advertisement
अडानी ग्रुप (Adani Group) ने हिमाचल के बरमाना और दाड़लाघाट में अपने दो सीमेंट प्लांट को बंद करने का फैसला लिया है. सीमेंट फैक्ट्रियों में ताले लगने के बाद प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे विकास कार्य भी अधर में लटकने की कगार पर हैं. सीमेंट की आपूर्ति न होने से प्रदेश में लोगों को घर निर्माण और बन रहे प्रोजेक्ट कार्यों के लिए सीमेंट उपलब्ध नहीं हो रहा है और देश पर भी इसका असर दिख सकता है. कॉन्ट्रेक्टर यूनियन के राज्य चेयरमैन दिनेश कुमार शर्मा की मानें तो दाड़लाघाट में सीमेंट फैक्ट्रियों में ताला लटकने के बाद सीमेंट की सप्लाई पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पा रही है.
कंपनी ने प्लांट्स के संचालन को बंद करने के लिए उच्च परिवहन लागत का हवाला देते हुए अडानी ग्रुप ने हिमाचल के बरमाणा और दाड़लाघाट में अपने दो सीमेंट प्लांट को बंद करने का फैसला लिया है. दरअसल प्लांट की तरफ से एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें कहा गया है कि ट्रांसपोर्ट और कच्चे माल की लागत बढ़ने की वजह से और मौजूदा हालत में सीमेंट ढुलाई कम हो जाने की वजह से कंपनी के मार्केट शेयर पर बुरा असर पड़ा है.
इन सबकी वजह से कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है और इन वजहों से प्लांट की सभी गतिविधियों को तुरंत बंद करने के लिए कंपनी मजबूर है. ऐसे में सभी कर्मचारियों को सूचित किया गया है कि वह काम पर ना आएं.
दरअसल ACC और अंबुजा सीमेंट फैक्ट्रियों में क्लींकर और सीमेंट ढुलाई का मौजूदा रेट 10 रुपए 58 पैसे क्विंटल प्रति किलोमीटर है, लेकिन कंपनियां इस रेट पर माल ढुलाई करवाने को तैयार नहीं हैं. कंपनियां इस रेट को कम करना चाहती हैं और 6 रुपए रखने के लिए कह रही हैं. वहीं दूसरी और ट्रांसपोर्टर इसका विरोध कर रहे हैं. ऐसे में प्रशासन बीच का रास्ता अपनाने की तैयारी कर रहा है और शायद सरकारी रेट तय कर सकता है. आपको बता दें कि सरकारी रेट नौ रुपए 6 पैसे प्रति क्विटंल प्रति किलोमीटर है.
ढुलाई के रेट ज्यादा होने हवाला देते हुए कंपनियों ने कहा कि अगर हालाल ऐसे रहे तो सीमेंट का उत्पादन ही बंद करना होगा. कंपनी का कहना है कि सरकार ने 18 अक्तूबर 2005 को 6 रुपए प्रति टन प्रति किलोमीटर माल ढुलाई भाड़ा तय किया था, लिहाजा अब ट्रक ऑपरेटर्स को इसी रेट पर ढुलाई करनी होगी. वहीं ट्रक सोसायटियों का कहना था कि साल 2019 से माल भाड़ा बढ़ना देय है. सरकार ने जब माल भाड़े का रेट तय किया था कि तब कहा था कि जब डीजल के रेट बढ़ेंगे, उसी अनुपात में माल भाड़ा भी बढ़ेगा.
विवाद सुलझाने के लिए प्रशासन सरकारी रेट पर दोनों पक्षों की सहमति करवाने की तैयारी में है. वहीं अभी तक सोलन और बिलासपुर में इस मामले पर प्रशासन की ओर से बुलाई गई 2 बैठकें बेनतीजा रही हैं. वहीं, ट्रक ऑपरेटर्स सोसाइटियों की ओर से दिए गए किसी भी प्रप्रोजल को अडानी ग्रुप मानने को तैयार नहीं है.
