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देश की आजादी के 75वें वर्षगांठ के मौके पर केंद्र सरकार "हर घर तिरंगा" (Har Ghar Tiranga) अभियान चला रही है. लेकिन कई जगहों पर इस अभियान के नाम पर लोगों को तिरंगा लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है. ऐसा ही मामला हरियाणा (Haryana) के करनाल (Karnal) में सामने आया है. जहां डिपो धारक जबरदस्ती लोगों को तिरंगा लेने के लिए बाध्य कर रहा था. मामला सामने आने के बाद डिपो धारक पर गाज गिरी है.
मामला करनाल के हेमदा गांव का है. जहां बिना तिरंगा लिए लोगों को राशन नहीं दिया जा रहा था. इस मामले में जिला खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता नियंत्रक ने कार्रवाई करते हुए डिपो धारक की सप्लाई तुरंत प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है. उपायुक्त अनीश यादव ने बताया कि डिपो धारक की राशन की मासिक सप्लाई तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दी गई है. यह कार्रवाई पीडीएस कंट्रोल आर्डर-2009 के तहत की गई है.
उपायुक्त ने साफ किया कि सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि पीडीएस सेंटर पर मिलने वाले तिरंगे केवल जनता की सुविधा के लिए हैं ताकि जिन्हें झंडा लेना हैं उन्हें गांव में ही यह मिल जाए और उन्हें कहीं दूर न जाना पडे़. उन्होंने कहा कि झंडा लेने के लिए किसी के साथ जबरदस्ती नहीं की जा सकती. स्वेच्छा से कोई भी यहां से तिरंगा ले सकता है. उन्होंने कहा कि 15 अगस्त के बाद जितने झंडे बचेंगे वो भी वापस हो जाएंगे.
वहीं इस तरह का मामला सामने आने के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सख्त और स्पष्ट आदेश देते हुए कहा कि 'हर घर तिरंगा' के लिए कोई भी स्वेच्छा से झंडा ले सकता है. किसी को भी तिरंगा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. अगर कोई भी व्यक्ति तिरंगा नहीं लेता है तो उसकी किसी सेवा को नहीं रोका जा सकता है.
उत्तर प्रदेश के भी इस तरह का मामला सामने आ चुका है. अलीगढ़ में मुफ्त राशन के साथ तिरंगा झंडा खरीदने के लिए कार्ड धारकों को मजबूर किया जा रहा है. लोगों का आरोप है कि झंडे के बदले 21-21 रुपए वसूले जा रहे हैं.
वहीं उन्नाव में भी ऐसा ही मामला सामने आया है जहां नगर पालिका द्वारा झंडे के बदले पैसा वसूला जा रहा है. आदेश में साफ-साफ 20 रुपए लेने की बात कही गयी है. मामला प्रकाश में तब आया जब नगरपालिका के कर्मी वसूली के लिए घर जाना शुरू किए और नगरपालिका का आदेश दिखाते हुए पैसे लिए.
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