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COVID-19 महामारी के बीच शिवराज यूनिवर्सिटी के भगवाकरण में ‘व्यस्त’

राज्य में 19 अप्रैल तक 1400 से ज्यादा कोरोना वायरस के मामले आ चुके हैं.

काशिफ काकवी
राज्य
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राज्य में 19 अप्रैल तक 1400 से ज्यादा कोरोना वायरस के मामले आ चुके हैं.
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राज्य में 19 अप्रैल तक 1400 से ज्यादा कोरोना वायरस के मामले आ चुके हैं.
(फोटो: एरम गौर/क्विंट)

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मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. ऐसे में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपना समय राज्य की प्रीमियर जर्नलिज्म यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर और प्रोफेसरों को हटाने में लगा रहे हैं. जिन प्रोफेसरों को हटाया गया है, उनमें RSS के आलोचक और गांधीवादी विचारधारा को मानने वाले शामिल हैं.

राज्य में 19 अप्रैल तक 1400 से ज्यादा कोरोना वायरस के मामले आ चुके हैं. संक्रमण से मरने वालों की संख्या 75 से पार जा चुकी है.  

सरकार बनाने के 28 दिन बाद भी राज्य में कोई गृह मंत्री या स्वास्थ्य मंत्री नहीं है. साथ ही 90 से ज्यादा मेडिकल अधिकारी और 4 आईएएस अफसर संक्रमित हैं.

माखनलाल चतुर्वेदी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन (MCNUJC) के वीसी दीपक तिवारी के इस्तीफा देने के एक दिन बाद ही, राज्य सरकार ने रविवार को पी नरहरि को वीसी नियुक्त कर दिया. नरहरि पब्लिक रिलेशंस डिपार्टमेंट के सचिव हैं.

सूत्रों के मुताबिक, तिवारी को मुख्यमंत्री ऑफिस से इस्तीफा देने के लिए कॉल मिल रहे थे. ये चौहान के 23 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से हो रहा था.

कुछ घंटों बाद ही यूनिवर्सिटी ने दो एडजंक्ट प्रोफेसर को निकाल दिया. ये प्रोफेसर गांधीवादी स्टडीज में रिसर्च स्कॉलर अरुण त्रिपाठी और विष्णु राजगढ़िया हैं. इन दोनों को पूर्व वीसी ने नियुक्त किया था. त्रिपाठी जर्नलिज्म और राजगढ़िया मास कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट में पढ़ा रहे थे.

इसके अलावा यूनिवर्सिटी ने आरएसएस समर्थक प्रोफेसर संजय द्विवेदी को दीपेंद्र बघेल की जगह नया रजिस्ट्रार नियुक्त किया है. ये भी रविवार को ही किया गया.

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RSS के आलोचकों को भी निकाला गया

यूनिवर्सिटी ने एडजंक्ट प्रोफेसर मुकेश कुमार को भी 16 अप्रैल को निकाल दिया. मुकेश को आरएसएस की आलोचना करने की वजह से निकाला गया है. कुमार को भी पूर्व सीवी के कार्यकाल में ही नियुक्त किया गया था.

मुकेश कुमार ने कहा, "मैं बीजेपी और आरएसएस का आलोचक हूं और सरकार बदलते ही वो मुझे बाहर निकालने के बहाने ढूंढने लगे. जब से मैंने यूनिवर्सिटी ज्वॉइन की है, वो मुझे टारगेट करते हैं क्योंकि मैं मोदी सरकार का आलोचक हूं. मैं बीजेपी और आरएसएस के हिंदुत्व अजेंडे का विरोध करता हूं."

राज्य में कांग्रेस की सरकार आने के बाद भी प्रोफेसरों को ऐसे ही हटाया और निकाला गया था. उस समय वीसी जगदीश उपासने को कथित तौर पर इस्तीफा देने को कहा गया था. फिर जर्नलिस्ट और लेखक तिवारी को नियुक्त किया गया था.  

चौहान पर निशाना साधते हुए कांग्रेस मीडिया इंचार्ज और पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने कहा, "मुख्यमंत्री के पास कोरोना वायरस महामारी की वजह से कैबिनेट विस्तार का समय नहीं है, लेकिन प्रोफेसरों को हटाने और निकालने के लिए बहुत समय है."

सब जानते हैं कि यूनिवर्सिटी बीजेपी-आरएसएस का गढ़ है. जब कांग्रेस की सरकार आई थी तो उसने कैंपस से आरएसएस की विचारधारा खत्म करने की कोशिश की थी. लेकिन हालात फिर वही हो गए. 
जीतू पटवारी

शिक्षाविद अरुण गुतरु का कहना है कि माखनलाल यूनिवर्सिटी बीजेपी और कांग्रेस के बीच शक्ति प्रदर्शन की केंद्र बन गई है. जब भी सरकार बदलती है, यूनिवर्सिटी में भी बदलाव होते हैं.

गुतरु ने कहा, "जब सरकार में कोई शिक्षा मंत्री नहीं है, लॉकडाउन में सभी यूनिवर्सिटी और ऑफिस बंद हैं, सीएम चौहान अकेले व्यक्ति हैं जो ये सब बदलाव कर रहे हैं. वो लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार कर सकते थे, ऐसी क्या जल्दी थी?"

(काशिफ ककवी भोपाल के फ्रीलांस पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @KashifKakvi है. आलेख में दिये गए विचार उनके निजी विचार हैं और क्विंट का उससे सहमत होना जरूरी नहीं है )

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