मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कांग्रेस से आए MLAs ने संभाली उत्तराखंड BJP में ‘बगावत’ की बागडोर

कांग्रेस से आए MLAs ने संभाली उत्तराखंड BJP में ‘बगावत’ की बागडोर

त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ विद्रोह छेड़ने वालों में कांग्रेस से बीजेपी में आए कई नेता शामिल

मुकेश बौड़ाई
पॉलिटिक्स
Published:
उत्तराखंड के CM त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिया इस्तीफा
i
उत्तराखंड के CM त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिया इस्तीफा
null

advertisement

उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ लगातार उठती आवाजों ने आखिरकार उन्हें कुर्सी से उतार दिया. इस बार विरोध के सुर इतने तेज थे कि दिल्ली तक आवाज पहुंच गई. कई विधायकों और मंत्रियों ने तो नेतृत्व में बदलाव को लेकर दिल्ली में ही डेरा डाल लिया. जिसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह अब तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बना दिया गया है. लेकिन इस बार पूर्व कांग्रेस नेताओं का भी इस विद्रोह में बड़ा और असरदार रोल रहा.

बगावत करने वालों में कांग्रेस से बीजेपी में आए नेता

बताया गया है कि उत्तराखंड में यूं तो लगभग आधे विधायक और मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से लगाातर नाराज चल रहे थे, लेकिन जिन लोगों ने विद्रोह छेड़ा था उनकी संख्या करीब 17 थी. इन 17 विधायकों में 9 विधायक वो थे, जो पिछले चुनावों (2017) से ठीक पहले कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए थे.

कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होने वाले सतपाल महाराज राज्य के एक बड़े नेता रहे हैं. उन्होंने पिछले दिनों कई बार नौकरशाही के मनमाने रवैये को लेकर सवाल उठाए. एक कार्यक्रम में महाराज के बुलाए जाने पर भी बागेश्वर के डीएम और एसएसपी नहीं पहुंचे. जिसके बाद उन्होंने इसे जनता का अपमान बताया और कहा कि ऐसा किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इससे पहले भी महाराज ने खुलकर ना सही, लेकिन पार्टी के अंदर सीएम की कार्यशैली को लेकर सवाल उठाए.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

हरक सिंह रावत ने लगाए थे साजिश के आरोप

अब ऐसे ही दूसरे कद्दावर नेता हरक सिंह रावत भी हैं. सतपाल महाराज के साथ ही उन्होंने भी पाला बदल लिया था. लेकिन बीजेपी में आने के बाद जिस महत्वकांक्षा से आए थे, वो पूरी नहीं हो सकी. बीजेपी के कोर कार्यकर्ताओं और खांटी नेताओं ने कभी पार्टी में उन्हें वो रुतबा बनाने ही नहीं दिया. इसके बाद से ही वो अपने समर्थकों के साथ लगातार विद्रोह के मूड में दिखने लगे. उन्होंने आरोप भी लगाया कि उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है. कर्मकार कल्याण बोर्ड से हटाए जाने के मामले को लेकर हरक सिंह इतने नाराज हुए कि उन्होंने मीडिया के सामने ये ऐलान कर दिया कि वो विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे.

साल 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी में शामिल हुए 9 कांग्रेस नेताओं को टिकट दिया गया. आज मुख्यमंत्री के लिए चुने गए तीरथ सिंह रावत का टिकट काटकर तब सतपाल महाराज को चौबट्टाखाल विधानसभा से उतारा गया था. सतपाल महाराज ने यहां आसानी से जीत दर्ज की. 

उनके अलावा हरक सिंह रावत को कोटद्वार विधानसभा से टिकट दिया गया. कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए बाकी बागी नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, सुबोध उनियाल, कुंवर प्रणव सिंह, शैला रानी, उमेश वर्मा, शैलेंद्र मोहन और अमृत राव जैसे नाम शामिल थे.

बीजेपी में आते ही सीएम पद की दावेदारी

अब ये भी दिलचस्प बात है कि कांग्रेस से आए इन नेताओं में से कुछ ऐसे महत्वकांक्षी नेता भी थे, जो बीजेपी में आने के 1 साल बाद ही सीएम पद की दावेदारी करने लगे.

2017 में जब बीजेपी को बड़ा बहुमत मिला तो कांग्रेस के इन बागियों का नाम खूब उछाला गया. ठीक ऐसा ही त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे की खबरों के बाद भी हुआ. जिसमें सतपाल महाराज का नाम तेजी से चल रहा था. बताया जा रहा था कि उन्हें अलगा सीएम बनाया जा सकता है, लेकिन बीजेपी ने ऐसा किया नहीं.

तो कुल मिलाकर बीजेपी कांग्रेस में बड़े और कद्दावर माने जाने वाले नेताओं को अपनी पार्टी में तो लेकर आ गई, चुनाव भी लड़वा दिया, लेकिन इन नेताओं की उन महत्वकांक्षाओं को नहीं खत्म कर पाई, जो उनकी कांग्रेस में रहकर हुआ करती थी. यानी कांग्रेस नेता बीजेपी के तो हो गए, लेकिन अपने साथ पुराना कल्चर भी लाए, जो आज शायद बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है.

बीजेपी आलाकमान लेगा एक्शन?

इनमें से कुछ नेताओं को छोड़ दिया जाए तो बाकी तमाम नेताओं को लगभग साइड लाइन किया जा चुका है. अब नेतृत्व में बदलाव के साथ ही इन नेताओं के लिए भी बुरी खबर आ सकती है. भले ही चुनाव को देखते हुए बीजेपी कोई बड़ा फैसला न ले, लेकिन अब इनमें से कई नेता बीजेपी आलाकमान के रडार पर हैं. ऐसे में बताया जा रहा है कि कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए कुछ नेताओं ने तो अब विकल्प भी तलाशने शुरू कर दिए हैं. जिसमें उत्तराखंड में एंट्री करने वाली आम आदमी पार्टी सबसे बड़ा विकल्प है. जहां अब तक कोई बड़ा स्थानीय नेता नहीं है, ऐसे में आम आदमी पार्टी में कहीं न कहीं महत्वकांक्षी नेताओं के सपने पूरे हो सकते हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT