advertisement
उत्तर प्रदेश चुनाव में तीसरे चरण (UP Third Phase Voting) में 16 जिलों की 59 सीटों पर 58% मतदान हुआ. साल 2012 में 60% और 2017 में 61.81% मतदान हुआ था. अबकी बार ललितपुर में सबसे ज्यादा 67% वोट पड़े. अखिलेश (Akhilesh Yadav) की करहल सीट (Karhal Seat) पर औसत से करीब 4% ज्यादा वोट पड़े. तीसरे चरण के मतदान से निकले 7 सबसे दिलचस्प सवाल और फैक्ट्स बताते हैं.
अखिलेश यादव चाचा शिवपाल पर भारी पड़ गए
जहां बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया, वहां कम वोट
एसपी का MY समीकरण हिट हुआ या फ्लॉप?
यादवलैंड में अखिलेश को कितना फायदा हुआ?
SC-ST बाहुल्य वाले इलाकों में कौन भारी?
कैबिनेट-IPS अधिकारी रहे उम्मीदवारों का हाल
विकास दुबे एनकाउंटर का कितना असर दिखा?
उत्तर प्रदेश के थर्ड फेज में सबसे ज्यादा चर्चा यादवलैंड की रही. 16 में से 8 जिले ऐसे थे, जहां यादव वोटरों की संख्या ज्यादा है. इनमें कन्नौज, कासगंज, फर्रूखाबाद, फिरोजाबाद, एटा, औरैया, इटावा और मैनपुरी है. साल 2017 में यादवलैंड में औसत 62% वोट पड़े थे. अबकी बार औसत 60% वोट पड़े हैं. ये आंकड़ा 5 बजे तक के हैं. जहां औसत 57% पड़े, वहीं यादवलैंड पर 3% ज्यादा वोटिंग हुई
तीसरे चरण में 16 जिले थे, जिसमें से 9 ऐसे जिले हैं जहां अनुसूचित जाति की आबादी 20% (औसत 25%)से ज्यादा है. ऐसी सीटों पर शाम 5 बजे तक औसत से ज्यादा वोट पड़े. सभी 59 सीटों पर 57% वोट पड़े वहीं, अनुसूचित बाहुल्य वाली सीटों पर 59% वोट पड़े हैं.
तीसरे चरण में हुए चुनावों को तीन भाग में बांट सकते हैं. पहला पश्चिमी यूपी के 5 जिलों फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, कासगंज, हाथरस की 19 सीट है. दूसरा अवध के 6 जिलों कानपुर, कानपुर देहात, औरैया, फर्रुखाबाद, कन्नौज और इटावा की 27 सीट है. तीसरा बुंदेलखंड के 5 जिलों झांसी, जालौन, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा में 13 सीट है.
पश्चिमी यूपी की बात करें तो साल 2017 में 19 में से बीजेपी को 14, एसपी को 4 और बीएसपी को 1 सीट मिली थी. 63% वोट पड़े थे. अबकी बार शाम 5 बजे तक 61% वोट पड़े हैं.
अवध की बात करें तो साल 2017 में 27 सीटों में से बीजेपी को 22, एसपी को 4, बीएसपी को 0 और कांग्रेस को 1 सीट मिली थी. तब 59% वोट पड़े थे. अबकी बार 56% वोट ही पड़े हैं.
बुंदेलखंड में 13 सीट है. साल 2017 में सभी सीटों पर बीजेपी का कब्जा हो गया था. तब 64% वोट पड़े थे. अबकी बार 5 बजे तक 59% वोट ही पड़ा.
तीसरे चरण में 16 जिलों में मतदान था, लेकिन अबकी बार सेकंड फेज की तरह मुस्लिम बाहुलता वाली सीटें नहीं थीं. कन्नौज में सबसे ज्यादा 16% मुस्लिम आबादी है. बाकी जिलों में इससे कम ही है, लेकिन एसपी का MY यानी मुस्लिम-यादव समीकरण को देखें तो ऐसी जगहों पर खूब वोट पड़े हैं.
