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बिहार में कोरोना के बीच जहां मरीज परेशान हैं, वहीं पटना एम्स के करीब 400 नर्सिग कर्मचारी गुरूवार से हड़ताल पर चले गए, जिससे प्रशासन के सामने मरीजों के इलाज को लेकर परेशनी में बढ गई है. नर्सिग स्टाफ में अधिकांश नर्सें हैं. हड़ताल पर गईं नर्सों ने अपनी नौकरी की सुरक्षा, वेतन को बढ़ाने, हेल्थ इंश्योरेंस, स्थायी कर्मचारियों की तरह छुट्टी समेत कई मांग की है. बता दें कि ये नर्सें निविदा पर बहाल की गई हैं.
हड़ताल कर रही नर्सो का कहना है कि कोरोना काल में नसिर्ंग स्टाफ ने अभी तक बड़ा योगदान दिया है और ऐसे में इनका कोई भी साथी बीमार होता है तो उसे परमानेंट स्टाफ की तरह ही मेडिकल सुविधा मिलनी चाहिए. समान कार्य समान वेतन के केंद्र सरकार के नियम औऱ नीतियों को देखते हुए इनके वेतन को भी बढ़ाया जाना चाहिए.
बता दें कि पटना एम्स को पूरी तरह से कोरोना वायरस अस्पताल बनाया जा चुका है.
इधर, एम्स प्रशासन का कहना है कि नर्सो की कुछ मांगों को मान लिया गया है़, हालांकि इसके बावजूद अभी भी हड़ताल जारी है. प्रशासन लगातार इनसे बात कर रहा है लेकिन अभी हड़ताल जारी है. प्रशासन की तरफ से जारी एक चिट्ठी में नर्सिंग स्टाफ को हड़ताल खत्म कर लौटने के लिए कहा गया है. साथ ही ये भी चेतावनी दी गई है कि अगर कोई कोरोना से जंग की कोशिशों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा, तो वो एक्शन लेने पर मजबूर होंगे. इसी के साथ AIIMS ने अपने नोटिस में ये भी लिखा है कि किसी भी संविदा कर्मी को फिलहाल हटाया नहीं जा रहा है.
इस बीच राज्य के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि 16 से 31 जुलाई तक जिला व राज्य स्तर पर लागू 'बंदी' के दौरान मार्च से मई तक जारी 'बंदी' की तरह ही किन्हीं कारणों से अनुपस्थित रहने वाले नियमित सरकारी और संविदा कर्मियों को जुलाई माह के उनके पूर्ण वेतन का भुगतान किए जाने का निर्णय लिया गया है.त उन्होंने गुरुवार को कहा कि संविदा और आउटसोर्स के तहत काम करने वाले कर्मियों को बंदी की अवधि का उनकी नियुक्ति की शर्तो के अधीन वेतन भुगतान पूर्व की तरह ही किया जाएगा.है.
बिहार में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 30 हजार को पार कर गया है, जिसमें से 200 से अधिक संक्रमितों की अब तक मौत हो चुकी है.
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