advertisement
वाराणसी (Varanasi) के ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanwapi Masjid) के दक्षिणी तहखाने में वाराणसी जिला अदालत के आदेश के बाद 31 जनवरी से पूजा शुरू हो गयी. जिला प्रशासन ने अदालत के आदेश के अनुसार इंतजाम करवाए हैं. 1 फरवरी को पहले महिलाओं ने पूजन किया. इसके बाद से तहखाने में स्थित देवी-देवताओं के दर्शन आम श्रद्धालुओं के लिए भी शुरू हो गए हैं.
2 फरवरी को यहां दर्शन करने पहुंचे काशी विद्वत परिषद के लोगों ने तहखाने का नाम बदलकर "ज्ञान तालगृह" रख दिया है. काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की ओर से तहखाना में राग, भोग और आरती शुरू की गई है.
अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे के दौरान तहखाने में मिली 5 प्रतिमाओं को जिलाधिकारी वाराणसी के पास रखा गया था. कोर्ट से पूजा के अधिकार पर फैसला आने के बाद इन मूर्तियों को तहखाना में रखकर पूजा पाठ शुरू कराया गया है. सर्वे में गणेश, शिवलिंग, हनुमान, विष्णु और घड़ियाल की प्रतिमा मिली है.
व्यास तहखाना में 30 साल बाद दर्शन और पूजा शुरू होने के बाद से वहां लोगों का आना-जाना बढ़ गया है. संत समाज के साथ काशी विद्वत परिषद के पदाधिकारियों ने भी यहां पूजन किया. काशी विद्वत परिषद के महामंत्री और बीएचयू के प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने कहा कि तहखाना उचित नाम नहीं है. अब इसका शास्त्र से उत्सर्जित नाम "ज्ञान तालगृह" रहेगा. इस पर अखिल भारतीय संघ समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने नामकरण का स्वागत किया.
ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा भले ही शुरू हो गई है लेकिन दर्शन बाहर से ही कराया जा रहा है. फिलहाल अंदर जाने की अनुमति किसी को नहीं है. काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने बताया कि मंदिर की पूजा पाठ की जिम्मेदारी काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के पास है. दर्शन-पूजन के लिए कोई बाधा नहीं है, फिलहाल बाहर से ही दर्शन कराया जा रहा है.
वाराणसी के जिला जज अजय कृष्ण विश्वेस ने बीते 31 जनवरी को सोमनाथ व्यास के तहखाना में बंद पूजा पाठ को फिर से शुरू करने का आदेश दिया था. सन 1992 के बाद 31 जनवरी की रात लगभग 30 साल बाद यहां धूप और दीप जले. इसका हिंदू समाज ने स्वागत किया तो मुस्लिम समाज विरोध कर रहा है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)