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"संसद में अब पत्थर तोड़ने वाली भगवतिया और फूलन देवी क्यों नहीं"-राज्यसभा में मनोज झा

महिला आरक्षण बिल में अगर आज SC-ST और OBC को शामिल नहीं करेंगे तो आप ऐतिहासिक गुनहगार होंगेः मनोज झा

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
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<div class="paragraphs"><p>"संसद में अब पत्थर तोड़ने वाली भगवतिया और फूलन देवी क्यों नहीं"-राज्यसभा में मनोज झा</p></div>
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"संसद में अब पत्थर तोड़ने वाली भगवतिया और फूलन देवी क्यों नहीं"-राज्यसभा में मनोज झा

(फोटोः क्विंट हिंदी)

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राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान RJD सांसद मनोज झा ने कहा कि ये मसला यस और नो का नहीं है. ये मसला हमारे देश की तारीख से जुड़ा हुआ है. ये मसला इस बात से जुड़ा हुआ है कि जो प्रधानमंभी जी ने बीते दिनों सेंट्रल हॉल में कहा था कि कैनवास बड़ा होगा आकृति बड़ी होगी. बड़ा कैनवस तो है, लेकिन आकृति छोटी गढ़ी जा रही है और इसका इतिहास असमरण करेगा. "अगर चश्मा सरकार लगाती है तो उसका पावर बदलिए. जब आज यहां से उठिए तो ओबीसी वर्ग को एक कमिटमेंट दीजिए. नई व्यवस्था में पुराने वाले को बिना छूए आरक्षण देने से क्रांति आएगी. हमारा सरनेम एक प्रिविलेज है, लेकिन उन सरनेम को देखिए, जिनका प्रिविलेज नहीं है."

नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 पर बोलते हुए मनोज झा ने कहा कि मुझे तो समझ में नहीं आया की ये लेजिस्लेशन है या किसी धार्मिक ग्रंध का शीर्षक है, क्योंकि मैं इस देश में बचपन से पढ़ता आया कि...

"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः पता नहीं देवता रम करते हैं कि नहीं लेकिन हमने इस श्लोक के बावजूद महिलाओं का शोषण देखा, घरेलू हिंसा देखी, सबसे ज्यादा रेप परिवार नाम की संस्था में देखा, जिसका आंकड़ा खुद सरकार देती है. तो ऐसा में मुझे लगता है कि हमारे देश का जो विरोधाभासी चरित्र है, उसपर भी बात होनी चाहिए."

"संसद में अब भगवतिया देवी और फूलन देवी क्यों नहीं हैं"

मनोज झा ने आगे कहा कि अधिकारों की बात कभी दया से नहीं होगी. हमारा संविधान अधिकारों की बात करता है. डिलिमिटेनश आयोग 2008 के मुताबिक हमारे पास जो लोकसभा की सीट हैं, 412 सामान्य सीट, 84 SC, 47 ST. अब हम क्या कर रहे हैं इस बिल के माध्यम से कि 84 और 47 के अंदर एक तिहाई कर रहे हैं. क्या यह अन्याय नहीं है. हम 33 फीसदी के हिसाब से क्यों नहीं दे रहे हैं. अभी जो आंकड़ा 136 के आसपास बैठता है उसमें हम SC-ST और OBC को क्यों नहीं दे रहे हैं?

हर महिला को बहुत मुश्किल से आगे बढ़ना पड़ता है और खास करके पिछड़ा, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जानजाति की महिलाएं. लालू यादव ने एक पत्थर तोड़ने वाली भगवतिया देवी को संसद तक पहुंचाया है. लेकिन, क्या उसके बाद भगवतिया देवी आ पाईं, क्या फूलन देवी आ पाईं. इसलिए नहीं आ पाईं कि हमारी व्यवस्थाएं संवेदन शून्य हैं.
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"सरकार को चश्मा बदलने की जरूरत है"

SC-ST और OBC को महिला आरक्षण के दायरे में लाने को लेकर मनोज झा ने कहा कि आज भी मौका है कि आप इस बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजकर इसमें SC-ST और OBC को शामिल किया जाए. अगर आज आप नहीं करेंगे तो आप ऐतिहासिक गुनहगार होंगे. लोग बाहर देख रहे हैं. अब ये नहीं होगा की बाबा साहब को माला भी पहनाएं और उनकी बातों को आत्मसात न करें.

मनोज झा ने आगे कहा कि कोटा में कोटा की जब हम बात करते हैं तो उसमें एक टर्म आता है इंटरसेक्शनलिटी. इसका मतलब होता है प्रतिछेदन. यानी की लेयर के हिसाब परखना.

उन्होंने कहा कहा कि ''अगर चश्मा सरकार लगाती है तो उसका पावर बदलिए. जब आज यहां से उठिए तो ओबीसी वर्ग को एक कमिटमेंट दीजिए. नई व्यवस्था में पुराने वाले को बिना छूए आरक्षण देने से क्रांति आएगी. हमारा सरनेम एक प्रिविलेझ है, लेकिन उन सरनेम को देखिए, जिनका प्रिविलेज नहीं है.

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