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उत्तर प्रदेश के 'लीक प्रूफ सिस्टम’ में पेपर लीक की लंबी कहानी

जानिए पिछले कुछ सालो में Uttar Pradesh में हुए Paper Leak की कहानी.

शादाब मोइज़ी
पॉलिटिक्स
Updated:
<div class="paragraphs"><p>Janab Aise Kaise: उत्तर प्रदेश के 'लीक प्रूफ सिस्टम’ में पेपर लीक की लंबी कहानी</p></div>
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Janab Aise Kaise: उत्तर प्रदेश के 'लीक प्रूफ सिस्टम’ में पेपर लीक की लंबी कहानी

फोटो: क्विंट

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उत्तर प्रदेश में एक बार फिर एग्जाम का पेपर लीक हुआ है. जी हां, एक बार फिर. इस बार 12वीं का पेपर लीक हुआ है. हिंदी फिल्मों की तरह यहां भी पुलिस देर से पहुंची है और फिर एक्शन शुरू हुआ है. एग्जाम से पहले जैसे कुंजी, गेस पेपर और मॉडल पेपर शेयर होते हैं उसी तरह क्वेश्चन पेपर भी मार्केट में मिलेगा, लीक होगा तो हम लीक प्रूफ का दावा करने वाले ‘सिस्टम’ से पूछेंगे जरूर जनाब ऐसे कैसे?

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद अभी मंत्रालय का बंटवारा हो रहा था, मंत्री अपनी कुर्सी संभाल रहे थे, विधायक शपथ ले रहे थे कि इस बीच खबर आई कि यूपी बोर्ड के 12वीं क्लास के अंग्रेजी का पेपर लीक हो गया. 2 बजे से एग्जाम होना था और 1 बजे खबर आई कि पेपर लीक हो चुका है. जिसके बाद बलिया, आगरा, वाराणसी, मैनपुरी, मथुरा, अलीगढ़, गाजियाबाद, और गोरखपुर जैसे 24 जिलों में अंग्रेजी की परीक्षा रद्द कर दी गई.

फिर पकड़म-पकड़ाई शुरू. सरकार ने दोषियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) सहित कड़ी कार्रवाई के आदेश दे दिए. जांच एसटीएफ को सौंपने की बात हो गई. पुलिस ने कई शिक्षक समेत कुछ पत्रकारों को भी गिरफ्तार किया है. हालांकि पत्रकारों का दावा है कि उन्होंने पेपर लीक की खबरें दिखाई थीं, न कि वो पेपर लीक में शामिल थे.

अमर उजाला अखबार में काम करने वाले पत्रकार दिग्विजय सिंह कहते हैं कि उन्होंने इस मामले को उजागर कर अपना काम किया है और प्रशासन उल्टे उनको प्रताड़ित कर रहा है. जेल जाने से पहले दिग्विजय सिंह ने कहा,

हमें अपने सूत्रों से पेपर लीक की खबर मिली थी, संस्कृत विद्यालय का पेपर आउट हो चुका है जिसके बाद हमने अमर उजाला में लीक की खबर प्रकाशित की. इसके बाद अंग्रेजी विषय का पेपर मिला और इसे भी अमर उजाला ने प्रमुखता से प्रकाशित किया. खबर छपने के बाद प्रशासन शिक्षा माफियाओं को पकड़ने की बजाए हमसे ही पूछ रही है कि पेपर कहां से आउट हुए. पत्रकार अपना सूत्र नहीं बताते हैं लेकिन मैंने वो तक बता दिया.

अब पुलिस इस मामले में कह रही है कि दिग्विजय सिंह को सबूतों के आधार पर गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है, इनके एक साथी जिनका नाम ये ले रहे हैं वह एक स्कूल में Assistant teacher है और इस एग्जाम में कक्ष निरीक्षक क काम किया है.

ऊपर हमने में कहा था कि एक बार फिर पेपर लीक हुआ है. तो चलिए आपको पिछले कुछ सालो में उत्तर प्रदेश में हुए पेपर लीक की कहानी बताते हैं.

  • साल 2017- दारोगा के पोस्ट के लिए ऑनलाइन परीक्षा होनी थी, 22 जिलों में परीक्षा केंद्र बनाए गए थे. एक लाख से ज्यादा लोगों ने फॉर्म भरा था, लेकिन पेपर लीक हो गया और एग्ज़ाम रद्द. हां, फिर कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया. लेकिन गिरफ्तारी के बाद भी पेपर लीक का सिलसिला रुका नहीं.

  • फरवरी 2018, यूपीपीसीएल पेपर लीक. जूनियर इंजीनियर (जेई) परीक्षा को निरस्त कर दिया गया था.

  • 2018 में ही उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (यूपीएसईबी) के साइंस का पेपर महारजगंज में लीक हो गया. जिसके बाद बोर्ड ने पेपर को रद्द करना पड़ा.

  • जुलाई 2018, UPSSSC Paper Leak. 14 डिपार्टमेंट में लोअर सबऑर्डिनेट के पोस्ट के लिए करीब 67 हजार से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया था. जब एसटीएफ ने पेपर लीक की पुष्टि की तो इसे भी रद्द कर दिया गया.

  • सितंबर 2018, Subordinate Services Selection Commission के तहत ही नलकूप ऑपरेटरों की भर्ती के एग्जाम का पेपर लीक. इस मामले में यूपी एसटीएफ ने मेरठ से 11 लोगों को गिरफ्तार किया था.

  • साल 2020 में कौशाम्बी इंटर मीडिएट अंग्रेजी का पेपर आउट हो गया.

  • नवंबर 2020 में डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन के सेकंड सेमेस्टर के मैथ्स की परीक्षा निरस्त करनी पड़ी थी. वजह थी कि एग्जाम से आधा घंटा पहले प्रश्नपत्र व्हाट्सएप पर वायरल हो गया था. तकरीबन 2.5 लाख लोग इस एग्जाम में शामिल हुए थे.

  • उत्तर प्रदेश में 31 जनवरी 2021 को Central Teacher Eligibility Test की परीक्षा आयोजित हुई थी. दो फरवरी को पेपर आउट की खबर बाहर आई. यहां सिर्फ पेपर ही लीक नहीं हुआ, यहां 'मुन्नाभाई' वाली कहानी भी सामने आई. 50 हजार रुपए लेकर असली कैंडिडेट की जगह पर कोई और एग्जाम दे रहा था. पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया.

  • 28 नवंबर 2021- उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले Uttar Pradesh Teacher Eligibility Test यानी UPTET का पेपर लीक.. 21 लाख से ज्यादा कैंडिडेट ने इसके लिए आवेदन किया था. फिर क्या था एग्ज़ाम रद्द. पुलिस ने दावा किया की मास्टर माइंड पकड़े गए हैं. लेकिन फिर भी नकल और लीक के मास्टर आए दिन बढ़ते ही जा रहे हैं.

और आखिरी बात, कहीं कोई पाइप लीक होता है तो सही हार्डवेयर और पाइप से पूरे सिस्टम को ठीक किया जाता है. लीकेज की शिकायत करने वालों को डराकर चुप कराने से लीकेज रुक नहीं जाता. इसलिए भले ही गिरफ्तारी हो, पेपर कैंसिल हो, लेकिन छात्रों का वक्त बर्बाद तो हो रहा है न. और अगर इतना ही पाइप यानी सिस्टम मजबूत है तो फिर ये बार-बार लीक हो क्यों रहा है? इसलिए असली गड़बड़ी के जड़ तक न पहुंचकर इधर-उधर की बात होगी तो हम पूछेंगे जनाब ऐसे कैसे?

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Published: 04 Apr 2022,06:17 PM IST

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