Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019States Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019रोहतक रैली:भूपिंदर हुड्डा ने 370 ही नहीं, बगावत के और भी संकेत दिए

रोहतक रैली:भूपिंदर हुड्डा ने 370 ही नहीं, बगावत के और भी संकेत दिए

क्या हरियाणा कांग्रेस में अशोक तंवर बनाम भूपिंदर हुड्डा की लड़ाई है?

क्विंट हिंदी
राज्य
Updated:
‘महा परिवर्तन रैली’ में भूपिंदर सिंह हुड्डा
i
‘महा परिवर्तन रैली’ में भूपिंदर सिंह हुड्डा
(फोटो: PTI) 

advertisement

हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 18 अगस्त को जो बातें कही हैं, उनसे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. दरअसल हुड्डा ने रोहतक की 'महा परिवर्तन रैली' में आर्टिकल 370 के मुद्दे पर कहा कि कांग्रेस अपनी राह से भटक गई है और यह पहले वाली पार्टी नहीं रह गई है. इतना ही नहीं, हुड्डा ने ऐलान किया कि एक 25 सदस्यीय कमेटी उनके धड़े का भविष्य तय करेगी. ऐसे में सवाल उठता है कि हुड्डा के इस 'बागी' रुख के क्या मायने हैं? चलिए, इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं.

क्यों हुड्डा की बातों को बगावत का संकेत माना जाने लगा?

'महा परिवर्तन रैली' में भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि वह अपनी पार्टी के उन नेताओं से सहमत नहीं हैं, जिन्होंने आर्टिकल 370 के बेअसर होने का विरोध किया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा, ''कांग्रेस अपनी राह से भटक गई है, यह अब पहले वाली कांग्रेस नहीं रह गई...मैं स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार से हूं. मैंने कभी भी राष्ट्रीय हितों से ना तो समझौता किया है और ना ही करूंगा.'' अगर हुड्डा का बयान यहीं तक सीमित होता तो शायद उनके बयान को पार्टी के खिलाफ बगावत के संकेत के तौर पर नहीं देखा जाता क्योंकि हाल ही में आर्टिकल 370 के मुद्दे पर कई बड़े कांग्रेसी नेताओं की अलग-अलग राय सामने आई हैं. मगर हुड्डा ने अपने भविष्य के कदम को लेकर कहा-

‘‘मैं एक कमेटी का गठन करूंगा, जिसमें मेरा समर्थन करने वाले 13 मौजूदा विधायक होंगे और राज्य के 12 दूसरे अहम नेता होंगे. यह कमेटी जो भी फैसला करेगी, मैं वो करूंगा.’’ 
भूपिंदर सिंह हुड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री, हरियाणा
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

क्या चाहते हैं हुड्डा और उनके समर्थक?

2 बार मुख्यमंत्री, 4 बार सांसद और 4 बार विधायक रहे भूपिंदर सिंह हुड्डा का कद आज भी हरियाणा कांग्रेस में दूसरे नेताओं की तुलना में कहीं ऊपर दिखता है. ऐसे में हुड्डा और उनके समर्थक मानते हैं कि कांग्रेस हुड्डा के नेतृत्व में बेहतर प्रदर्शन कर सकती है, जबकि फिलहाल हरियाणा कांग्रेस की कमान अशोक तंवर के हाथों में है. तंवर को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का करीबी माना जाता है.

हरियाणा में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. कहा जा रहा है कि हुड्डा का धड़ा इस चुनाव के लिए उम्मीदवारों का चयन भी अपने हिसाब से करना चाहता है.

बात अशोक तंवर की करें तो वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर बहुत से नेताओं का भरोसा जीतने में नाकाम साबित हुए हैं.

तंवर ने हरियाणा में अपना पहला चुनाव साल 2009 में लड़ा था और वह सिरसा संसदीय क्षेत्र से जीते थे. उन्हें फरवरी 2014 में हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई.

इसके बाद हरियाणा में जितने भी चुनाव हुए, सबमें कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहा. 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को महज रोहतक की सीट पर सफलता मिली, जहां से भूपिंदर सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा चुनाव जीते.

इसके बाद अक्टूबर 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कुल 90 सीटों में से 15 सीटें ही मिलीं और वो बीजेपी (47), आईएनएलडी (19) के बाद तीसरे नंबर पर रही.

जनवरी 2019 के जींद उपचुनाव में कांग्रेस के बड़े नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला को भी ना सिर्फ हार का सामना पड़ा, बल्कि वह तीसरे स्थान पर भी रहे.

इस साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हरियाणा की 10 में से एक भी सीट को अपने नाम ना कर सकी. ऐसे में कांग्रेस के अंदर से तंवर के नेतृत्व पर सवाल उठने शुरू हो गए.

माना जा रहा है कि हुड्डा का धड़ा चाहता है कि ना सिर्फ हरियाणा कांग्रेस की कमान हुड्डा को सौंपी जाए, बल्कि पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित करे.

...तो क्या हरियाणा कांग्रेस में तंवर बनाम हुड्डा की लड़ाई है?

हरियाणा कांग्रेस में भले ही ऊपरी तौर पर दो बड़े धड़े (हुड्डा और तंवर के) दिख रहे हों. मगर पार्टी में गुटबाजी यहीं तक सीमित नहीं है. कहा जा रहा है कि इस वक्त हरियाणा कांग्रेस में कम से कम 5 गुट बने हुए हैं. इनमें भूपिंदर सिंह हुड्डा, अशोक तंवर, पूर्व मुख्यमंत्री बंसी लाल की बहू किरण चौधरी, रणदीप सुरजेवाला और पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई के गुट शामिल हैं.

हरियाणा की राजनीति में फिलहाल भूपिंदर सिंह हुड्डा के गुट को सबसे मजबूत माना जा रहा है. दरअसल तंवर, सुरजेवाला, किरण और कुलदीप को हरियाणा में 'मास लीडर' के तौर पर नहीं देखा जाता.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 19 Aug 2019,10:19 AM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT