मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019संसद में स्मृति ईरानी ने कहाः दम हो तो हनुमान चालीसा सुना देना

संसद में स्मृति ईरानी ने कहाः दम हो तो हनुमान चालीसा सुना देना

स्मृति ईरानी ने कहाः ‘जिन्होंने कारवां लूटा, वही इंसाफ की दुहाई दे रहे हैं’

क्‍व‍िंट हिंदी
पॉलिटिक्स
Published:
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी
i
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी
(फोटोः LSTV)

advertisement

संसद में गुरुवार को जोरदार बहस के बाद तीन तलाक विधेयक पास हो गया. इस विधेयक पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी संसद में जोरदार चर्चा की. स्मृति ईरानी ने अपने विचार रखते हुए इस्लामिक इतिहास का जिक्र किया और पैगंबर मोहम्मद के वक्त के कुछ वाकयों का हवाला देते हुए तीन तलाक को समाज की बड़ी बुराई करार दिया. इस दौरान अचानक से उनके तेवर सख्त हो गए और उन्होंने एक लोकसभा सदस्य को हनुमान चालीसा सुनाने की चेतावनी दे डाली.

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने तीन तलाक बिल को मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ देने का विषय बताते हुए कहा कि अगर सती प्रथा के खिलाफ कानून बनाया जा सकता है, बाल विवाह और दहेज उत्पीड़न के खिलाफ कानून बनाया जा सकता है तो तीन तलाक के खिलाफ कानून क्यों नहीं बन सकता.

‘जिन्होंने कारवां लूटा, वही इंसाफ की दुहाई दे रहे हैं’

इस विधेयक का विरोध करने वालों के संबंध में स्मृति ने कहा कि जिन लोगों ने कारवां लूटा, आज वे ही लोग इंसाफ की दुहाई दे रहे हैं. लोकसभा में तीन तलाक संबंधित विधेयक पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘यहां 1986 के कानून (शाहबानो प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आया कानून) की दुहाई दी गई. यहां शब्दों के पीछे इंसाफ को छिपाने का प्रयास किया गया. जब महिलाएं प्रताड़ित की जा रही थी और इनके पास मौका था तो वे उनके पक्ष में क्यों खड़े नहीं हुए.’
उन्होंने कहा कि 1986 के कानून में इतनी ताकत होती तो सायरा बानो को सुप्रीम कोर्ट पर दस्तक नहीं देनी होती.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

जब सती प्रथा, बाल विवाह के खिलाफ कानून बना तो तीन तलाक के खिलाफ क्यों नहीं?

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब तक तीन तलाक के 477 मामले आए हैं. 477 तो बड़ी संख्या है. अगर एक भी महिला प्रभावित होती, तो भी उसे न्याय दिलवाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का सवाल है कि मामले को अपराधिक क्यों बनाया गया. इस बारे में वह कहना चाहती हैं कि देश ने वह मंजर भी देखा है जब लोगों ने यह दलील दी थी कि जब दहेज लेने-देने वाले को परेशानी नहीं तब इस बारे में कानून की क्या जरूरत ? इसके बाद भी संसद ने कानून बनाया.

स्मृति ईरानी ने कहा कि देश में सती प्रथा के खिलाफ कानून बनाया गया, बाल विवाह के खिलाफ कानून बनाया गया. ऐसे में तीन तलाक के खिलाफ कानून क्यों नहीं बनना चाहिए? 

उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान की आवाम जानती है कि अगर कोई अनुबंध रद्द करना हो, तो उसे एकतरफा नहीं रद्द नहीं किया जा सकता. अनुबंध रद्द होता है, तब इसके प्रभाव होते हैं. इससे जुड़ी शर्ते होती हैं. उन्होंने कहा कि अगर इस्लामी न्याय शास्त्र का इतिहास देखा जाए तब दूसरे खलीफा के सामने जब तलाक का विषय आया था और तलाक की बात स्वीकार की गई तो गलती करने वाले पक्ष को दंड दिया गया था.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने की पहल की है. यह राजनीतिक मंशा से नहीं बल्कि इंसाफ के मकसद से लाया गया है. इंसाफ में देरी हुई है, सुप्रीम कोर्ट ने इंसाफ किया है और अब संसद की बारी है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT