मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019स्मॉल स्क्रीन से हैवीवेट मिनिस्टर तक की कहानी,सुपरहिट स्मृति ईरानी

स्मॉल स्क्रीन से हैवीवेट मिनिस्टर तक की कहानी,सुपरहिट स्मृति ईरानी

एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय, और फिर अमेठी से जीत... स्मृति ईरानी का सफर

नीरज गुप्ता
पॉलिटिक्स
Updated:
एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय, और फिर अमेठी से जीत... स्मृति ईरानी का सफर
i
एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय, और फिर अमेठी से जीत... स्मृति ईरानी का सफर
(फोटो: फेसबुक)

advertisement

31 मार्च, 2014... दिल्ली में देर रात तक मंथन के बाद बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति ने लोकसभा के उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की. एक नाम ने सबको हैरान कर दिया. वो नाम था स्मृति ईरानी का. हैरानी इसलिए क्योंकि पार्टी ने उनका मुकाबला तय किया था उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट से राहुल गांधी से. कांग्रेस की परंपरागत सीट पर स्मृति ने राहुल को कड़ी टक्कर दी लेकिन एक लाख से ज्यादा वोट से हार गईं.

लेकिन वो हार 2014 चुनाव का अंत नहीं बल्कि 2019 के चुनाव की शुरुआत थी. 5 साल बाद 23 मई, 2019 को ईवीएम से बाहर आए नतीजों ने वो एलान किया जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी.

स्मृति ईरानी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को उनके गढ़ में शिकस्त दे दी. इससे पहले अमेठी से कांग्रेस कब हारी थी ये किसी की स्मृति में नहीं होगा.

बीजेपी की 303 सीटों में से अमेठी उन चंद सीटों में है, जिसे मोदी की जीत के साथ-साथ चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार की जीत भी कहा जा सकता है.

खबरों में रहना स्मृति ईरानी की आदत भी है और फितरत भी. शायद अदाकारी का पुराना तजुर्बा इसकी वजह हो. अमेठी में एक बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या के बाद उनकी अर्थी को कंधा देकर स्मृति ने फिर सुर्खियों में जगह पाई थी.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

हार के बदले इनाम

2014 में चुनाव हार के बावजूद पीएम मोदी ने उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्री के तौर पर अपनी कैबिनेट में शामिल किया. ये एक हाईप्रोफाईल मंत्रालय था और पीएम मोदी के फैसले की आलोचना भी हुई, लेकिन हाईप्रोफाईल ने पूरी ठसक के साथ चार्ज लिया काम में लग गईं.

इस नियुक्ति के साथ वो सरकार के टॉप मंत्रियों में शामिल हो चुकी थीं.

एचआरडी मंत्रालय में उनका कार्यकाल काफी विवादों भरा रहा. उनकी अपनी डिग्री पर हुए विवाद से लेकर उनकी रजामंदी से हुई कुछ नियुक्तियों तक पर लोगों ने सवाल उठाए. सुर्खियों में रहे जेएनयू सेडिशन केस और हैदराबाद यूनिवर्सिटी में रोहित वेमुला की मौत के मामले भी स्मृति के कार्यकाल में हुए.

जुलाई 2016 में स्मृति को एचआरडी मंत्रालय से हटाकर कपड़ा मंत्री बना दिया गया. सरकार में हैसियत के हिसाब से ये एक बड़ा नुकसान था. लोगों ने कहा कि स्मृति ईरानी का बड़बोलापन उन्हें ले डूबा, लेकिन जुलाई 2017 में उन्होंने फिर जबरदस्त वापसी की.

सूचना और प्रसारण (I&B) मंत्री वेंकैया नायडू ने सरकार से इस्तीफा देकर उपराष्ट्रपति का पद थामा और उनकी कुर्सी मिली स्मृति ईरानी को. आई एंड बी मंत्री को सरकार का प्रवक्ता कहा जाता है और सरकार के कामकाज का सारा प्रचार प्रसार ईसी मंत्रालय की देखरेख में होता है.

इस दौरान उन्होंने तेजी से लोकप्रिय हो रहे डिजिटल मीडिया के खिलाफ कुछ कड़े संकेत उठाने के संकेत दिए, लेकिन इससे पहले कि उनकी योजनाएं अमलीजामा पहन पातीं, मई 2018 में उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया. हालांकि कम लोग ही समझ पाए थे कि उन्हें मंत्री पद से हटाकर दरअसल ‘मिशन अमेठी’ पर भेजा गया था. और मिशन जीतकर स्मृति ने आलाकमान के फैसले को सही साबित कर दिया.

टीवी की स्मॉल स्क्रीन से सरकार की हैवीवेट मिनिस्टर तक, स्मृति ईरानी का सफर किसी हिट थ्रिलर से कम नहीं है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 30 May 2019,07:32 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT