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आखिरी चरण के चुनाव से पहले बंगाल में क्यों बढ़ी BJP-TMC की लड़ाई?

पीएम मोदी रैलियों और ममता बनर्जी पैदलयात्रा के जरिए वोटरों से कर रहे हैं संपर्क

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पीएम मोदी रैलियों और ममता बनर्जी पैदलयात्रा के जरिए वोटरों से कर रहे हैं संपर्क
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पीएम मोदी रैलियों और ममता बनर्जी पैदलयात्रा के जरिए वोटरों से कर रहे हैं संपर्क
(फोटो: द क्विंट)

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पश्चिम बंगाल में बीजेपी और टीएमसी के बीच तकरार काफी बढ़ गई है. पहले पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के हेलिकॉप्टर को उतरने की और रैली की इजाजत नहीं दी और बाद में अमित शाह के रोड शो में हिंसा हुई. इसके बाद चुनाव आयोग ने कोलकाता हिंसा पर संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्रवाई की. बात यहीं पर खत्म नहीं हुई, बीते 48 घंटों से पीएम मोदी और सीएम ममता बनर्जी एक दूसरे के खिलाफ हमलावर रुख अख्तियार किए हुए हैं. आखिर क्या वजह है कि आखिरी चरण के चुनाव से पहले बंगाल में बीजेपी और टीएमसी के बीच इस कदर ठन गई, जो चुनाव आयोग को कड़ा कदम उठाना पड़ा?

इसे समझने के लिए लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण की तस्वीर को समझना होगा. लोकसभा चुनाव के सातवें और आखिरी चरण में 59 सीटों पर वोटिंग होनी है, जिनमें से 9 सीटें पश्चिम बंगाल की है. आखिरी चरण के चुनाव प्रचार के दौरान पश्चिम बंगाल से हिंसा की लगातार खबरें आईं. इसी बीच चुनाव आयोग ने वहां एक दिन पहले ही चुनाव प्रचार पर रोक लगा दी. चुनाव आयोग ने बताया जिन क्षेत्रों में चुनाव होने जा रहा है वहां भय और नफरत फैलाया जा रहा था, जिस वजह से चुनाव प्रचार पर रोक लगानी पड़ी.

बुधवार को कोलकाता में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान हुए हिंसा के बाद चुनाव आयोग ने ऐलान किया कि पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार शुक्रवार की जगह गुरुवार को ही खत्म किया जाएगा.

गुरुवार का दिन खत्म होने तक पीएम मोदी पश्चिम बंगाल में रैलियों को संबोधित कर चुके होंगे. दूसरी ओर ममता बनर्जी ने भी प्रचार में खुद को झोंक दिया और पैदल यात्रा कर वोटरों के बीच पहुंची.

पश्चिम बंगाल की इन 9 सीटों पर वोटिंग होने वाली हैं:

  • दमदम
  • बारासात
  • बसीरहाट
  • जय नगर
  • मथुरापुर
  • डायमंड हार्बर
  • जाधवपुर
  • कोलकाता दक्षिण
  • कोलकाता उत्तर

ये सीटें हैं टीएमसी के मजबूत किले

जिन सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं साल 2014 में टीएमसी ने वो सभी सीटें जीती थी. इनमें से जाधवपुर और कोलकाता दक्षिण ममता बनर्जी के सबसे मजबूत गढ़ माने जाते हैं. ममता बनर्जी ने साल 1984 में सीपीएम के कद्दावर नेता सोमनाथ चटर्जी को जाधवपुर सीट से हराया था, जो कि ममता की सबसे चर्चित जीत है. इसके बाद आता है कोलकाता दक्षिण, जहां से ममता 6 बार सांसद रहीं. इसके बाद आता है डायमंड हार्बर जहां से ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी मौजूदा सांसद हैं और फिर से चुनावी मैदान में हैं.

साल 2014 में इन 9 सीटों में से 2 सीट कोलकाता दक्षिण और कोलकाता उत्तर पर बीजेपी दूसरे पायदान पर रही थी. बाकी 7 सीटों पर सीपीएम दूसरे पायदान पर थी. 

इन सीटों पर बीजेपी के जीतने के हैं चांस

कोलकाता दक्षिण और कोलकाता उत्तर बीजेपी के जीतने के चांस हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में वो इन सीटों पर दूसरे पायदान पर थी. साथ ही टीएमसी ने कोलकाता दक्षिण में 20.24 फीसदी वोट खोया है. वहीं बीजेपी को इस सीट पर 21.28 फीसदी वोट का उछाल मिला है. कोलकाता उत्तर में टीएमसी के वोट में 35.94 फीसदी की गिरावट हुई वहीं बीजेपी को इस सीट पर 20.88 फीसदी वोट का उछाल मिला था.

इन दो सीटों के अलावा दमदम एक ऐसी सीट है जहां पर बीजेपी पहले जीत दर्ज कर चुकी है. लिहाजा, पार्टी को उम्मीद है कि इस सीट पर उसे एक बार फिर कामयाबी हाथ लग सकती है. चौथी सीट है बसीरहाट जो कि भारत और बांग्लादेश के बॉर्डर पर है. इस क्षेत्र में गोकशी, बांग्लादेशियों के घुसपैठ जैसे मुद्दे हैं जो बीजेपी वोटों को पोलराइज करने के लिए उठाती है. इस सीट पर इन मुद्दों से बीजेपी को फायदा मिल सकता है.

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बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में आखिरी चरण की वोटिंग से पहले अपनी पूरी ताकत लगा दी है. बीजेपी के सभी बड़े नेता प्रचार करने के लिए ममता बनर्जी के गढ़ में प्रचार करने उतरे. जहां पीएम की दमदम, बसीरहाट, डायमंड हार्बर और मथुरापुर में 4 रैलियां तय हैं. वहीं बीजेपी अध्यक्ष बारासात, जयनगर और कोलकाता उत्तर में रैली करेंगे. इस हिसाब से लगभग सभी क्षेत्रों को कवर करने में बीजेपी की टॉप लीडरशिप लगी हुई है.

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