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बिहार (Bihar) सरकार ने सोमवार (2 अक्टूबर) को जातीय आधारित गणना की रिपोर्ट जारी कर दी. अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह ने जातीय आधारित गणना की पुस्तिका का लोकार्पण किया. रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में ईबीसी और पिछड़ा वर्ग की आबादी सबसे अधिक है. वहीं, हिंदू आबादी 81.99 प्रतिशत और मुस्लिम 17.70 फीसदी बताया गया है. जबकि कोई धर्म नहीं मानने वालों की संख्या 0.0016% है.
हिंदू - 81.99% (107192958)
इस्लाम - 17.70% (23149925)
ईसाई - 0.05% (75238)
सिख - 0.011% (14753)
बौद्ध - 0.0851% (111201)
जैन - 0.0096% (12523)
अन्य धर्म - 0.1274% (166566)
कोई धर्म नहीं - 0.0016% (2146
पिछड़ा वर्ग - 27.1286% (3,54,63,936)
अत्यंत पिछड़ा वर्ग - 36.0148% (4,70,80,514)
अनुसूचित जाति - 19.6518% (2,56,89,820)
अनुसूचित जनजाति - 1.6824% (21,99,361)
अनारक्षित 15.5224% (2,02,91,679)
प्रेस कांफ्रेंस में बताया गया कि राज्य में जातिगत जनसंख्या 13 करोड़ से ज्यादा है. अधिकारियों के मुताबिक जाति आधारित गणना में कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 बताई गई है.
जाति आधारित गणना की रिपोर्ट को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेशवासियों को बधाई दी है. उन्होंने लिखा"आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं. जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई !
सीएम ने आगे कहा...
सीएम ने जानकारी दी कि बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना को लेकर शीघ्र ही बिहार विधानसभा के उन्हीं 9 दलों (जिनकी सहमति से निर्णय हुआ था) की बैठक बुलाई जाएगी और जाति आधारित गणना के परिणामों से उन्हें अवगत कराया जाएगा.
आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने कहा "आज गांधी जयंती पर इस ऐतिहासिक क्षण के हम सब साक्षी बने हैं. बीजेपी की अनेकों साजिशों, कानूनी अड़चनों और तमाम षड्यंत्र के बावजूद आज बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वे को रिलीज किया. लालू यादव ने आगे कहा...
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने 7 जनवरी से राज्य में जाति आधारित सर्वेक्षण का पहला चरण शुरू किया था, जो 21 जनवरी को समाप्त हुआ. इस दौरान राज्य के सभी घरों की संख्या की गणना कर उसे आंकड़े रिकॉर्ड किए गए. 15 अप्रैल से दूसरे चरण का काम शुरू हुआ, जो कोर्ट में मामला पहुंचने के कारण अगस्त तक चला. दूसरे चरण के तहत, घरों में रहने वाले लोगों, उनकी जाति, उपजाति, सामाजिक-आर्थिक स्थिति आदि के बारे में जानकारी जुटाई गई.
फिलहाल, जाति आधारित गणना का मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है. पटना हाईकोर्ट ने बिहार में जाति आधारित गणना को रोकनेवाली याचिकाएं खारिज कर दीं थीं और जाति गणना को लेकर बिहार सरकार को हरी झंडी दे दी थी. हाईकोर्ट के इस आदेश को एक गैर सरकारी संगठन 'एक सोच एक प्रयास' और कई अन्य संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी. उन्होंने जाति आधारित गणना पर रोक लगाने की मांग की थी. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि वे बिना किसी विस्तृत सुनवाई के अंतरिम आदेश पारित नहीं देंगे.
इस मामले में पिछली सुनवाई छह सितंबर को हुई थी. जिसके बाद कोर्ट ने बिहार सरकार के सुनवाई टालने की मांग को स्वीकार कर लिया और अक्टूबर तक सुनवाई टाल दी गई. कोर्ट ने अब अगली सुनवाई तीन अक्टूबर के बाद करने की बात कही.
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