिक नियमों का हवाला कह लीजिए, जनता में व्याप्त ऊब कह लीजिए या फिर दूसरी पार्टियों की बढ़ती मजबूती कह लीजिए, आने वाले चुनावों में बीजेपी के लिए राह आसान नहीं है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

अमित शाह की बीजेपी नेताओं से वन टू वन और इधर चर्चाओं का दौर शुरू

पंचायत चुनाव के बाद अमित शाह का दौरा वैसे तो आधिकारिक था लेकिन इस बीच वह पार्टी के कुछ सीनियर नेताओं, जिनमें प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, संगठन मंत्री हितानंद शर्मा और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा शामिल थे, सबसे वन टू वन मिले थे. इसके बाद प्रदेश में चर्चाओं का दौर गर्म हो गया है.

पंचायत चुनावों और नगरीय निकाय चुनावों में बीजेपी के प्रदर्शन, बड़े चेहरों के बजाय संगठन की शक्ति आंकने के परीक्षण में मिलिजुली सफलता पर भी चर्चा हुई है.

ग्वालियर, चंबल जहां बीजेपी और संघ की पकड़ बहुत मजबूत थी वहां पार्टी मुरैना सीट हारी है, वहीं दूसरी ओर विंध्याचल जहां इस समय बीजेपी के 8 विधायक है- वहां रीवा में कांग्रेस से और सिंगरौली में AAP पार्टी से हारने पर मंथन हुआ है.

पार्टी की हालिया चाल देखकर आलाकमान की पकड़ मजबूत होते हुए जरूर दिख रही है. संसदीय बोर्ड से लगभग 9 साल बाद हटाए जाने के बाद जानकार मानते हैं कि शिवराज का कद कम हुआ है और इन सबकी डोर भविष्य को लेकर चिंता से जुड़ी हुई है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

शिवराज का उत्तराधिकारी कौन?

मध्यप्रदेश में भले ही इस वक्त शिवराज सिंह को हटाए जाने की बातें निराधार हों लेकिन बीजेपी द्वारा इनका विकल्प या कह लें उत्तराधिकारी ढूंढने की चर्चा गाहे-बगाहे निकल ही आती है. कमलनाथ सरकार गिरने के बाद एक नाम जो बहुत प्रमुखता से शिवराज का विकल्प बनकर उभरा वह केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का था. हालांकि ये सफर अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाया और शिवराज सिंह चौहान ने ही मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

तोमर के अलावा प्रदेश में हाल के कुछ वर्षों में विकल्पों के तौर पर उभरने वाले नेताओं में भूपेंद्र सिंह जो कि नगरीय विकास मंत्री भी हैं, हाल ही में चौहान के हटाए जाने के बाद बीजेपी की संसदीय समिति में शामिल किए गए सत्यनारायण जाटिया समेत नरोत्तम मिश्रा, सुमेर सिंह सोलंकी आदि के नाम भी सामने आते रहे हैं.

भूपेंद्र सिंह ग्वालियर चंबल पट्टी के नेता हैं और वहीं से अब ज्योतिरादित्य सिंधिया भी बीजेपी में जुड़ गए हैं, प्रदेश में सिंधिया को भी लोग खूब मानते हैं.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

76 वर्षीय सत्यनारायण जाटिया को विकल्प के तौर पर बीजेपी चुनेगी, ऐसा तो फिलहाल प्रतीत नहीं होता है. इनके अलावा सुमेर सिंह सोलंकी का नाम भी चर्चाओं में आता-जाता रहता है. लेकिन सत्ता की बागडोर और मंत्रियों के साथ सामंजस्य बैठा पाने में शिवराज के सामने इनका अनुभव काफी कम है.

अंत में नरोत्तम मिश्रा, जो कि इस समय मध्यप्रदेश के गृहमंत्री हैं और एक समय वैकल्पिक चेहरा बनकर उभरने की कोशिश भी कर रहे थे. लेकिन मिश्रा के मुख्यमंत्री बनाए जाने की संभावनाएं काफी कमजोर हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
और खबरें
×
×