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छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) के बिल्हा में हरीश गेंदले की आत्महत्या का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा. परिजनों का आरोप है कि हरीश ने बिल्हा थाना पुलिस की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या की थी. मृतक के परिजनों ने युवक का शव लेने से मना कर दिया था, लेकिन पुलिस की भारी कोशिशों के बाद परिवार ने 3 दिन बीत जाने के बाद 2 नवंबर को शव का अंतिम संस्कार किया. मानवाधिकार आयोग ने भी छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया गया है.
28 नवंबर की देर रात बिल्हा के रहने वाले हरीश गेंदले नाम के युवक ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली थी. घटना के बाद ग्रामीणों ने बिल्हा थाने का घेराव कर पुलिस पर युवक को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था. मामले में एसएसपी पारुल माथुर ने आरक्षक को सस्पेंड कर दिया था और जांच के लिए पुलिस अधिकारियों टीम भी गठित कर दी है. लेकिन परिजन कार्रवाई की मांग पर अड़े रहे और पोस्टमार्टम के बाद शव लेने से इनकार कर दिया. दरअसल परिजन युवक को कथित तौर पर प्रताड़ित करने वाले आरक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे.
28 नवंबर को ही चार स्कूली छात्राओं ने पुलिस में हरीश की शिकायत की. हरीश के पिता ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि ये छात्राओं की साइकिल से हरीश की बाइक टकराने का मामूली विवाद था. छात्राओं की शिकायत पर बिल्हा थाना पुलिस मौके पर पहुंची और युवक को थाने ले गई.
परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने युवक से मारपीट की. मान-मुनव्वल के बाद शिकायत करने वाली छात्राएं तो मान गईं पर एक पुलिसकर्मी ने हरीश को थाने में बैठा रखा और देर शाम रात तक उससे पैसे की मांग करता रहा. आरोप है कि इसी प्रताड़ना से तंग आकर हरीश ने ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली..
मामले में मनावधिकार आयोग ने छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है. नोटिस में पूछा गया है कि मामले में जिम्मेदार पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई सहित पीड़ित परिवार को कोई राहत दी गई है या नहीं?
आयोग ने छत्तीसगढ़ राज्य के लिए अपने विशेष प्रतिवेदक उमेश कुमार शर्मा को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में संबंधित पुलिस स्टेशन का दौरा करने के लिए कहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि डी.के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य 1997 (1) SCC 416 में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का संबंधित जिले के पुलिस अधिकारियों द्वारा कैसे उल्लंघन किया गया है.
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