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जम्मू (Jammu) प्रशासन ने रविवार, 19 दिसंबर को बिजली विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल के बाद सेना (Indian Army) से मदद मांगी. इस हड़ताल की वजह से एक अस्पताल सहित आवश्यक सेवाएं प्रभावित हुईं है और इस कड़ाके की सर्दी के बीच जम्मू के बड़े हिस्से में अंधेरा छा गया है.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार जम्मू के पावर ट्रांसमिशन और वितरण निगमों के लाइनमैन और इंजीनियर सहित 20,000 से अधिक कर्मचारी निजीकरण और वेतन के भुगतान में देरी के प्रशासन के फैसले के खिलाफ शनिवार, 18 दिसंबर से हड़ताल पर हैं.
जम्मू के एक तिहाई से अधिक हिस्से में बिजली के बिना जम्मू के डिविजनल कमिश्नर डॉ राघव लंगर ने रक्षा मंत्रालय के 9 और 16 कोर के जनरल ऑफिसर्स कमांडिंग को एक पत्र लिखकर मदद मांगी.
पत्र में लिखा गया ,"हम भारतीय सेना को महत्वपूर्ण बिजली स्टेशनों और वाटर सप्लाई सोर्सेज के लिए जनशक्ति का प्रावधान करके आवश्यक सेवाओं की बहाली में सहायता करने की मांग करना चाहते हैं."
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 4 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जम्मू के पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीटीसीएल) और पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीटीडीएल) को पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के साथ विलय करने की घोषणा की. जिसे प्रदर्शन कर रहे कर्मचारी संपत्ति की "बिक्री" के रूप में देखते हैं. 2019 में जम्मू-कश्मीर बिजली विकास विभाग (JKPDD) के बटवारें के बाद दो निगम अस्तित्व में आए जब तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को लद्दाख और जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा गया था.
जारी हड़ताल पर जम्मू पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्प के एमडी शिव अनंत तायल ने कहा
प्रदर्शनकारियों की मांग पर जम्मू पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्प के एमडी शिव अनंत तायल ने कहा उनकी अनबंडलिंग की मांग यानी पिछली प्रणाली को लागू करना संभव नहीं है क्योंकि ये बिजली क्षेत्र के सुधार पूरे भारत में लागू किए गए हैं. हमारी मंशा प्राथमिकता के आधार पर चरणबद्ध तरीके से बिजली स्टेशनों को खोलने की है.
आंदोलन की अगुवाई कर रही जम्मू-कश्मीर बिजली कर्मचारी और इंजीनियर समन्वय समिति के अध्यक्ष जयपाल शर्मा ने कहा “जम्मू का वित्त विभाग हमें प्रतिनियुक्ति पर सरकारी कर्मचारियों के रूप में मानते हुए निगमों को ट्रेजरी से मजदूरी के भुगतान के लिए एक आदेश जारी कर सकता है. हालांकि 2019 में निगमों के गठन के बाद से, हमें दिवाली जैसे त्योहारों पर भी भुगतान नहीं किया गया है, क्योंकि हमें वेतन का भुगतान निगमों को सहायता अनुदान से किया जाता है. ”
(न्यूज इनपुट्स- इंडियन एक्सप्रेस)
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