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संसद (Parliament) का शीतकालीन सत्र (winter session) निर्धारित समय से पहले अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया. राज्यसभा के 12 निलंबित सांसदों और लखीमपुर खीरी केस में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के इस्तीफे की मांग को लेकर संसद के शीतकालीन सत्र में हंगामा जारी रहा. शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर तक था, लेकिन हंगामे की वजह से सरकार ने इस सत्र को एक दिन पहले ही खत्म कर दिया. जिसे लेकर विपक्ष ने सरकार पर जमकर निशाना साधा.
बीजेपी सांसद दिलीप घोष ने कहा, " ऐसे वरिष्ठ सांसद का बार-बार निलंबन होना ठीक बात नहीं है. इसका मतलब है कि वो जानबुझकर ऐसा कुछ कर रहे हैं जिससे वो निलंबित हों. आम लोग नेताओं का व्यवहार देखते हैं. बच्चा स्कूल से निलंबित होता है तो वो अलग बात है क्योंकि वो नालायक है."
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा "इस शीतकालीन सत्र की शुरुआत 12 सांसदों के निलंबन के साथ हुई थी. मानसून सत्र में हुई घटना को लेकर शीतकालीन सत्र में उन्हें निलंबित करने का फैसला बिल्कुल गलत था. हम बेरोजगारी, महंगाई और अन्य मुद्दों पर चर्चा करना चाहते थे."
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सदन के स्थगित होने पर कहा " हम सदन चलाना चाहते थे, लेकिन विपक्ष ने इतने दिन बर्बाद किए, बिना किसी चर्चा के हंगामा किया...राहुल गांधी अंशकालिक राजनेता हैं, शायद वो नया साल मनाने कहीं जा रहे हैं.
अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "हम चाहते थे कि सदन चले लेकिन जैसे ही अजय मिश्र टेनी का नाम आया, हमें सरकार से बात करने की जरूरत महसूस हुई. हमने मांग की थी कि मंत्री को बर्खास्त किया जाए. अगर सरकार विपक्ष को जवाब नहीं देती है, तो वे संसद के स्थगन के लिए जिम्मेदार हैं
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