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भारत अभी कोरोना जैसी महामारी और मंकीपॉक्स के खतरे से पूरी तरह बाहर निकला भी नहीं कि देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में बेजुबानों में एक नई बीमारी पैर पसार रही है. राजस्थान में लम्पी स्किन रोग (Rajasthan Lumpy skin Disease) ने दस्तक दी है. प्रदेश के कम से कम 20 जिले इसकी चपेट में हैं. इस बीमारी का सबसे ज्यादा दुधारू पशुओं में देखने को मिल रहा है.
इसे गंभीरता से लेते हुए सरकार ने जिला प्रभारी मंत्रियों को फील्ड में जाने के निर्देश दिए हैं. वहीं खर्च करने के लिए विधायक कोष से भी पैसा देने की छूट दी गई है.
अलवर, टोंक सहित अन्य जिलों में दुधारू पशु खास तौर से गायों में इसके लक्षण देखे जा रहे हैं. इसके साथ की कुछ सीमावर्ती जिलो में दूध का उत्पादन प्रभावित हो रहा है. लोग भी इससे डरे हुए हैं यहां तक कि लोगों ने डिब्बाबंद दूध लेना शुरू कर दिया है. राजस्थान सरकार लम्पी स्किन रोग के तेजी से फैलते संक्रमण को रोकने के लिए कोविड काल की तरह किए गए प्रबंधन की तरह काम करेगी.
इधर इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिल्ली से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अधिकारियों के साथ चर्चा की. गहलोत ने कहा कि कोरोना काल में राजस्थान के कोरोना प्रबंधन की जिस तरह पूरे देश में चर्चा रही, उसी तरह लम्पी स्किन रोग पर भी सभी के सहयोग से प्रभावी नियंत्रण कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि
उन्होंने आगे कहा कि सरकार की तरफ से दवाईयों, चिकित्सकों, एंबुलेंस सहित अन्य आवश्यकताओं के लिए धन की कमी नहीं आने दी जाएगी. गहलोत ने बताया कि केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला शनिवार को जयपुर में होंगे. प्रदेश के पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया और चीफ सेक्रेट्री उषा शर्मा भी उनके सम्पर्क में हैं.
गहलोत ने कहा कि उनसे चर्चा के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकगी कि देश में इस रोग से निपटने के लिए क्या इंतजाम है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से जो प्रोग्राम चलना चाहिए, इसमें हर बात का ख्याल रखना होगा.
मुख्यमंत्री निवास से जुड़े कृषि एवं पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि लम्पी स्किन रोग का प्रदेश में रिकवरी रेट बढ़ा है. बीकानेर विश्वविद्यालय की टीमें प्रभावित क्षेत्रों में दौरा करेंगी. रोग से बचाव में स्वयंसेवी संस्थाएं, भामाशाह और आमजन सहयोग कर रहे हैं. लोग पारंपरिक तरीके से भी उपचार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि 1 अगस्त को संक्रमण दर 21.20 प्रतिशत थी, जो कि 4 अगस्त को घटकर सिर्फ 5.61 प्रतिशत ही रह गयी.
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