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इलाहाबाद में संगम तट पर प्रदूषित गंगा जल देख दंडी संन्यासी भड़क गए. साथ ही योगी सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने माघ मेले के पहले स्नान पर्व का बहिष्कार कर दिया. इससे प्रशासन के हाथ पांव फूल गये और आनन-फानन में संन्यासियों के मान मनौव्वल का काम शुरू हुआ.
इलाहाबाद में 2 जनवरी से एक महीने का माघ मेला शुरू हो गया है. मेले के पहले स्नान पर्व 2 जनवरी को पौष पूर्णिमा के मौके पर संगम में साफ और निर्मल जल हीं मिलने से दंडी संन्यासी नाराज हो गए.
स्वामी प्रबंधन समिति के संरक्षक स्वामी महेशाश्रम महाराज ने नाराज होकर गंगा स्नान का बहिष्कार कर दिया. ये खबर कुछ ही देर में पूरे मेला क्षेत्र में फैल गयी और लगभग सभी साधु-संन्यासी इस बहिष्कार में शामिल हो गए.
उन्होंने साफ कह दिया कि गंगा में दूषित जल होने से साधु-संतों के साथ ही श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हो रही हैं. मेला प्रशासन को फौरन इस ओर ध्यान देना चाहिए.
संन्यासियों ने सख्त लहजे में कहा, "मां गंगा हमारी आस्था है. आस्था के साथ खिलवाड़ की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती. इस बार प्रदेश में योगी की सरकार है, बड़ी उम्मीद थी कि गंगा की साफ-सफाई हुई होगी, लेकिन गंगा इतनी प्रदूषित है. काम से काम माघ मेले में तो गंगा में पानी छोड़ देते. योगी केवल मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि एक संत भी हैं, उनसे बेहतर कौन जानता है कि संतों को क्या चाहिए गंगा के अलावा?"
जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने दंडी स्वामियों की नाराजगी को गंभीरता से लेते हुए कहा कि व्यवस्था की जा रही है. नरौरा और टिहरी बांध से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है. इससे आगे आने वाले मकर संक्रांति और मौनी अमावस्या के पर्व तक संगम में पर्याप्त स्वच्छ पानी उपलब्ध हो जाएगा. इलाहाबाद में बगैर शोधन के गंगा में छोड़े जा रहे नालों को भी गंगा प्रदूषण ईकाई द्वारा टेप करने की कार्रवाई शुरू की गयी है ताकि स्वच्छ जल उपलब्ध हो सके.
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