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हिमाचल की स्टेयरिंग सुक्खू के हाथ, बैकसीट पर बैठने को क्यों मजबूर प्रतिभा सिंह?

Himachal Politics: क्या अब हॉली लॉज की चमक अपने नेता के साथ ही कहीं गुम हो गई है?

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हिमाचल प्रदेश में सत्ता का रास्ता करीब पांच दशक तक हॉली लॉज की सीढ़ियां से होकर गुजरता था. हिमाचल कांग्रेस से जब भी किसी ने ओक ओवर की तरफ देखा, उसका सबसे पहले हॉली लॉज की सीढ़ियों ने स्वागत किया. लेकिन क्या अब हॉली लॉज की सीढ़ियां ओक ओवर पर जाकर नहीं खत्म होतीं? क्या अब हॉली लॉज की चमक अपने नेता के साथ ही कहीं गुम हो गई है? क्या हॉली लॉज का प्रतिनिधित्व कर रहीं वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को दरकिनार किया जा रहा है?

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हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणाम आने के बाद ऐसा क्या हुआ कि चुनाव तक नंबर गेम में आगे दिख रहीं प्रतिभा सिंह अचानक सुक्खू से पिछड़ गईं? प्रतिभा सिंह के हाथ से सीएम और डिप्टी सीएम का पद तो फिसला ही, क्या अब मंत्रियों के चयन में भी उनकी भूमिका नहीं रहने वाली है? ऐसे में सवाल है कि हिमाचल कांग्रेस प्रतिभा सिंह को किस रूप में देख रहा है? इन्हीं सब सवालों का जवाब यहां हम जानने की कोशिश करेंगे.

हिमाचल में मौजूदा परिस्थिति ये है कि कांग्रेस की सरकार बन गई है. इसके मुखिया सुखविंदर सिंह सुक्खू बनाए गए हैं. उपमुखिया का पद मुकेश अग्निहोत्री को सौंपा गया है. अभी मंत्रीमंडल का गठन होना बाकी है. कहा जा रहा है कि सुक्खू ने मंत्रियों की लिस्ट आलाकमान को सौंप दी है. आलाकमान की हरी झंडी मिलने के बाद मंत्रिमंडल का गठन हो जाएगा. इससे पहले सीएम और डिप्टी सीएम ने अपने विभागों का बंटवारा कर लिया है. सुक्खू सरकार का पहला विधानसभा सत्र 22 से 24 दिसंबर तक चलेगा, जहां चुने गए विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी. विधायकों की शपथ के लिए कांगड़ा के ज्वाली से बने विधायक चंद्र कुमार को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है. 23 दिसंबर को विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन होगा. इसके बाद मंत्रिमंडल का गठन होगा.

सुक्खू से कैसे पिछड़ीं प्रतिभा सिंह?

हिमाचल विधानसभा के चुनाव परिणाम आने के बाद वहां कि सियासत ने तेजी से करवट बदला. चुनाव परिणाम से पहले नंबर गेम में आगे दिख रहीं प्रतिभा सिंह परिणाम के बाद पिछड़ती दिखाई दीं. कांग्रेस ने 40 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई. मुख्यमंत्री के लिए विधायक दल की बैठक बुलाई गई. तो पता चला की सुक्खू समेत 17 विधायक निर्धारित समयानुसार मीटिंग में नहीं आए हैं. कांग्रेस आलाकमान हरकत में आया. अचानक सुक्खू मीटिंग में पहुंचे. जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किया कि अगला मुख्यमंत्री कौन, क्या आप होंगे? तो उन्होंने जवाब दिया कि मुझे खुद पता नहीं की मुख्यमंत्री कौन होगा? आलाकमान जिसको चुनेगा वही होगा. लेकिन, उस वक्त उनके चेहरे पर मुस्कान और प्रतीभा सिंह को बार-बार गले लगाने से ये तो पता चल रहा था कि सुक्खू के लिए कुछ खुशखबरी है. बाद में पता चला कि सुक्खू के पक्ष में दो बातें गईं.

