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उत्तर प्रदेश में विधानसभा (UP Assembly Election Result) चुनाव जीतकर भारतीय जनता पार्टी योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व में अपने दूसरे कार्यकाल के लिए तैयार है.
हालांकि नए कैबिनेट में किन चेहरों को शामिल किया जाएगा और किनको नहीं इसे लेकर पार्टी लखनऊ से दिल्ली तक चर्चाओं में जुटी है. नए चेहरों को शामिल करने और पुराने लोगों को बनाए रखने की अटकलें तेज हैं.
इस लिस्ट में सबसे ऊपर पूर्व उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य हैं, जो पल्लवी पटेल से अपनी सिराथू सीट हार गए थे. अटकलों की मानें तो मौर्य की किस्मत अब हार के बाद अधर में लटकी हुई है.
मौर्य सीएम योगी आदित्यनाथ और अन्य लोगों के साथ जीत का जश्न मनाते देखे गये. हार के बावजूद पार्टी के एक प्रमुख ओबीसी चेहरे के रूप में मौर्य की स्थिति कैबिनेट के लिए उनकी दावेदारी का एकमात्र कारण हो सकता है.
एक और संभावित कैबिनेट चेहरा पूर्व आईपीएस अधिकारी असीम अरुण हो सकते हैं, जिन्होंने कन्नौज सदर सीट से चुनाव लड़ा था. इस सीट को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है . यहां से उनहोंने तीन बार के विधायक अरुण दोहरे को आराम से हराया है.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि यह जीत न केवल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वे एक दलित हैं और पार्टी एसपी के एक गढ़ में प्रवेश करने में कामयाब रही, बल्कि इससे पहले भी तथ्य है कि पूर्व आईपीएस विधायक और मंत्री बन चुके हैं. साथ ही कानून व्यवस्था और साफ छवि वाले लोगों पर पार्टी ध्यान केंद्रित करना चाहता है. ये सब देखते हुए उन्हें कैबिनेट में प्रमुख स्थान दिया जा सकता है.
यूपी को बीजेपी की झोली में सफलतापूर्वक पहुंचाने के बाद, स्वतंत्र देव सिंह को कैबिनेट बर्थ के लिए योग्य दावेदार बताया जा रहा है. जाति से कुर्मी होने के चलते वे जाति संतुलन में सहायक साबित हो सकते हैं. यदि केशव प्रसाद मौर्य को कैबिनेट में जगह नहीं मिल पाती है तो कास्ट बैलेंसिंग में भी स्वतंत्र देव सिंह सहायक साबित हो सकते हैं.
उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य अगले योगी कैबिनेट में प्रमुख पोर्टफोलियो धारकों में से एक हो सकती हैं. पार्टी में एक प्रमुख दलित महिला चेहरे के रूप में पेश किए जाने के बाद, गवर्नर के पद से सक्रिय राजनीति में लौटने और पार्टी उपाध्यक्ष बनाए जाने तक की उपलब्धि वो हासिल कर चुकी हैं. उनकी पदोन्नति कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी.
उन्होंने आगरा ग्रामीण सीट से सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा और महिला मतदाताओं में उन सीटों पर जीत हासिल की, जो बीजेपी ने एक सहज अंतर से जीती थी.
पूर्व कांग्रेस नेता अदिति सिंह एक और संभावित उम्मीदवार हैं जो नए राज्य मंत्रिमंडल में जगह पा सकती हैं. एक प्रमुख महिला चेहरा होने के अलावा, इस क्षेत्र में उनका दबदबा है, जिसे कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है. 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की बड़ी हार और स्मृति ईरानी की अमेठी से जीत के बाद अब अदिति सिंह यूपी में बीजेपी के लिए एक कद्दावर महिला चेहरा हो सकती हैं. साथ ही कांग्रेस के गढ़ में बीजेपी सेंध लगाने की कोशिश के रूप में अदिति सिंह का अच्छा इस्तेमाल कर सकती है.
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Published: 15 Mar 2022,08:14 AM IST