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राफेल डील के कारण मुश्किलों का सामना कर रहे अनिल अंबानी ग्रुप ने अब अपनी सफाई पेश की है. पीटीआई से हुई बातचीत में रिलायंस ने कहा है कि उन्हें रक्षा मंत्रालय से किसी भी तरह का कांट्रेक्ट नहीं मिला और लगाए जा रहे आरोप गलत हैं, जिन्हें महज लोगों को बरगलाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
रिलायंस ग्रुप ने डील से जु़ड़े कई सवालों के जवाब दिए. इनमें अनुभव की कमी से लेकर HAL को डील के लिए नकारे जाने तक के सवाल शामिल थे.
रिलायंस डिफेंस लिमिटेड सीईओ राजेश धींगरा के मुताबिक,
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राफेल डील पर प्रधानमंत्री की फ्रांस यात्रा के समय 2015 में सहमति बनी थी. विपक्ष खासकर कांग्रेस लगातार इस मुद्दे पर सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि कैसे राफेल विमानों की कीमत 540 करोड़ से बढ़कर 1600 करोड़ रुपये प्रति विमान हो गई है.
कांग्रेस का ये भी आरोप है कि इन विमानों को बनाने का ठेका सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को दिया जाना था. लेकिन इसे एक ऐसी कंपनी (रिलायंस डिफेंस लिमिटेड) को दे दिया गया, जिसे रक्षा क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है.
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