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नोएडा, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ के गांवों पर कोरोना अटैक

पश्चिमी यूपी के जिलों के अलग-अलग इलाकों से त्रासदी की कहानियों में ज्यादा कमी आती नहीं दिखी रही है...

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राज्य
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(फोटो: PTI/Altered By Quint Hindi)
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(फोटो: PTI/Altered By Quint Hindi)

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सरकारी आंकड़ों में उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के केस लगातार कम होते दिख रहे हैं. 7 मई से इसमें लगातार गिरावट देखने को मिली है, 13 मई को जारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 17,775 नए केस सामने आए हैं. लेकिन इसमें ध्यान देने वाले बात ये है कि पिछले करीब एक हफ्ते से सबसे ज्यादा कोरोना वायरस के नए मामले पश्चिमी यूपी के मेरठ जिले से आए हैं. लखनऊ को पीछे छोड़ इस जिले में 10 मई को 2269 , 11 मई को 1368, 12 मई को 1232 और 13 मई को 1070 नए मामले और 15 मौतें दर्ज की गई हैं. ये इन तारीखों में यूपी के किसी जिले में आए सबसे ज्यादा एक्टिव केस हैं.

इसी तरह कोरोना वायरस संक्रमण से सबसे प्रभावित जिलों में गौतमबुद्ध नगर का भी नाम शामिल है. जब पूरे यूपी में कोरोना वायरस के आंकड़े कम होते दिख रहे हैं, नंबर के लिहाज से पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत, गाजियाबाद जैसे जिलों में आंकड़े तो कम हुए हैं लेकिन इन जिलों के अलग-अलग इलाकों से त्रासदी की कहानियों में ज्यादा कमी आती नहीं दिखी है.

मेरठ में मंत्री की मौजूदगी में रिक्शे में मौत

'त्रासदी' का ऐसा ही वाकया पश्चिमी यूपी के मेरठ में तब देखने को मिला जब एक तरफ राज्य सरकार में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा मेरठ में कोरोना कंट्रोल को लेकर जायजा ले रहे थे, तो दूसरी तरफ मेरठ के ही एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में एक महिला ने रिक्शे में दम तोड़ दिया. मी़डिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये महिला ई-रिक्शे पर बैठकर कुछ घंटों तक भटकती रही. बेड नहीं मिला और ई-रिक्शे में ही उसकी मौत हो गई.

मेरठ से सांसद पहले ही सीएम योगी को खत लिख चुके हैं. अब नया खत बीजेपी के राज्यसभा सांसद विजयपाल सिंह तोमर ने स्वास्थ्य मंत्री को लिखा है. इस लेटर में उन्होंने मेडिकल कॉलेज पर कई जिलों के भार और ऑक्सीजन की कमी के बारे में लिखा है. साथ ही ऑक्सीजन प्लांट लगवाने की बात रखी है

शामली में कूड़ा उठाने वाली गाड़ी से श्मशान घाट ले जाया गया शव

ऐसी ही शर्मसार कर देने वाली खबर पश्चिमी यूपी के शामली से भी आई है. यहां हाल ही में एक शख्स को मजबूर होकर अपनी बहन के शव को कूड़ा उठाने वाली गाड़ी से श्मशान ले जाना पड़ा. मामला जलालाबाद कस्बे का है, जहां पर एक शख्स के बहन की मौत हो गई, पड़ोसियों ने कोरोना वायरस के खौफ से साथ आने को इनकार किया. आरोप है कि एंबुलेंस भी कॉल करने पर नहीं तो शख्स ने मजबूर होकर नगरपालिका कर्मचारियों को फोन करके बुलाया और कूड़ा उठाने वाली गाड़ी से शव को श्मशान घाट तक ले गया.

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गांवों का हाल बुरा?

सबको पता है कि शहर के मुकाबले गांवों का हेल्थ केयर सिस्टम कहां टिकता है. साथ ही जो हादसे-घटनाएं और मौत शहरों में खबर के तौर पर दर्ज होती हैं, गांवों में उन्हीं के हो जाने पर पता लग पाना थोड़ा मुश्किल भरा होता है. ऐसे में विपक्ष के सभी नेता गांव में टेस्टिंग और बढ़ाने और गांव में इलाज के ज्यादा से ज्यााद उपाय करने की बात कर रहे हैं. खुद यूपी सरकार पिछले कुछ दिनों में गांव-गांव में कोरोना से लड़ने का सिस्टम मजबूत करने में जुटी है.

