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बिहार (Bihar) में जातीय सर्वे के बाद अब नीतीश सरकार राज्य में शराबबंदी का सर्वे कराएगी. इसके लिए नीतीश सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं. सीएम ने कहा कि सर्वे के लिए शराबबंदी के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव की भी जानकारी हासिल की जाएगी. साथ ही शहर और ग्रामीण इलाकों के साथ परिवार और समाज पर इसका कैसा असर रहा, इसकी रिपोर्ट भी तैयार कराई जाएगी.
पटना में "नशा मुक्ति दिवस" के मौके पर सीएम नीतीश ने कहा कि शराबबंदी लागू होने के बाद से कितने लोगों ने शराब छोड़ी और कितने लोग शराबबंदी के पक्ष और विपक्ष में हैं, इसका पता चलेगा. इस सर्वे के लिए जो खर्चा आएगा, वो राज्य सरकार देगी. नीतीश ने एक-एक घर का सर्वे करने का आदेश दिया.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, "हर दिन पुलिस अधिकारी हमको रिपोर्ट देते हैं लेकिन हमको समझ में नहीं आता है कि कैसे कोई बाहर से शराब लेकर चला आता है. इसको लेकर अलर्ट रहिए."
उन्होंने आगे कहा, "पिछली बार जब हमने आपको सर्वेक्षण करने के लिए कहा तो आप लोग सीमित क्षेत्र को देखकर बोल देते हैं. लेकिन जैसे हमने जातीय आधारित सर्वे करवाया है वैसे ही ये सर्वे होना चाहिए और देखिए कैसे क्या हो रहा है. हम चाहते हैं कि आप एक-एक घर में जाकर के जरा शराबबंदी के बारे में पूछिए."
इसी साल फरवरी में जारी रिपोर्ट में राज्य की 99 प्रतिशत महिलाओं ने शराबबंदी का समर्थन किया था. वहीं, 92 प्रतिशत पुरुष आबादी भी शराबबंदी के पक्ष में थी. सर्वे रिपोर्ट में बताया गया था कि करीब 96 प्रतिशत लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है.
2022 में चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय ने एएन सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान के शोध पदाधिकारियों के सहयोग से चार हजार लोगों पर सैंपल सर्वे तैयार किया था.
(इनपुट-महीप राज)
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