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नीतीश-तेजस्वी की 6 चुनौतियां, इनपर निर्भर करेगा सरकार कैसी चलेगी,कितने दिन चलेगी

Nitish Kumar और तेजस्वी यादव गिले-शिवे भुलाकर गले तो मिल गए हैं, लेकिन आगे की राह इतनी आसान नहीं है

स्मिता चंद
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>Nitish Kumar Tejashwi yadav सरकार की 6 चुनौतियां</p></div>
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Nitish Kumar Tejashwi yadav सरकार की 6 चुनौतियां

(फोटो:क्विंट हिंदी)

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नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने बीजेपी से याराना तोड़कर RJD संग दोस्ती कर नई सरकार बना ली है. नीतीश कुमार आठवीं बार बिहार के सीएम बन गए हैं और तेजस्वी यादव को एक बार फिर डिप्टी सीएम की कुर्सी मिल गई है. चाचा-भतीजे गिले-शिवे भुलाकर गले तो मिल गए हैं, लेकिन आगे की राह इतनी आसान नहीं है, इनके सामने कई चुनौतियां हैं, जिससे इनको निपटना होगा.

1. भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे लालू-परिवार को कैसे करेंगे बेदाग

नीतीश कुमार के लिए सबसे बड़ी मुश्किल है लालू परिवार पर लगे तमाम भ्रष्टाचार के आरोप. नीतीश कुमार ने 2015 में आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और सरकार बनाई, लेकिन किसी तरह से ये सरकार दो साल ही पूरा कर पाई और 26 जुलाई 2017 को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और 27 जुलाई 2017 को बीजेपी के साथ मिलकर फिर सरकार बनाई.

उस वक्त महागठबंधन से गठबंधन तोड़ने के बाद नीतीश ने कहा था-

जबसे आरजेडी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, हम निवेदन कर रहे स्पष्टीकरण तो दे दीजिए. हमने तेजस्वी यादव से भी मुलाकात की थी, उनसे भी कहा था कि अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई तो दीजिए, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया. स्थिति इतनी बिगड़ गई कि काम करना मुश्किल हो गया. मेरी अंतरआत्मा इस बात की गवाही नहीं देती इसलिए अलग होने का फैसला किया.

नीतीश कुमार के इस फैसले की खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने भी तारीफ की थी और ट्विटर पर उनको बधाई देते हुए लिखा था-

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जुड़ने के लिए नीतीश कुमार जी को बहुत-बहुत बधाई. सवा सौ करोड़ नागरिक ईमानदारी का स्वागत और समर्थन कर रहे हैं

अब नीतीश कुमार की सबसे बड़े मुश्किल है कि भ्रष्टाचार का ये 'दाग' वो कैसे छुड़ाएंगे. जबसे नीतीश ने उनका हाथ झटका है, बीजेपी भी इसी मुद्दे को लेकर लगातार घेर रही है. बीजेपी के तमाम बड़े नेता धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और यहीं कह रहे हैं कि करप्शन के नाम पर जिस पार्टी से किया था किनारा, अब उसके साथ कैसे काम करेंगे सरकार. पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद कह रहे हैं कि नीतीश ने बिहार के साथ किया विश्वासघात.

कैसे पूरा होगा रोजगार का वादा?

बिहार में सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी की है, विपक्ष में रहते हुए तेजस्वी हमेशा दावा करते रहे कि युवाओं को एनडीए सरकार रोजगार नहीं दे रही, देश में सबसे ज्यादा बेरोजगार बिहार में हैं. इसलिए तेजस्वी ने 2020 विधानसभा चुनाव में कहा था कि सरकार बनने पर कैबिनेट की पहली बैठक में बेरोजगारों को नौकरी देंगे. तेजस्वी ने 10 लाख नौकरी देने का वादा किया था.

वहीं नीतीश और बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्र में 20 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा किया गया था. अब जब तेजस्वी खुद सत्ता में आ गए हैं तो रोजगार के मोर्चे पर क्या करेंगे ये बड़ी चुनौती होगी.

तेजस्वी यादव कहते रहे हैं कि उनकी सरकार बनी तो बिहार के युवाओं के लिए 85 फीसदी आरक्षण देंगे. यही नहीं, तेजस्वी का वादा, संविदा प्रथा को खत्म कर कर्मचारियों को स्थाई करने का भी है, जाहिर है सब वो खुद सत्ता में हैं तो उनके ऊपर ये वादा पूरा करने का बड़ा बोझ होगा.

