advertisement
असम (Assam) के नगांव में शनिवार, 22 जनवरी को पुलिस ने एक पूर्व छात्र नेता को ड्रग पेडलर होने के संदेह में पैर में गोली मार दी. छात्र की पहचान नागांव जिले के कचलुखुआ क्षेत्र के कीर्ति कमल बोरा के रूप में हुई है. इस घटना के बाद गुस्साए छात्रों की भीड़ ने रविवार 23 जनवरी को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान छात्रों ने रोड जाम कर असम पुलिस और नगांव के एसपी आनंद मिश्रा के खिलाफ नारेबाजी की.
पीड़ित छात्र ने बताया कि वह घर जा रहा था जब उसने देखा कि कुछ पुलिसकर्मी किसी की पिटाई कर रहे हैं, जब उसने पूछा कि क्या हो रहा है, तो पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर उसके साथ गाली-गलौज की
पुलिस के व्यवहार का विरोध करने पर, उसने आरोप लगाया कि उसे उसकी बाइक से घसीटा गया और उसके साथ मारपीट की गई. इसके बाद उनके पैर में गोली मार दी गई.
हालांकि, नगांव के एसपी, आनंद मिश्रा ने दावा किया कि श्री बोरा पर अवैध ड्रग व्यापार में शामिल होने का संदेह था और उन्हें गोली मार दी गई क्योंकि उन्होंने एक पुलिस अधिकारी के साथ मारपीट की थी.
एक छात्र ने कहा, "हम कीर्ति कमल बोरा के लिए न्याय चाहते हैं. पुलिस बिना किसी कारण के उनके पैर में कैसे गोली मार सकती है. हम पुलिसकर्मियों के इस तरह के व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेंगे."
विरोध में पीड़िता की मां ने भी हिस्सा लिया. मां ने बताया "मेरा बेटा निर्दोष था। उसने कुछ भी गलत नहीं किया है, फिर पुलिसकर्मियों ने उसे क्यों गोली मार दी. मुझे अपने बेटे के लिए न्याय चाहिए."
प्रदर्शनकारी द्वारा किए गए हंगामे के बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 23 जनवरी को राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इस घटना की एक सदस्यीय जांच आयोग बनाने की घोषणा की है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि, "रिपोर्ट सात दिनों के अंदर सौंपी जानी चाहिए. उन्होंने गुवाहाटी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "अगर जांच में पुलिस की गलती सामने आती है तो तुरंत कार्रवाई की जाएगी."
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)