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कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने संसद के बुलाए विशेष सत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को लिखे एक पत्र में कहा है कि, "हममें से किसी को भी इसके एजेंडे के बारे में कोई जानकारी नहीं है. हमें केवल इतना बताया गया है कि सभी पांच दिन सरकारी कामकाज के लिए आवंटित किए गए हैं." वहीं सोनिया गांधी के इस पत्र पर सरकार की ओर से भी जवाब दिया गया है.
दरअसल सरकार ने 18-22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र (Special Session of Parliament) बुलाया जिस पर सोनिया गांधी ने अपने विचार रखे हैं.
कांग्रेस संसदीय दल (CPP) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को लिखे अपने पत्र में कहा है कि, "मैं बताना चाहती हूं कि यह विशेष सत्र अन्य राजनीतिक पार्टियों से बिना किसी चर्चा के बुलाया गया है. हममें से किसी को भी इसके एजेंडे की जानकारी नहीं है."
पत्र में लिखा गया है कि, "हम निश्चित रूप से विशेष सत्र में भाग लेना चाहते हैं क्योंकि हमें अपनी चिंता और महत्व के मामलों को उठाने का मौका मिलेगा."
उन्होंने कुछ बिंदु भी गिनाए जिन पर पार्टी चर्चा और बहस की मांग करती है:
वर्तमान आर्थिक स्थिति, बढ़ती कीमतें, बेरोजगारी और MSME
MSP और किसानों से जुड़े अन्य मुद्दे
अडानी मामले में जेपीसी की मांग
मणिपुर में हिंसा के बाद क्या हालात हैं और सरकार स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए क्या कर रही है
हरियाणा सहित अन्य राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा
चीन द्वारा लद्दाख और अरुणाचल में भारत की धरती पर लगातार कब्जा
देश में जातिगत जनगणना की तत्काल जरुरत
केंद्र और राज्यों के संबंधों को रहा नुकसान
प्राकृतिक आपदाओं जैसे अत्यधिक बाढ़ और सूखे प्रभावित राज्य
सत्र के बारे में किसी भी दल से सलाह नहीं लिए जाने के सोनिया गांधी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि, "यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि आप हमारे संसद के काम का राजनीतिकरण कर रही हैं और जब कोई विवाद नहीं है, तो आप इसे अनावश्यक रूप से बढ़ा रही हैं."
मुद्दों की सूची के बारे में बात करते हुए जोशी ने कहा:
"हम हर मुद्दे पर बहस के लिए तैयार हैं. लेकिन जिन मुद्दों का आपने उल्लेख किया है, उन पर संसद के मानसून सत्र के दौरान अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान पहले ही चर्चा हो चुकी है."
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