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"मैं नंदीग्राम से चुनाव लड़ूंगी. यह मेरे लिए भाग्यशाली है.''
इस बयान के साथ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ऐलान कर दिया है कि वो अब पार्टी के बागी रहे सुवेंदु अधिकारी के गढ़ नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगी. इस विधानसभा क्षेत्र से टीएमसी की तरफ से सुवेंदु अधिकारी करते थे, जो पिछले महीने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए थे. बीजेपी में शामिल होने के बाद से ही वो टीएमसी पर जमकर बरसते नजर आए थे.
सोमवार को एक नंदीग्राम में आयोजित एक रैली के दौरान ममता बनर्जी ने कहा-
कोलकाता का भबानीपुर,जो उनका गढ़ माना जाता है, उसके लिए ममता ने कहा - "मैं भबानीपुर की भी उपेक्षा नहीं करना चाहती."
अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बख्शी ने भी इस साल अप्रैल-मई में होने वाले चुनाव में नंदीग्राम निर्वाचन क्षेत्र से बतौर उम्मीदवार ममता के नाम की घोषणा की.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माकपा) के नेतृत्व वाली वाम मोर्चा सरकार द्वारा प्रस्तावित एसईजेड परियोजना के विरोध में पुलिस की गोलीबारी में 14 ग्रामीणों के मारे जाने के बाद नंदीग्राम 2007 में राजनीतिक सुर्खियों में आया था.
बता दें कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा की कुल 294 सीटें हैं. अगर पिछले चुनाव, यानी 2016 विधानसभा चुनावों की बात करें तो तब ममता बनर्जी का राज्य में एकछत्र राज था. यानी टीएमसी के आस-पास भी कोई पार्टी नजर नहीं आ रही थी. इस चुनाव में टीएमसी ने 294 सीटों में से कुल 211 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं दूसरा नंबर कांग्रेस का था. जिसने 44 सीटें जीती थीं. लेकिन बीजेपी पश्चिम बंगाल में सिर्फ 3 सीटें ही जीत पाई थी. यानी पार्टी का यहां कोई वजूद नहीं था. लेकिन अब लग रहा है कि बीजेपी ममता बनर्जी को टक्कर दे सकती है.
ये पांच साल पहले की बात थी, अब तस्वीर कुछ अलग नजर आ रही है. साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में जो प्रदर्शन किया, उसने तमाम राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया. कुल 42 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने 18 सीटों पर जीत हासिल की. वहीं ममता की टीएमसी सिर्फ 22 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई. चौंकाने की बात यहां इसलिए की गई, क्योंकि 2014 में जब मोदी लहर चल रही थी तो पश्चिम बंगाल में बीजेपी को सिर्फ 2 ही सीटें मिल पाई थीं. अब आपको इस बात का अंदाजा हो चुका होगा कि पश्चिम बंगाल चुनाव अब टीएमसी बनाम बीजेपी की लड़ाई है. इसीलिए ये विधानसभा चुनाव अब काफी अहम हो चुका है.
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