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यूपी सरकार की कोरोना टेस्टिंग पॉलिसी को लेकर सवाल उठाने वाले एक पूर्व आईएएस अधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है. पूर्व IAS अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह पर आरोप है कि उन्होंने महामारी के दौरान अफवाह फैलाने का काम किया है. FIR दर्ज होने के बाद सूर्य प्रताप सिंह ने ट्वीट कर कहा है कि मुकदमा दर्ज कर अगर आवाज दबाने की कोशिश है तो वो रुकने वाले नहीं हैं.
FIR पर भी सूर्य प्रताप सिंह ने सवाल उठाया है, उनका कहना है कि जो धाराएं लगाई गई हैं वो सरकारी कर्मचारियों पर लगने वाली धाराएं हैं और वो चार साल पहले ही रिटायरमेंट ले चुके हैं.
इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा कि वो किसी सरकार के खिलाफ नहीं हैं बल्कि ये चाहते हैं कि टेस्टिंग की संख्या बढ़ाई जाए.
द प्रिंट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व आईएएस अधिकारी पर ये एफआईआर उनके ट्वीट के बाद हुई. उन्होंने बुधवार को एक ट्वीट किया था, जिसमें पूर्व अधिकारी ने यूपी के चीफ सेक्रेट्री पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने कुछ जिलाधिकारियों को कोरोना की ज्यादा टेस्टिंग को लेकर धमकाया है. पूर्व आईएएस अधिकारी ने अपने ट्वीट में लिखा था,
रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व अधिकारी के खिलाफ लखनऊ के हजरतगंज थाने में दाखिल हुई एफआईआर में कहा गया है कि उनका ट्वीट भ्रामक था और नुकसान पहुंचाने वाला था. इससे लोगों में कंफ्यूजन पैदा हो सकती है.
FIR दर्ज होने के बावजूद सूर्य प्रताप सिंह एक के बाद एक ट्वीट किए जा रहे हैं. उनके ज्यादातर ट्वीट्स यूपी में कोरोना टेस्टिंग पर सवाल खड़ें करने वाले हैं. ऐसे ही एक ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि पिछले 25 दिनों में नोएडा में 4 हजार और गजियाबाद में 7.5 हजा कोरोना की जांच हुई है. दोनों जिलों की संयुक्त आबादी 65 लाख से ऊपर है. दिल्ली या मुंबई से आबादी के सापेक्ष कुल जांचों की संख्या मंगवा लीजिए, उत्तरप्रदेश सरकार का झूठ पकड़ा जाएगा.
इस ट्वीट के आखिर में उन्होंने लिखा है- पॉलिसी एक ‘नो टेस्ट, नो कोरोना’. साफ है कि पूर्व IAS ऑफिसर का दावा है कि टेस्टिंग इसलिए कम कराई जा रही है जिससे कोरोना संक्रमितों की ज्यादा संख्या सामने न आ सके.
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