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"इस्लामिक आक्रमण के कारण महिलाओं पर लगाना पड़ा प्रतिबंध"- RSS विचारक कृष्ण गोपाल

"रसोई संभालना वैज्ञानिक बनने जितना ही महत्वपूर्ण है"- कृष्ण गोपाल

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<div class="paragraphs"><p>इस्लामिक आक्रमण के कारण महिलाओं पर लगाना पड़ा प्रतिबंध, 'आरएसएस विचारक कृष्ण गोपाल'</p></div>
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इस्लामिक आक्रमण के कारण महिलाओं पर लगाना पड़ा प्रतिबंध, 'आरएसएस विचारक कृष्ण गोपाल'

(फोटो: ANI) 

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आरएसएस (RSS) के संयुक्त महासचिव कृष्ण गोपाल रविवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) के कार्यक्रम नारी शक्ति संगम में उपस्थित रहे. इस दौरान उन्होंने महिला सशक्तिकरण विषय पर चर्चा की. बातचीत के दौरान संयुक्त महासचिव ने कहा कि इस्लामी आक्रमणों के कारण भारतीय समाज में बाल विवाह, सती, विधवा पुनर्विवाह पर प्रतिबंध और महिलाओं में अशिक्षा जैसी परंपराएं घर कर गईं.

रसोई संभालना वैज्ञानिक बनने जितना ही महत्वपूर्ण है

कृष्ण गोपाल ने कहा कि 12वीं शताब्दी से पहले, महिलाएं काफी स्वतंत्र थीं और भारतीय समाज में महत्वपूर्ण योगदान देती थीं. उन्होंने पश्चिमी संस्कृति के प्रति आगाह करते हुए कहा कि रसोई संभालना वैज्ञानिक बनने जितना ही महत्वपूर्ण है.

RSS के संयुक्त महासचिव कृष्ण गोपाल ने मध्य युग में महिलाओं की स्थिति पर बात करते हुए कहा, "चलो मध्य युग में आते हैं. वह बहुत कठिन समय था. पूरा देश पराधीनता से जूझ रहा था. मंदिर तोड़े गये, विश्वविद्यालय नष्ट किए गए. महिलाएं इस वक्त सबसे ज्यादा खतरे में थीं.

लाखों महिलाओं का अपहरण कर उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेच दिया गया. अहमद शाह अब्दाली, मोहम्मद गौरी और महमूद गजनी सभी ने यहां से महिलाओं को ले जाकर बेच दिया था. वह अत्यंत अपमान का युग था. इसलिए, हमारी महिलाओं की सुरक्षा के लिए, हमारे अपने समाज ने उन पर कई प्रतिबंध लगा दिए."

विधवा पुनर्विवाह पर कोई प्रतिबंध नहीं था: कृष्ण गोपाल

कृष्ण गोपाल के अनुसार राम और कृष्ण का विवाह एक निश्चित उम्र के बाद हुआ था. लेकिन इस्लामी आक्रमणकारियों के कारण बाल विवाह शुरू हो गया. उन्होंने कहा कि इस्लामिक आक्रमण से पहले भारत में सती प्रथा नहीं थी.

यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारी बच्चियां सुरक्षित रहें, बाल विवाह शुरू हो गए. हमारे देश में सतीप्रथा नहीं थी. कुछ उदाहरण हो सकते हैं. लेकिन इस्लामिक आक्रमणकारियों के आगमन के बाद बड़ी संख्या में महिलाओं ने 'जौहर', 'सती' करना शुरू कर दिया'.
कृष्ण गोपाल (RSS के संयुक्त महासचिव)

साथ ही उन्होंने कहा, विधवा पुनर्विवाह पर भी कोई प्रतिबंध नहीं था.

कृष्ण गोपाल ने अपनी राय रखते हुए कहा कि इस तरह से महिलाएं धीरे-धीरे अशिक्षित हो गईं और बाल विवाह जैसी परंपराएं शुरू हो गईं. विधवा पुनर्विवाह बंद कर दिया गया और महिलाओं पर कई प्रतिबंध लगाए गए. यह समाज के पतन का युग था. गोपाल ने आगे कहा कि ये प्रतिबंध हमारे समाज के नियम नहीं थे, बल्कि आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए एक उपाय थे.

