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केंद्र सरकार ने 18 सितंबर से संसद का विशेष सत्र (Parliament Special Session) बुलाया है. बुधवार, 13 सितंबर को केंद्र ने इस विशेष सत्र को बुलाने की वजहें साफ करते हुए चार बिलों की सूची जारी की.
इन 4 बिलों में शामिल हैं:
'मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, शर्तें और पद अवधि) बिल
एडवोकेट (अमेंडमेंट) बिल
प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल बिल
पोस्ट ऑफिस बिल
यहां हम आपको बताते हैं कि आखिर प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल बिल 2023 में क्या है और अगर यह पास हो गया तो क्या कुछ बदलेगा?
अगर आप कोई पीरियॉडिकल या कोई पत्रिका या कोई अखबार निकालना चाहते हैं तो ऐसी पत्रिकाओं का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है. सरकार अब इसी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को सरल करना चाहती है.
प्रेस और पीरियॉडिकल का रजिस्ट्रेशन बिल 4 अगस्त 2023 को राज्यसभा में पेश किया गया था. इसके लागू होने से 1867 का प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम रद्द हो जाएगा. माना जा रहा है कि 1867 का ये अधिनियम काफी पुराना हो गया है और अब वर्तमान के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए काफी नहीं है.
पुराने अधिनियम में डिजिटल मीडिया शामिल नहीं था, जबकि नए अधिनियम में डिजिटल मीडिया को शामिल किया जाएगा. इसमें रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को आसान करने और आधुनिकीकरण को प्राथमिकता दी गई है.
1. इस बिल के तहत 1867 का प्रेस और पुस्तक रजिस्ट्रेशन एक्ट खत्म होगा. नए बिल में समाचार पत्रों, पीरियॉडिकल्स और पुस्तकों के पंजीकरण का प्रावधान किया गया है. पीरियॉडिकल्स में किताबें, साइंग मैगजिन और एजुकेशन मैगजिन शामिल नहीं हैं.
2. नए बिल के तहत प्रिंटर या पब्लिशर को डीएम को डिक्लेरेशन देना होगा. डीएम इसे प्रेस रजिस्टरार को भेजेंगे. इसके बाद प्रेस रजिस्टरार पंजीकरण का प्रमाणपत्र जारी करेगा.
3.पीरियॉडिकल्स के पब्लिशर्स प्रेस रजिस्टरार जनरल को ऑनलाइन अप्लाई कर पंजीकरण पत्र पा सकते हैं. जिस व्यक्ति को किसी आतंकी गतिविधियों या गैर-कानूनी कार्य में संलिप्त पाया जाएगा, उसे पीरियोडिकल्स छापने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
4. राज्य की सुरक्षा के खिलाफ काम करने वाले व्यक्ति को पीरियॉडिकल्स छापने की अनुमति नहीं होगी. विदेशी पीरियॉडिकल्स के रीप्रोडक्शन को भारत में केंद्र सरकार की अनुमति के बाद ही प्रकाशित किया जा सकेगा.
पंजीकरण प्रक्रिया ऑनलाइन होने की वजह से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में पारदर्शिता आ जाएगी. यह बिल एक ऐसी प्रक्रिया प्रदान करेगा जो मानव इंटरफेयरेंस के बिना एक ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से काम करेगा. यह विधेयक उन दो प्रावधानों को भी खत्म करता है, जिनके लिए प्रकाशकों और मुद्रकों को जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष घोषणा पत्र दाखिल करना जरूरी था.
इसके अलावा The Press and Registration of Periodicals Bill, 2023 में पीआरबी अधिनियम के तहत दंडात्मक प्रावधानों को समाप्त करने की बात की गई है. सरलीकरण पर ध्यान देने के अलावा, यह बिल प्रिंट मीडिया क्षेत्र के भीतर जवाबदेही और पारदर्शिता पर भी जोर देता है. यह पंजीकृत प्रकाशनों के रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए विशिष्ट गाइडलाइन की रूपरेखा तैयार करता है और गैर-अनुपालन के लिए जुर्माना लगाता है.
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