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राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख तेजस्वी यादव ने 2020 में कहा था, "कुछ लोग इतिहास के पुराने पन्नों पर फंस गए हैं, लेकिन हम बिहार के वर्तमान और उसके भविष्य की परवाह करते हैं" तब उन्होंने उस साल बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 10 लाख नौकरियां देने के अपने चुनाव पूर्व वादे को दोहराया था.
जबकि आरजेडी (RJD) चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, हालांकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए), जिसका नेतृत्व जनता दल (JDU) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने किया, वह सरकार बनाने में कामयाब रहे.
बिहार में एनडीए सरकार गिरने के बाद 10 अगस्त को जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने बतौर बिहार के मुख्य्मंत्री और तेजस्वी यादव ने बतौर बिहार के डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ले ली. 32 वर्षीय तेजस्वी यादव जो पहले बिहार में प्राथमिक विपक्ष का नेतृत्व कर रहे थे. उन्हें राज्य में दूसरी बार डिप्टी सीएम के रूप में शपथ दिलाई गई है.
अनुभवी राजनेता लालू प्रसाद यादव के सबसे छोटे बेटे के रूप में पहचाने जाने से लेकर बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन की शुरुआत तक, सभी 10 वर्षों के अंतराल में, तेजस्वी यादव के बारे में आपको जो कुछ भी जानना चाहिए, वह हम आपको बताते हैं.
लालू प्रसाद यादव के पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने के चार महीने पहले 9 नवंबर 1989 को जन्मे तेजस्वी लालू के नौ बच्चों में सबसे छोटे हैं. अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बावजूद, राजनीति में शामिल होना 2010 तक यादव के रडार पर नहीं था.
10वीं कक्षा में स्कूल छोड़ने के बाद, तेजस्वी ने क्रिकेट के अपने पैशन को फॉलो किया. वह रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट में दिल्ली की अंडर -19 क्रिकेट टीम के लिए खेलने गए. हालांकि, वह कुछ महीने बाद बैक-टू-बैक चोटों का हवाला देते हुए खेल से बाहर हो गए.
2010 में तेजस्वी यादव ने सार्वजनिक रूप से अपना पहला राजनीतिक भाषण दिया, जब उन्होंने बिहार विधानसभा चुनावों के लिए अपने पिता के साथ प्रचार किया. इन चुनावों में, आरजेडी 243 सदस्यीय विधानसभा में सिर्फ 22 सीटें हासिल करने में सफल रही.
पांच साल बाद, इस युवा वंशज ने 26 साल की उम्र में राघोपुर विधानसभा क्षेत्र से अपना पहला चुनाव लड़ा.
राघोपुर आरजेडी का गढ़ था, जिसमें तेजस्वी के पिता और माता, राबड़ी देवी, 2005 तक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे. चुनावों में एक अभूतपूर्व बदलाव ने 2010 में राबड़ी देवी को हराया, जब बीजेपी के सतीश कुमार ने आरजेडी के गढ़ पर कब्जा कर लिया.
आरजेडी -जेडीयू-कांग्रेस महागठबंधन ने चुनावों में स्पष्ट जीत हासिल की, और तेजस्वी को उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव की जगह सीएम नीतीश कुमार के तहत उपमुख्यमंत्री पद के लिए समर्थन मिला. पहली बार विधायक बने, और अब राज्य के सबसे कम उम्र के डिप्टी सीएम ने आरजेडी में एक पीढ़ीगत बदलाव देखा.
हालांकि इस दौरान तेजस्वी यादव ने कम सार्वजनिक उपस्थिति दर्ज की, लेकिन उनकी सोशल मीडिया उपस्थिति के परिणामस्वरूप उन्हें 'सोशल मीडिया वाले नेता' के रूप में जाना जाने लगा.
हालांकि, दो साल की संक्षिप्त अवधि के बाद, गठबंधन टूट गया, नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के लिए समर्थन की घोषणा की और सरकार बनाने का दावा पेश किया.
गठबंधन टूटने से कुछ महीने पहले, तेजस्वी के खिलाफ 'होटल के लिए जमीन' घोटाले के सिलसिले में मामला दर्ज किया गया था. राबड़ी देवी और लालू प्रसाद यादव भी इस मामले में शामिल थे.
तेजस्वी ने बीजेपी पर प्रतिशोध की राजनीति करने का आरोप लगाया, जबकि कई ने उनके इस्तीफे की मांग की. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था.
विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए तेजस्वी ने कहा,
इस बीच नीतीश कुमार ने बीजेपी के समर्थन से बिहार पर शासन करना जारी रखा.
2019 तक, तेजस्वी यादव आरजेडी के वास्तविक नेता के रूप में काम कर रहे थे, और उन्होंने लोकसभा चुनाव में विपक्ष के अभियान को आगे बढ़ाया, जिसमें वे एक भी सीट जीतने में विफल रहे.
हालांकि, एक साल से भी कम समय में राजनीतिक विकास के प्रदर्शन में, तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली पार्टी ने 2020 के राज्य चुनावों में बीजेपी -जेडी (यू) गठबंधन को कड़ी टक्कर दी, और चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी.
गठबंधन 243 में से 110 सीटें जीतने में सफल रहा, जिसमें से आरजेडी ने 75 सीटों पर कब्जा कर लिया.
तेजस्वी यादव को एक शानदार जीत के लिए तैयार किया गया था, जिसमें सहयोगी जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा, और मुकेश सहनी को छोड़ने और वामपंथी दलों को सूझ-बूझ से एक साथ लाने के उनके कदम को मान्यता दी गई थी.
सीएम के रूप में चुने जाने पर अपने पहले ही कार्य में 10 लाख नौकरियों के आदेश को अधिकृत करने की उनकी प्रतिज्ञा ने लोगों के साथ तालमेल बिठाया. उन्होंने अपने आलोचकों और अपने प्रतिद्वंद्वियों की ओर इशारा करते हुए कहा, "राज्य में साढ़े चार लाख रिक्तियां लंबित हैं."
चुनाव से पहले एक फेसबुक पोस्ट में तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री मोदी से 10 सवाल पूछे और कहा,
तेजस्वी ने अपने अभियान के पोस्टरों से भ्रष्टाचार के घोटालों में फंसे अपने माता-पिता की तस्वीरें भी हटा दीं और अपने समर्थन का विस्तार करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया.
COVID-19 ने देश को तबाह कर दिया, उनके छोटे, टू-द-पॉइंट और सरल चुनाव अभियानों ने लालू के काम करने के तरीके से बदल कर काम करने का प्रदर्शन किया.
विपक्षी नेता के रूप में, तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के प्रशासन पर लगातार निंदा करने से नहीं कतराते थे, और उन्होंने बेरोजगारी पर अपना गुस्सा जारी रखा.
तेजस्वी के दूसरी बार डिप्टी सीएम के रूप में शपथ लेने से पहले, आरजेडी में पुराने गार्ड का प्रतिनिधित्व करने वाले जगदानंद सिंह ने कहा था:
"एक नेता का बेटा हो सकता है. लेकिन स्वीकार्यता लोगों से आती है. तेजस्वी को लोगों ने एक बड़े नेता के रूप में स्वीकार किया है."
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Published: 11 Aug 2022,06:19 PM IST