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उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ लगातार उठती आवाजों ने आखिरकार उन्हें कुर्सी से उतार दिया. इस बार विरोध के सुर इतने तेज थे कि दिल्ली तक आवाज पहुंच गई. कई विधायकों और मंत्रियों ने तो नेतृत्व में बदलाव को लेकर दिल्ली में ही डेरा डाल लिया. जिसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह अब तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बना दिया गया है. लेकिन इस बार पूर्व कांग्रेस नेताओं का भी इस विद्रोह में बड़ा और असरदार रोल रहा.
बताया गया है कि उत्तराखंड में यूं तो लगभग आधे विधायक और मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से लगाातर नाराज चल रहे थे, लेकिन जिन लोगों ने विद्रोह छेड़ा था उनकी संख्या करीब 17 थी. इन 17 विधायकों में 9 विधायक वो थे, जो पिछले चुनावों (2017) से ठीक पहले कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए थे.
अब ऐसे ही दूसरे कद्दावर नेता हरक सिंह रावत भी हैं. सतपाल महाराज के साथ ही उन्होंने भी पाला बदल लिया था. लेकिन बीजेपी में आने के बाद जिस महत्वकांक्षा से आए थे, वो पूरी नहीं हो सकी. बीजेपी के कोर कार्यकर्ताओं और खांटी नेताओं ने कभी पार्टी में उन्हें वो रुतबा बनाने ही नहीं दिया. इसके बाद से ही वो अपने समर्थकों के साथ लगातार विद्रोह के मूड में दिखने लगे. उन्होंने आरोप भी लगाया कि उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है. कर्मकार कल्याण बोर्ड से हटाए जाने के मामले को लेकर हरक सिंह इतने नाराज हुए कि उन्होंने मीडिया के सामने ये ऐलान कर दिया कि वो विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे.
उनके अलावा हरक सिंह रावत को कोटद्वार विधानसभा से टिकट दिया गया. कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए बाकी बागी नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, सुबोध उनियाल, कुंवर प्रणव सिंह, शैला रानी, उमेश वर्मा, शैलेंद्र मोहन और अमृत राव जैसे नाम शामिल थे.
अब ये भी दिलचस्प बात है कि कांग्रेस से आए इन नेताओं में से कुछ ऐसे महत्वकांक्षी नेता भी थे, जो बीजेपी में आने के 1 साल बाद ही सीएम पद की दावेदारी करने लगे.
2017 में जब बीजेपी को बड़ा बहुमत मिला तो कांग्रेस के इन बागियों का नाम खूब उछाला गया. ठीक ऐसा ही त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे की खबरों के बाद भी हुआ. जिसमें सतपाल महाराज का नाम तेजी से चल रहा था. बताया जा रहा था कि उन्हें अलगा सीएम बनाया जा सकता है, लेकिन बीजेपी ने ऐसा किया नहीं.
इनमें से कुछ नेताओं को छोड़ दिया जाए तो बाकी तमाम नेताओं को लगभग साइड लाइन किया जा चुका है. अब नेतृत्व में बदलाव के साथ ही इन नेताओं के लिए भी बुरी खबर आ सकती है. भले ही चुनाव को देखते हुए बीजेपी कोई बड़ा फैसला न ले, लेकिन अब इनमें से कई नेता बीजेपी आलाकमान के रडार पर हैं. ऐसे में बताया जा रहा है कि कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए कुछ नेताओं ने तो अब विकल्प भी तलाशने शुरू कर दिए हैं. जिसमें उत्तराखंड में एंट्री करने वाली आम आदमी पार्टी सबसे बड़ा विकल्प है. जहां अब तक कोई बड़ा स्थानीय नेता नहीं है, ऐसे में आम आदमी पार्टी में कहीं न कहीं महत्वकांक्षी नेताओं के सपने पूरे हो सकते हैं.
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