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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण का मतदान सोमवार 14 फरवरी को होना है, जिसमें 9 जिलों की 55 सीटें शामिल हैं. 2017 के विधानसभा चुनावों में जब राज्य के बाकी हिस्सों में बीजेपी का दबदबा था, तब 55 सीटों वाले इस क्षेत्र में एसपी बेहतर स्थिति में थी. पार्टी ने 15 सीटें जीती थीं. कांग्रेस ने 2 सीटें जीती थीं.
इस बार कांग्रेस अलग से लड़ रही है, जबकि एसपी, आरएलडी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, प्रगतिशील समाज पार्टी (लोहिया), महान दल, जनवादी पार्टी (समाजवादी), अपना दल (कामेरावाड़ी), एनसीपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है.
पहले चरण के जिलों, बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली और कुछ हद तक मेरठ के गन्ना बेल्ट में बीजेपी और एसपी-आरएलडी गठबंधन के बीच ही फाइट दिख रही है. ये ही मुख्य खिलाड़ी नजर आ रहे हैं. बीएसपी और कांग्रेस साइड होते दिख रहे हैं. हालांकि बीएसपी अभी भी आगरा और मथुरा जैसे जिलों में एक मजबूत विपक्ष रही होगी, जहां पहले चरण में मतदान हुआ था.
बिजनौर, सहारनपुर और अमरोहा जिलों के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर आरएलडी इस क्षेत्र में ज्यादा नहीं है. वह 55 में से केवल तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है. बिजनौर में दो और सहारनपुर में एक. यह क्षेत्र पूरी तरह से सपा की ताकत पर निर्भर होगा. पार्टी को इस क्षेत्र में आधे से अधिक सीटें जीतने और बीजेपी को कम से कम 15 सीटों से नीचे लाने की उम्मीद है.
दूसरे चरण में मतदान करने वाले कुछ जिलों में मुस्लिम आबादी बड़ी है. रामपुर 50%, मुरादाबाद 50%, बिजनौर 43%, सहारनपुर 42%, अमरोहा 41%, बरेली 34%, संभल 33% और बदायूं 23%. पिछली बार इन जिलों में एसपी और बीएसपी के बीच मुस्लिम वोटों के बंटवारे की वजह से बीजेपी कुछ सीटें जीतने में कामयाब रही थी.
लेकिन जब दोनों दलों ने 2019 के लोकसभा चुनाव में एक साथ चुनाव लड़ा, तो वे इस क्षेत्र में हावी होने में सफल रहे. इन जिलों में पड़ने वाली 11 लोकसभा सीटों में से सात पर जीत हासिल की थी.
इस बार सवाल यह है कि क्या एसपी अब इस वोट को अपने दम पर मजबूत कर सकती है? यदि वह ऐसा करने में सफल रहती है तो यह चरण चुनावों में अपने सबसे अच्छे चरणों में से एक हो सकता है.
अब, अगर एसपी अल्पसंख्यक वोटों की वजह से बढ़त हासिल कर लेती है, तो इसका मतलब यह होगा कि बीएसपी और कांग्रेस की कीमत पर इसे काफी हद तक फायदा होगा. हालांकि, यहां सिर्फ मुस्लिम ही नहीं है. इस क्षेत्र में दलितों (विशेषकर जाटवों), उच्च जाति के मतदाताओं और गैर-यादव ओबीसी की भी बड़ी संख्या है.
पहला चरण थोड़ा अलग हो सकता है. जबकि एसपी-आरएलडी गठबंधन को पहले चरण में भी फायदा हुआ हो सकता है. ये गठबंधन बीजेपी के वोटों के एक बड़े हिस्से पर दावा करता रहा है. खासकर जाट किसानों के लिए.
दूसरे चरण में यह थोड़ा मुश्किल लग रहा है कि क्या एसपी गठबंधन बीजेपी से किसी बड़े वोटिंग ब्लॉक पर जीत हासिल करने में सफल होगा. इन क्षेत्रों में जाट बड़ी संख्या में मौजूद नहीं हैं, इसलिए एसपी का मुख्य फोकस गैर-यादव ओबीसी वोटों पर जीत हासिल करना है. बीजेपी के वोटिंग ब्लॉक पर जीतना एसपी के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछली बार बरेली जिले में सभी नौ सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी.
रामपुर - मोहम्मद आजम खान. सपा नेता और 9 बार विधायक रहे.
स्वार - अब्दुल्ला आजम खान, आजम खान के बेटे
शाहजहांपुर - वित्त मंत्री सुरेश खन्ना
नकुर - धरम सिंह सैनी, बीजेपी मंत्री. अब सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
बिलासपुर - राज्य मंत्री बलदेव राज औलख. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय कपूर और एसपी के सरदार अमरजीत सिंह के खिलाफ खड़े हैं.
चंदौसी - गुलाब देवी, राज्य मंत्री
बदायूं - महेश चंद्र गुप्ता, राज्य मंत्री
बहेरी - छत्रपाल गंगवार, राज्य मंत्री
कंठ - कमल अख्तर, एसपी नेता और पूर्व मंत्री
अमरोहा - महबूब अली, एसपी नेता और 4 बार के विधायक
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