advertisement
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से 60 बच्चों की मौत के मामले में जेल में बंद डॉ. कफील खान को जमानत मिलने के साथ ही अब ये सवाल उठाए जा रहे हैं कि उनके साथ गिरफ्तार दूसरे डॉक्टरों को जमानत कब मिलेगी. डॉ. कफील के साथ मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल आर के मिश्रा और उनकी पत्नी डॉ. पूर्णिमा मिश्रा को भी लापरवाही के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. एन्सेथिसिया विभाग के डॉ. सतीश भी जेल भेजे गए थे . लेकिन इन लोगों को अब तक बेल नहीं मिली थी.
पिछले साल गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इंसेफ्लाइटिस के शिकार 60 बच्चों की ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी से मौत हुई थी तो डॉ. मिश्रा कॉलेज के प्रिंसिपल थे. इसलिए उन पर गाज गिरी. जबकि कहा जा रहा है कि वह गैस सप्लाई करने वाली पुष्पा एजेंसी को पेमेंट करने के लिए आला अफसरों को 14 रिमाइंडर लेटर भेज चुके थे. इसके अलावा पुष्पा एजेंसी को किए गए पेमेंट का रिकार्ड भी दुरुस्त होने का दावा किया गया है.
डॉ. मिश्रा की पत्नी डॉ. पूर्णिमा मिश्रा पर यह आरोप लगाया गया था कि वह गैस सप्लायर्स से कमीशन लेती थीं. लेकिन उनका कहना है कि वह कॉलेज से जुड़ी हुई नहीं थी और न ही उन्हें कोई प्रशासनिक पद मिला था. इसलिए कमीशन लिया ही नहीं जा सकता. एन्सेथिसिया विभाग के डॉ. सतीश भी जेल भेजे गए थे . उन पर भी वही आरोप थे जो डॉ. मिश्रा पर लगाए गए थे. डॉ. मिश्रा के बेल दिए जाने के समर्थकों का कहना है कि आखिर इस मामले में पक्षपात क्यों हो रहा है.
डॉ. कफील की पत्नी लगातार अपे पति को बेल देने की मांग कर रही थीं. उनका कहना था बच्चों की मौत के मामले में डॉ. कफील का कोई हाथ नहीं है. जेल में उनकी तबीयत लगातार खराब होती जा रही है और उन्हें जान का खतरा है. इस संबंध में दायर याचिका पर फैसला करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डॉ. कफील को बेल दे दी. लेकिन उनके साथ गिरफ्तार डॉ. मिश्रा, उनकी पत्नी और पांच अन्य लोग अब भी जेल में हैं.
गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में हुई बच्चों की मौत के मामले में गिरफ्तार डॉ. कफील समेत 8 लोगों को जेल में रखा गया था था. बाहर कफील की पत्नी उनके परिवार वाले उन्हें बेगुनाह साबित करने की लड़ाई लड़ रहे हैं.
इस बीच कफील खान ने 18 अप्रैल को जेल से एक खत लिखा है. डॉक्टर कफील ने इस खत के जरिए सवाल उठाया है और पूछा है कि “क्या मैं सच में दोषी हूं.” कफील ने इस 10 पन्नों के खत के जरिए प्रशासन पर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि बड़े लेवल पर हुई प्रशासनिक नाकामी के लिए उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है. उन्होंने एक डॉक्टर के रूप में अपना फर्ज निभाया. लेकिन उन्हें ही फंसा दिया गया.
पिछले दिनों द क्विंट से बातचीत में डॉ. कफील की पत्नी डॉ. शबिस्ता ने कहा था कि उनके पति को जानबूझ कर नहीं छोड़ा जा रहा है. वे तो बच्चों के लिए मसीहा थे. लेकिन उल्टे उन्हें ही फंसा दिया गया.
ये भी देखें - गोरखपुर बीआरडी कांड: ‘सिस्टम है फेल, तो डॉ. कफील को क्यों जेल’
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)