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राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार चार साल की हो गई है. गहलोत ने अपनी सरकार के साल में कई ऐसे फैसले किए जिनका दूरगामी परिणाम सामने आएंगे, लेकिन चार साल में गहलोत सरकार के चार फैसले जनता की कसौटी में बेहद लुभावने और जनहित के रहे, जिन्होंने देश भर में हलचल मचा दी. गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इन मुद्दों की खास चर्चा भी रही. कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम यानी OPS ने केन्द्र में बैठी बीजेपी को भी चक्कर में डाल दिया. मनरेगा की तर्ज पर शहरी रोजगार योजना देश में नई शुरुआत मानी जा रही है. गहलोत सरकार की चिंरजीवी, निरोगी राजस्थान, उड़ान जैसी योजनाओं ने आम जनता को स्वास्थ्य चिंता से मुक्त दिलाने में मील का पत्थर गढ़ दिया. पुलिस थानों में अनिवार्य FIR के निर्णय से गहलोत सरकार ने अपराध बढ़ने की निंदा झेली, लेकिन कदम पीछे नहीं हटाए.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी इच्छाशक्ति से राजकीय कार्मिकों को रिटायर्मेंट के बाद भी सुरक्षा का अहसास कराने के लिए फिर से ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की. इच्छाशक्ति इस लिए कि यह मालूम होने के बावजूद भी कि इस स्कीम को लेकर केन्द्र सरकार आड़े आएगी. गहलोत ने कदम पीछे नहीं हटाया. गहलोत की देखादेखी गैर कांग्रेस राज्यों ने भी इस स्कीम को लेकर केन्द्र को आंखे दिखा दी. आज पूरे देश भर के कर्मचारी जगत में इस ओपीएस को लेकर चर्चा है. केन्द्र में बैठी बीजेपी भी इस मुद्दे का तोड़ तलाशने में जुटी है.
प्रदेश में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के दौरान केवल 19 प्रतिशत परिवार ही स्वास्थ्य बीमा के दायरे में थे, लेकिन पांचवें सर्वे के अनुसार अब राजस्थान के 88 प्रतिशत परिवार स्वास्थ्य बीमा से जुड़े हैं, जिसके चलते राजस्थान, देश में पहले स्थान पर है. इसका श्रेय केवल और केवल ‘‘मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना‘‘ को जाता है, जिसके चलते प्रदेश के लोग महंगे इलाज की चिंता से मुक्त हो गए हैं.
राजस्थान में 'रोजगार की गारंटी' योजना अब शहरों में भी लागू हो गई है. सरकार का दावा है कि बेरोजगारों को काम देने वाली यह देश की पहली सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना है, जो राजस्थान में शुरू हुई है. योजना की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गांवों की तर्ज पर शहरों में भी हर हाथ को रोजगार मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार गंभीर है. पूरे देश में सबसे पहले राजस्थान के शहरवासियों को रोजगार देने के लिए 'इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना' के रूप में ऐतिहासिक पहल की गई है.
किसी शासन में सुशासन का दावा किया जाए तो उसका आकलन वहां की कानून व्यवस्था के आधार पर किया जाता है. इस व्यवस्था को तौलने का पैमाना दर्ज एफआईआर होती है. मुख्यमंत्री गहलोत ने इसकी परवाह किए बगैर देश में सबसे पहले राजस्थान में FIR दर्ज करने की गाइडलाइन जारी की. इससे प्रदेश में मुकदमों की संख्या में भारी इजाफा हुआ लेकिन गहलोत इससे विचलित नहीं हुए. उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री तक को इस विश्वास के साथ पत्र भी लिखा कि आज नहीं तो कल देश भर में अनिवार्य FIR लागू करने का कानून बनाया जाएगा.
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