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राजस्थान के दौसा में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अर्चना शर्मा (Dr. Archana Sharma) की खुदकुशी की खबर से रांची के लोग आहत हैं. अर्चना इसी शहर की रहने वाली थीं. कुछ साल पहले वह अपने पति के साथ दौसा शिफ्ट हुई थीं. उनके माता-पिता 3-4 महीने पहले रांची छोड़कर बेटी के पास चले गये थे. चाचा, बहन, रिश्तेदार सहित कई मित्र-परिचित यहीं हैं. सबकी आंखों में आंसू हैं.
किसी को यकीन नहीं हो रहा कि रांची स्थित मेडिकल कॉलेज रिम्स के साल 1998 MBBS बैच की गोल्ड मेडलिस्ट डॉक्टर अब उनके बीच नहीं हैं. रांची के डॉक्टर्स भी मायूस हैं. अर्चना शर्मा की पूरी पढ़ाई रांची में हुई. उन्होंने यहां के प्रतिष्ठित सेक्रेड हार्ट स्कूल से 12वीं पास करने के बाद रिम्स से एमबीबीएस और इसके बाद एमडी की डिग्री ली थीं.
डॉ. अर्चना शर्मा के पिता ज्ञानचंद शर्मा रांची के HEC में काम करते थे. वोलंटरी रिटायरमेंट लेकर व्यवसाय से जुड़ गए थे. पूरे परिवार की शहर में प्रतिष्ठा है. डॉ. अर्चना शर्मा के पिता अब भी रांची मारवाड़ी ब्राह्मण सभा के सचिव हैं. झारखंड विप्र फाउंडेशन के अध्यक्ष पवन शर्मा कहते हैं कि यह घटना पूरे समाज को आहत करने वाली है.
रांची के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आरसी झा कहते हैं कि डॉक्टरों को जिस तरह प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है, ऐसे में लोग अपने बच्चों को इस प्रोफेशन में भेजने के पहले हजार बार सोचेंगे. उनके मुताबिक जिस प्रसूता की मौत डॉ. अर्चना शर्मा के अस्पताल में हुई थी, 22 साल की उम्र में ही उसके तीन बच्चे हो चुके थे. बेटे की चाहत में यह चौथा गर्भ धारण था. प्रसव के बाद प्रसूता को गंभीर प्रसव-पश्चात रक्त स्राव (PPH) हुआ और कोशिश के बावजूद प्रसूता की मृत्यु हो गयी.
ऐसे ही मामले में प्रसूता की मौत पर परिजनों ने हंगामा किया. पुलिस ने डॉक्टर और उनके पति पे गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर लिया. डॉक्टर यह तोहमत बर्दाश्त नहीं कर पाईं और उन्होंने आत्महत्या कर ली. IMA की रांची शाखा और रिम्स जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने इस घटना पर गुस्से का इजहार करते हुए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग की है.
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