उत्तर प्रदेश के तीसरे चरण में लोग शर्त लगा रहे थे कि अखिलेश या चाचा शिवपाल में से किसे ज्यादा वोट मिलेंगे? इसका जवाब तो 10 मार्च को काउंटिंग के दिन ही मिलेगा, लेकिन वोटों के प्रतिशत के जरिए एक समझ बना सकते हैं. अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल सीट से उम्मीदवार थे. उनके सामने केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल थे. इस सीट पर 63% वोट पड़े. साल 2017 में 58% और 2012 में 61% वोट पड़े थे. यानी अबकी बार करहल के लोगों ने बंपर वोटिंग की.
कानपुर जिले के बिल्हौर विधानसभा क्षेत्र में बिकरू आता है. यहां 5 बजे तक 52% वोट पड़ा. वहीं कल्याणपुर सीट से खुशी दुबे की बहन कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. इस सीट पर 50% वोट पड़ा. दोनों जगहों पर औस 57% से कम वोट ही पड़े. इससे एक इशारा ये भी मिलता है कि अगर लोगों में एनकाउंटर का गुस्सा होता तो वे सत्ता बदलने के लिए बढ़-चढ़कर मतदान करते, लेकिन ऐसा होता नहीं दिखा.
सीट | उम्मीदवार | 2012 | 2017 | 2022 | निष्कर्ष |
---|---|---|---|---|---|
करहल | अखिलेश यादव | 61 | 58 | 63 | 10 साल में सबसे ज्यादा वोट |
जसवंत नगर | शिवपाल यादव | 64 | 63 | 60 | 10 साल में सबसे कम वोट |
महाराजपुर | सतीश महाना(कैबिनेट मंत्री ) | 56 | 57 | 52 | 10 साल में सबसे कम वोट |
कन्नौज सदर | असीम अरुण(पूर्व IPS) | 57 | 63 | 61 | पिछली बार की तुलना में कम वोट |
फर्रूखाबाद | लुईस खुर्शीद (सलमान खुर्शीद की पत्नी) | 55 | 58 | 55 | पिछली बार की तुलना में कम वोट |
सादाबाद | रामवीर उपाध्याय (ब्राह्मण चेहरा) | 60 | 65 | 61 | पिछली बार की तुलना में कम वोट |
कल्याणपुर | गायत्री तिवारी (खुशी दुबे की बहन) | 49 | 53 | 50 | पिछली बार की तुलना में कम वोट |
* नंबर % में हैं |
उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण का मतदान खत्म हो गया है. यादवलैंड के अलावा MY समीकरण भी हिट होता दिखा. जहां मुस्लिम और यादव बाहुलता वाले इलाके हैं, वहां पर अच्छी वोटिंग हुई. ये वोटर एसपी के माने जाते हैं. पहले चरण में आरएलडी और जयंत चौधरी की वजह से जाट-मुस्लिम समीकरण, दूसरे चरण में मुस्लिम बाहुलता वाली सीटें और अब MY समीकरण से एसपी हैट्रिक मारती दिख रही है. वहीं बीजेपी के लिए चिंता की बात इसलिए भी है कि दोनों चरणों के जैसे ही अबकी बार भी शहरी वोटर बहुत कम ही बाहर निकला. बुंदेलखंड जैसी जगहों पर पिछली बार की तुलना में वोट कम पड़े. हालांकि चुनाव प्रचार में बीजेपीअपने 2017 के प्रदर्शन पर भरोसा करती दिखी.
पूरे दिन चर्चा में अखिलेश और उनका परिवार रहा. वहीं पीएम मोदी ने वोटों के बंटने से बचाने की अपील की. तीन चरणों में एसपी ने अपने पक्ष में मतदान का नैरेटिव सेट करने में सफल होती दिख रही है, लेकिन अगला चुनाव अवध में है. जहां बीजेपी भारी रह सकती है. ऐसे में आगे के चुनाव वोटों के समीकरण और सेट नैरेटिव को तोड़ने में सफल हो सकते हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 20 Feb 2022,08:09 PM IST