न्यूज एजेंसी IANS की एक रिपोर्ट कहती है कि पश्चिमी यूपी के गांव कोरोना संक्रमण से खासा प्रभावित दिख रहे हैं. इनमें मुजफ्फरनगर के गांव कुछ ज्यादा प्रभावित दिख रहे हैं. हालांकि अभी तक सरकारी आंकड़ों में इनकी संख्या सामने नहीं आ पा रही है. लेकिन ग्रामीण इलाकों से आ रही रिपोर्ट में हालत काफी खराब बताई जा रही है.

रिपोर्ट के मुताबिक, माना जा रहा है कि पंचायत चुनाव के बाद संक्रमण का असर गांवों तक पहुंच गया है और महामारी से मौतें भी हो रही है. यहां पर ज्यादातर मामले तेज बुखार के सामने आ रहे हैं. इसके अलावा कुछ क्षेत्रों में सांस लेने में भी लोगों को परेशानियां हो रही हैं. ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में मरीजों का अभी तक टेस्ट नहीं हो पाया है. टेस्ट के बाद सही हालत का पता चल सकेगा. पंचायत चुनाव के बाद पश्चिमी यूपी के कई जिलों से ऐसी आशंका जताई जा रही है.

एक समाजिक कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया '' पंचायत चुनाव के बाद से कोरोना का कहर मुजफ्फरनगर जिले में टूट पड़ा. इसमें खासतौर ग्रामीण इलाके ज्यादा प्रभावित है. इलाके में लोगों को बुखार आ रहा है. बुढ़ाना तहसील और खतौली इलाके में संक्रमित बहुत ज्यादा मिले हैं. यहां पर मौतें भी हो रही है. हमारे यहां कई श्क्षिक और अन्य कर्मचारी इस संक्रमण से मर चुके है. कई गंभीर रूप से भर्ती है. यहां पर 350 के आस-पास श्क्षिक इस संक्रमण की चपेट में है. करीब 20 शिक्षक प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल के काल गाल में समाहित हो गये हैं.''

मुजफ्फरनगर के ACMO ने क्या बताया?

मुजफ्फरनगर के एसीएमओ वीके सिंह ने बताया '' खतौली, जानसठ, शहरी मुजफ्फरनगर और अर्बन इलाकों में संक्रमण ज्यादा है. इन इलाकों में सर्वे टीम लगायी गयी है. 50 टीमें अर्बन क्षेत्रों घर-घर जा कर जांच कर रही है. हर पांच टीमों पर एक-एक आरआरटी टीम काम कर रही है. जिसमें डाक्टर शामिल है. दो न्याय पंचायतों में पांच-पांच की टीम गठित है. घर में जाकर मरीज को देखती है. अगर सामान्य है तो उन्हें घर में रखने की सलाह देती है. अगर हलात गंभीर है तो उन्हें आरआरटी टीम के डाक्टर उन्हें देखते है. ग्रामीण इलाकों में काफी मुस्तैदी है. ग्रामीण इलाकों में जहां हालत खराब की सूचना मिलती है वहां टीम पहुंचकर उन्हें इलाज मुहैया करा रही है. अभी तक ग्रामीण इलाके में एंटीजन 890 सैंपल मिले थे. जिसमें 27 पॉजटिव मिले थे. पॉजटिव को होमआइसोलेट किया गया है. उन्होंने बताया कि स्टाफ की बहुत ज्यादा कमी होती है. एक तिहाई पॉजटिव हैं, इस कारण काम धीमा दिख रहा है. अभी गंभीर हालत से निपटने के लिए सीएचसी में बेडों का इंतजाम किया गया है.''

गौतमबुद्ध नगर के गांवों में कोरोना

गौतमबुद्ध नगर के गांव जैसे शाहबेरी, दुजाना, जलालपुर, सूरजपुर में लोगों को बुखार, सांस फूलने जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं और कुछ की मौत भी हो रही है. कई ऐसे गांव में बड़ी समस्या है टेस्टिंग कराना और हालत तेजी से बिगड़ने पर एक अदद हॉस्पिटल बेड हासिल करना. फिलहाल, जिला प्रशासन ने गांव में तेजी से टेस्टिंग, ट्रेसिंग का काम शुरू किया है. कुछ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोविड सेंटरों में बदले जा रहे हैं.

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