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बीते वीकेंड से महाराष्ट्र में कोरोना के मामलों में उछाल देखा गया है, इस रविवार 14 फरवरी को 4092 नए मामलों और 15 फरवरी को 2697 नए मामलों के साथ यहां एक्टिव केसों की संख्या 37146 हो गई है.
रविवार को 645 नए मामले सिर्फ मुंबई में रिपोर्ट किए गए. ये 13 जनवरी के बाद से मुंबई में रिकॉर्ड किए गए मामलों में सबसे ज्यादा है.
कोरोना महामारी की शुरुआत से ही महाराष्ट्र इससे बुरी तरह प्रभावित राज्यों में से एक रहा है. लेकिन जब 15 जनवरी से नए मामलों में आ रही गिरावट को देख कर कोरोना से राहत की उम्मीद बन रही थी, तो पिछले हफ्ते अचानक नये मामलों में बढ़ोतरी से साफ हो रहा है कि महामारी अभी खत्म होने की कगार पर नहीं है.
14 फरवरी लगातार चौथा दिन रहा, जब महाराष्ट्र में 3 हजार से ज्यादा नए मामले दर्ज किए गए.
मुंबई में मामलों में लगातार वृद्धि राज्य में अनलॉक के साथ देखी गई है. स्कूल और कॉलेज फिर से खुल रहे हैं.
महाराष्ट्र के सार्वजनिक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री राजेश टोपे ने कहा, "मुझे लगता है कि कोरोना के मामले कई कारणों से बढ़ रहे हैं, जिसमें लोकल ट्रेनों को शुरू करना भी शामिल है."
पुणे में शनिवार, 13 फरवरी और रविवार, 14 फरवरी को क्रमशः 621 और 617 नए मामले दर्ज किए गए, ये 13 जनवरी के बाद से पुणे में सबसे अधिक कोरोना के मामले हैं.
नागपुर में भी पिछले एक हफ्ते में मामलों की संख्या में तेजी देखी गई है, जो कि सोमवार, 8 फरवरी को 258, शनिवार, 13 फरवरी को 517 और रविवार, 14 फरवरी को 509 रही.
मुंबई में इंटरनल मेडिसिन एक्सपर्ट और ‘The Coronavirus: What You Need to Know About the Global Pandemic’ के लेखक डॉ स्वप्निल पारिख कहते हैं, "चिंता का कारण कभी दूर नहीं हुआ."
उन्होंने कहा कि पाबंदियों में सख्ती और ढील से दूसरे देशों में कोरोना की कई लहर देखी गई है और ये अपेक्षित है.
डॉ पारिख के अनुसार, एक पैथोजन के ट्रांसमिशन की डिग्री तीन मुख्य कारकों पर निर्भर करती है: एजेंट, होस्ट और पर्यावरण, और इन तीनों का मिला-जुला असर.
जबकि एजेंट (वायरस) का नया म्यूटेटिंग वैरिएंट अपने आप में चिंता का कारण है, बदलते तापमान के साथ-साथ इसके जवाब में हमारा व्यवहार संक्रमण के प्रसार में एक प्रमुख भूमिका निभाता है.
मुंबई के जसलोक हॉस्पिटल में वायरोलॉजिस्ट डॉ ओम श्रीवास्तव के मुताबिक कोरोना मामलों में ये बढ़ोतरी दूसरी लहर का संकेत करती है या नहीं, अभी इस पर कुछ कहना जल्दबाजी होगी. लेकिन वो ये भी कहते हैं कि हमें सतर्क रहने की जरूरत है और इन नंबर्स पर कड़ी नजर रखनी होगी.
वैक्सीन आने और कोरोना के नए मामलों में गिरावट के कारण एक तरह की लापरवाही आई है और सार्वजनिक जगह बड़ी तादाद के साथ खुल रहे हैं और इसके साथ ही मास्क, फिजिकल डिस्टेन्सिंग, सैनिटाइजेशन जैसे सेफ्टी प्रोटोकॉल को नजरअंदाज किया जा रहा है. ये चीजें दूसरी लहर की न्योता देने जैसी हैं.
जबकि स्कूल, ऑफिस और व्यावसायिक प्रतिष्ठान खुलने की प्रक्रिया में हैं क्योंकि हम धीरे-धीरे लॉकडाउन से बाहर आ रहे हैं, लेकिन भारत अभी भी वैश्विक स्तर पर कोरोना के सबसे ज्यादा मामलों में दूसरे नबंर पर है.
भले ही देश में 16 जनवरी से टीकाकरण अभियान शुरू हो चुका है, लेकिन ये अभी सिर्फ हेल्यकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए है.
कुल मिलाकर वैक्सीन अभी हमारी पहुंच से दूर है. कोरोना महामारी साल 2020 के साथ पीछे नहीं छूटी है. हमें अभी भी वायरस से खतरा है और इसलिए सभी सावधानियों को पालन करना जरूरी है.
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