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तेलंगाना विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (BRS) के सुप्रीमो के चंद्रशेखर राव (KCR) आज अपना शक्ति प्रदर्शन करने जा रहे हैं. तेलंगाना के खम्मम जिले में केसीआर एक सार्वजनिक रैली कर रहे हैं, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) , पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सीपीआई के डी राजा शामिल होंगे.
इस रैली में KCR 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी योजना सामने रखेंगे. इस जनसभा को राजनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है, क्योंकि यह तेलंगाना राष्ट्र समिति के अपना नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) करने के बाद उसकी पहली जनसभा है.
तेलंगाना विधानसभा चुनाव से पहले केसीआर ने बीआरएस के लिए नारा गढ़ा है- अबकी बार किसान सरकार. चुनाव आयोग द्वारा दिसंबर, 2022 में टीआरएस का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) रखने की मंजूरी देने के बाद केसीआर ने पार्टी का गुलाबी रंग का झंडा फहराते हुए कहा-
टीआरएस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद बी विनोद कुमार ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा कि धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और स्वतंत्रता सहित संविधान की भावना वर्तमान बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए शासन के तहत कमजोर हो रही है, उन्होंने कहा कि बीआरएस देश में "वैकल्पिक राजनीति" लाने की कोशिश कर रहा है.
केसीआर ने पहली बीआरएस बैठक के लिए खम्मम को क्यों चुना, इसे लेकर भी सवाल उठ रहा था. दरअसल, राजनीतिक जानकार मानते हैं कि खम्मम जिला आंध्र प्रदेश के साथ सीमा साझा करता है. राज्य से बड़ी संख्या में लोग खम्मम में बस गए हैं. ऐसे में सीएम केसीआर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों के लोगों को लुभाने की कोशिश कर सकते हैं, इस तरह वो बीआरएस को एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं.
अविभाजित खम्मम जिला - जिसे नया भद्राद्री कोठागुडेम जिला बनाने के लिए विभाजित किया गया था - में 10 विधानसभा क्षेत्र हैं.
यहां से 2014 में श्रीनिवास रेड्डी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के टिकट पर खम्मम से बड़े पैमाने पर टीआरएस समर्थक लहर को तोड़ते हुए जीते थे, लेकिन बाद में बीआरएस में शामिल हो गए. हालांकि, केसीआर के नेतृत्व वाली पार्टी ने 2019 में नामा नागेश्वर राव को तरजीह देते हुए उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया था. हालांकि नाराज श्रीनिवास रेड्डी, जिनका खम्मम में अच्छा जनाधार है, पार्टी में बने रहे, लेकिन अलग-थलग रहे. खबर है कि रेड्डी कम से कम दो पूर्व विधायकों और स्थानीय बीआरएस नेताओं को बीजेपी में ले जाएंगे. बता दें कि पूर्व में खम्मम जिले के 10 विधानसभा क्षेत्रों ने हमेशा अलग तरह से मतदान किया है, खासकर चुनावी लहर के खिलाफ वोट किया है.
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