हालांकि तेजस्वी ने डिप्टी सीएम पद की शपथ लेते ही कहा है कि एक महीने के अंदर बंपर नौकरियां देंगे. लेकिन नौकरियां पैदा करने के लिए कोई जादू की छड़ी नहीं है. इसके लिए बहुत काम करना होगा.
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3. नॉन यादव ओबीसी वोटर को कैसे साधेंगे नीतीश?

नीतीश कुमार के ऊपर एक बड़ा दबाव होगा नॉन यादव ओबीसी वोटर्स को खुश रखने का. जब भी आरजेडी की सरकार होती है, तो इस वर्ग की यही शिकायत होती है कि उनकी अनदेखी की जाती है, ऐसे में एक पूरे वर्ग को साधना एक बड़ी चुनौती होगी, जो 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी बड़ा चैलेंज होगा.

4. कैसे लगेगी नई इंडस्ट्री ?

जब नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ सरकार बनाई तो केंद्र सरकार की तरफ से बिहार में कई नई इंडस्ट्रियां लगाने का वादा किया गया. यहां तक कि बीजेपी ने पार्टी के सीनियर लीडर और पूर्व एविएशन मिनिस्टर शाहनवाज हुसैन को विधान परिषद के रास्ते बिहार भेजा और उद्योग मंत्री बनाया. शहनवाज हुसैन ने भी अपने कार्यकाल में बिहार में देश के पहले ग्रेन बेस्ड इथेनॉल प्लांट (Grain Based Ethanol Plant) की शुरूआत की. ऐसे में तेजस्वी के लिए बिहार में उद्योग लगाने का बड़ा दबाव होगा.

तेजस्वी यादव खुद बिहार में उद्योग को लेकर नीतीश कुमार पर निशाना साधते रहे हैं. शाहनवाज हुसैन के उद्योग मंत्री बनने पर तेजस्वी यादव ने कहा था कि हमें शाहनवाज हुसैन से बड़ी उम्मीद थी, लेकिन वो भी कुछ नहीं कर पाए.

अब जब नीतीश एनडीए से अलग हो गए हैं और केंद्र में एनडीए की सरकार है, तो नए उद्योग लगाने को लेकर जो वादे किए गए थे, उसमें क्या अब केंद्र सरकार बिहार सरकार की मदद जारी रखेगी या नहीं, ये सवाल होगा?

5. जांच एजेंसियों से कैसे निपटेंगे?

विपक्ष हमेशा यही आरोप लगाता है कि जिस राज्य में बीजेपी की सरकार नहीं है, उस राज्य में केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है. महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में तमाम बड़े नेता जांच एंजेसियों के रडार पर हैं. लालू परिवार खुद केंद्र सरकार पर उनको परेशान करने का आरोप लगाता है, ऐसे में अगर लालू परिवार के खिलाफ जांच तेज होती है, उससे डील करना भी महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती होगी.

6. JDU-RJD के अपने-अपने मेनिफेस्टो, कैसे बैठेगा तालमेल?

साल 2020 विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा और जनता के बीच अपना मेनिफेस्टो रखा था, नौकरी के अलावा किसान आयोग, व्यावसायिक आयोग, युवा आयोग और खेल आयोग का गठन करने की बात कही थी. साथ ही किसानों की कर्ज माफी, गांवों को स्मार्ट बनाना और सीसीटीवी लगाना, बुजुर्गों और गरीबों का पेंशन 400 रुपये प्रति महीने से बढ़ाकर 1000 रुपए करना, हर जिले में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का गठन करने जैसी बात शामिल थी. इसी तरह तेजस्वी ने रोजगार से लेकर तमाम वादे किए. लेकिन चुनाव के समय दो विपक्षी पार्टियां अब साथ में सरकार में हैं. दोनों के घोषणापत्र को लागू करना एक अलग चुनौती होगी.

इन चुनौतियों का चाचा-भतीजा कैसे सामना करते हैं इसपर निर्भर करेगा कि इनकी सरकार कैसी चलेगी और कितने दिन चलेगी?

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