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आरक्षण के मुद्दे पर एक बार फिर सियासत गरमा गई है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरी में आरक्षण को लेकर कहा है कि राज्य सरकारें नियुक्तियों में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है और प्रमोशन में आरक्षण का दावा करने का कोई मूल अधिकार नहीं है. लोकसभा में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ, लोकसभा में सोमवार को उस वक्त हंगामा शुरू हो गया, जब कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण से संबंधित फैसले पर सरकार से जवाब मांगा है.
संसद पर हुए हंगामे के बाद कई नेताओं ने इसपर प्रतिक्रिया दी है. प्रियंका गांधी ने तो ट्वीट कर 'बीजेपी के आरक्षण खत्म करने का तरीका' तक बता दिया है.
प्रियंका गांधी ने अपने ट्वीट में 3 प्वाइंटर दिए हैं और इसे बीजेपी के आरक्षण खत्म करने का तरीका करार दे दिया है, उन्होंने ट्वीट में लिखा है-
1. आरएसएस वाले लगातार आरक्षण के खिलाफ बयान देते हैं.
2. उत्तराखंड की बीजेपी सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील डालती है कि आरक्षण के मौलिक अधिकार को खत्म किया जाए .
3. उत्तर प्रदेश सरकार भी तुरंत आरक्षण के नियमों से छेड़छाड़ शुरू कर देती है.
बीएसपी अध्यक्ष मायावाती ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर असहमति जताई है. मायावती ने ट्वीट कर कहा,
उन्होंने केन्द्र सरकार से इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाने की मांग करते हुये कहा, ‘‘केन्द्र सरकार से मांग है कि वो इस मामले में तत्काल सकारात्मक कदम उठाये. पहले की कांग्रेसी सरकार की तरह इसे लटकाया ना.
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी, आरक्षण को लगातार कमजोर कर रही है.
इससे पहले संसद में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला लेना कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है, बहुत ही अफसोस की बात है. साथ में ये कहना कि ये राज्य सरकार का अधिकार है कि वो नियुक्ति में आरक्षण दे सकती है या नहीं दे सकती, जबकि इसमें राज्य सरकार को कोई अधिकार नहीं है.
वहीं एनडीए के सहयोगी एलजेपी नेता चिराग पासवान ने कहा कि आरक्षण किसी को मिली हुई खैरात नहीं है, यह संवैधानिक अधिकार है. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यह मौलिक अधिकार नहीं है. हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश को खारिज करते हैं.
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Published: 10 Feb 2020,04:19 PM IST