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RSS के संयुक्त महासचिव ने पश्चिमी संस्कृति के खिलाफ चेतावनी दी

हालांकि, उन्होंने याद दिलवाया कि प्रतिबंधों के बावजूद, 12वीं और 18वीं शताब्दी के बीच महिलाओं ने समाज में एक बड़ी भूमिका निभाई. उन्होंने कहा “13वीं शताब्दी में, संत रामानंद, जिनके शिष्यों में कबीर और रविदास थे, के पास कई महिला शिष्याएं भी थीं. जिन्होंने वैष्णव विचार को बड़े पैमाने पर फैलाया. इस काल में बहुत सी महिलाएं थीं, जिन्होंने सामाजिक सुधार में योगदान दिया और संत बन गईं.

गोपाल ने पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा, “हमारे देश की महिलाओं को पश्चिमी प्रभाव के खिलाफ सावधान रहना होग. हमें प्रगति करनी होगी. आप प्रौद्योगिकी का उपयोग करें, विमान उड़ाएं, जहाज चलाएं, इसरो में जाएं, वैज्ञानिक, डॉक्टर या इंजीनियर बनें. आपको जो अच्छा लगे वो करें. लेकिन एक स्त्री के स्वरूप में ही. स्त्री घर की धुरी होती है, ये याद रखें. वह महिला ही है, जो बच्चों और परिवार को संस्कार देती है.”

RSS के संयुक्त महासचिव ने आगे कहा कि रसोई का प्रबंधन करना करियर प्रबंधन के समान ही महत्वपूर्ण है.

RSS के संयुक्त महासचिव ने इंदिरा गांधी का उदाहरण दिया

कृष्ण गोपाल ने सुधा मूर्ति और इंदिरा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा, “मैं सुधा मूर्ति का एक लेख पढ़ रहा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि जब वह विदेश यात्रा करती हैं तो अपना खाना पैक करके ले जाती हैं. वह तो इंफोसिस चलाती हैं. आज महिलाएं पूछती हैं, 'क्या खाना बनाना हमारा काम है?' खाना बनाने से बच्चे आपके साथ रहते हैं, उन्हें प्यार का एहसास होता है. क्या आप जानते हैं कि इंदिराजी अपनी रसोई खुद संभालती थीं. जब नेहरूजी प्रधानमंत्री थे, तब इंदिराजी रसोई पर नियंत्रण रखती थी.'' उन्होंने कहा कि महिलाएं घर का माहौल तय करने के लिए जिम्मेदार होती हैं.

अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कृष्ण गोपाल ने कहा कि आधुनिक सभ्यता ने बहुत कुछ दिया है, लेकिन कुछ छीन भी लिया है. हम लगातार अकेले होते जा रहे हैं. लोग डिप्रेशन में हैं. शराब की खपत बढ़ गई है. हम अमेरिका में पी जाने वाली शराब से तीन गुना अधिक शराब पी रहे हैं. इसके लिए कौन जिम्मेदार है? हमारे परिवार का माहौल कैसा होना चाहिए, यह महिलाओं को तय करना है.

प्राचीन भारतीय समाज में महिलाओं की उच्च स्थिति के बारे में बात करते हुए, गोपाल ने कहा कि ऋग्वेद में लगभग 27 महिलाओं ने भजनों का योगदान दिया.

कृष्ण गोपाल ने द्रौपदी पर कही ये बात

आप भारत में महिलाओं की स्थिति के बारे में जानना चाहते हैं, तो हमारा सबसे पुराना पाठ पढ़ें.

हमें यह नहीं सिखाया गया है कि हमें अपना ही इतिहास भुला देना है. भारत में विवाह की जो व्यवस्था है वह एक महिला संत द्वारा दी गई थी. जब एक महिला बहू बनकर आती है, तो हमारे भजनों के अनुसार उसे रानी कहा जाता है.

उन्होंने यह भी कहा कि द्रौपदी सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा थीं क्योंकि वह उन सभी लोगों के विनाश का माध्यम बनीं जिन्होंने उन्हें अपमानित किया था.

हमारा एक सिद्धांत है जहां हम महिलाओं को मां के रूप में देखते हैं. क्योंकि यह नारी का सर्वोत्तम रूप है. दक्षिण में, छह साल की लड़की को भी 'अम्मा' कहा जाता है.

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