सीमेंट फैक्ट्रियां बंद होने के मामले ने अब राजनीतिक मोड़ लेना शुरू कर दिया है. एक तरफ जहां प्रदेश के नए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के शपथ लेते ही सीमेंट के दाम बढ़े, वहीं अब घमासान में कांग्रेस सरकार भी कूद गई है. इंडस्ट्री विभाग ने अंबुजा और ACC सीमेंट दोनों को फैक्ट्री बंद करने के मामले में नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है. नोटिस में कहा गया है कि ‘सरकार को सूचित किए बिना और हजारों लोगों के रोजगार से जुड़े होने पर भी फैक्ट्रियां कैसे अपने संस्थान बंद कर सकती है’.
मामले पर जब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि राज्य में उनकी सरकार सत्ता के लिए नहीं, बल्कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए आई है. उन्होंने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में सीमेंट के रेट कम करने ही होंगे. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होगा कि हिमाचल में बनने वाला सीमेंट हिमाचल में महंगा हो और पंजाब में सस्ता बिके.
वहीं इससे पहले शनिवार को जिला प्रशासन सोलन ने एक बैठक बुलाई थी, जो बेनतीजा रही थी. DC सोलन कृतिका कुलहरी ने कहा कि जल्द ही दोनों पक्षों के बीच फिर से बैठक बुलाई जाएगी, ताकि इस विवाद को जल्द से जल्द सुलझाया जा सके. उधर ट्रक ऑपरेटर्स की तरफ से प्रदेश ट्रक ऑपरेटर्स फेडरेशन के अध्यक्ष नरेश गुप्ता का कहना है कि अंबुजा सीमेंट कंपनी प्रबंधन कोई बात सुनने को तैयार नहीं है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक बरमाणा प्लांट में करीब 980 लोग काम करते हैं, वहीं लगभग तीन हजार 800 ट्रक ऑपरेटर्स के परिवार भी इस प्लांट से रोजी रोटी पर निर्भर हैं. इसके अलावा दाड़लाघाट प्लांट में करीब 800 लोग काम कर रहे थे और लगभग तीन हजार 500 ट्रक ऑपरेटर कंपनी से जुड़े हैं.
हजारों लोग बेरोजगार हो गए, कइयों के मुंह का निवाला छिन गया लेकिन प्लांट कब तक बंद रहेंगे इसको लेकर कंपनी ने कोई जानकारी नहीं दी है. हालांकि कंपनी ने कर्मचारियों को अगले निर्देश तक तत्काल प्रभाव से ड्यूटी पर नहीं आने को कहा है. बताया जा रहा है कि इन सीमेंट प्लांट के बंद होने से करीब 10 हजार लोगों की रोजी रोटी पर खतरा आ गया है.
फैक्ट्री के कर्मचारी और ट्रक ऑपरेटर्स यहां के आसपास के लोगों की रोजी रोटी का जरिया थे. लिहाजा अब उन्हें भी आमदनी के लाले पड़ने लगे हैं. इसी बीच सोमवार को बिलासपुर के बरमाणा में ट्रक ऑपरेटर्स और स्थानीय लोगों ने एक रैली निकाली और ACC फैक्ट्री के गेट पर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया. इस दौरान इन लोगों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द से जल्द फैक्ट्रियों को नहीं खोला गया तो ये आंदोलन और भी उग्र हो जाएगा.
कंपनियां बंद होने के बाद लगातार प्रदर्शन और नारेबाजी हो रही है. ट्रक ऑपरेटर्स के साथ स्थानीय लोग भी इस मैदान में हैं लेकिन इससे हटकर कुछ ऐसे भी ऑपरेटर्स हैं जो इन प्रदर्शनों दूर हैं. इस पर BDTS कार्यालय के सचिव नंदलाल ने दो टूक शब्दों में कहा है कि अगर सभी ऑपरेटर्स आंदोलन में शामिल नहीं हुए तो आंदोलन से कन्नी काटने वाले ऑपरेटर्स के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और उन्हें छह महीने के लिए बर्खास्त भी किया जा सकता है.
विवाद के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने कहा कि सरकार विवाद को शांत करवाने का काम कर रही है. लेकिन, अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो सरकार सीमेंट की वैकल्पिक व्यवस्था पर भी विचार करेगी. नरेश चौहान ने कहा कि, सीमेंट की कमी से कोई भी विकास कार्य प्रभावित नहीं होने दिए जाएंगे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)