पहली कि प्रतीभा सिंह के समर्थक 18 विधायकों ने भी इस बात पर जोर दिया कि मुख्यमंत्री वही हो जो विधायक चुना गया हो. दूसरी ये कि प्रतिभा सिंह जिस मंडी से सांसद हैं वहां से कांग्रेस को सिर्फ एक सीट ही मिली थी. ऐसे में कांग्रेस आलाकमान उपचुनाव कराने के मूड में नहीं था. कांग्रेस पार्टी किसी भी रिस्क को इस समय लेना नहीं चाहती. इन्हीं दो परिस्थितियों ने प्रतिभा सिंह को बैकफुट पर आने के लिए मजबूर कर दिया.

वहीं, सुक्खू जिस नादौन से विधायक चुनकर आते हैं वो हमीरपुर जिले में पड़ती है. और सुक्खू ने हमीरपुर की 5 सीटों में से कांग्रेस को 4 सीटों पर जीत दर्ज कराई है. इसके अलावा जो एक विधायक निर्दलीय जीता है, उसपर भी सुक्खू कांग्रेस का ही दावा कर रहे हैं.

डिप्टी सीएम क्यों नहीं बने विक्रमादित्य?

अब सवाल है कि आखिर सीएम पद गंवाने के बाद प्रतिभा सिंह गुट को डिप्टी सीएम का पद क्यों नहीं मिला? इसके पीछे की वजह सुखविंदर सिंह सुक्खू बताए जा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक प्रतिभा सिंह ने डिप्टी सीएम के लिए अपने बेटे और शिमला (ग्रामीण) से विधायक विक्रमादित्य का नाम आगे बढ़ाया. इसका सुक्खू ने विरोध किया. सुक्खू ने कहा कि विक्रमादित्य अभी दूसरी बार विधायक बने हैं, कई ऐसे विधायक हैं जो 5-6 बार से विधायक हैं, वो इसका विरोध करेंगे. इसके बाद विक्रमादित्य का नाम दब गया. फिर सुक्खू ने मुकेश अग्निहोत्री पर अपनी सहमति दी, हालांकि मुकेश अग्निहोत्री भी प्रतिभा सिंह के गुट के ही हैं.

बताया जा रहा है कि जब प्रतिभा सिंह को पता चला कि सुक्खू मंत्रियों की लिस्ट बना दिल्ली जाने वाले हैं, तो उससे पहले ही प्रतिभा सिंह अपने बेटे के साथ दिल्ली पहुंच गईं. खबर है कि सुक्खू ने जो मंत्रियों की लिस्ट बनाई है, उस लिस्ट में मंडी से कोई भी मंत्री नहीं है. इसके पीछे की वजह मंडी प्रतिभा सिंह का क्षेत्र है और यहां की 10 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस केवल एक सीट पर ही जीत दर्ज कर सकी है. यहां की धर्मपुर सीट से कांग्रेस के चंद्रशेखर ने जीत दर्ज की है.

सुक्खू ने जिन मंत्रियों की लिस्ट बनाई है उसमें कांगड़ा से चंद्रकुमार, धर्मशाला से सुधीर शर्मा, कुल्लू से सुंदर ठाकुर, किन्नौर से जगत सिंह नेगी, बिलासपुर से राजेश धर्माणी, सिरमौर से हर्षवर्धन सिंह चौहान, ड़सर से इंद्रदत्त लखनपाल, भटियात के विधायक कुलदीप पठानिया, लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर.
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क्या विक्रामादित्य, सुक्खू के कैबिनेट में शामिल होंगे?

इस सवाल का जवाब खुद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दिया है. सुक्खू ने एक सवाल के जवाब में बताया कि विक्रमादित्य उनके कैबिनेट में शामिल होंगे. लेकिन, उन्होंने ये नहीं बताया कि उनकी कैबिनेट में विक्रमादित्य की क्या हैसियत होगी? हालांकि, अब कहा जा रहा है कि हो सकता है कि विक्रमादित्य, सुक्खू की कैबिनेट में शामिल न किए जाएं. इसके पीछे का कारण उनका नाम घरेलू हिंसा केस में आना बताया जा रहा है.

दरअसल, विक्रमादित्य की पत्नी सुदर्शना ने प्रतिभा सिंह, विक्रमादित्य सिंह, उनकी बहन और बहनोई इसके साथ ही एक महिला के खिलाफ घरेलू हिंसा का आरोप लगाया है. जिसपर उदयपुर कोर्ट ने विक्रमादित्य के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. इसके बाद कहा जा रहा है कि विक्रमादित्य को कैबिनेट में शामिल कर आलाकमान और सुक्खू किसी पचड़े में नहीं पड़ना चाहते हैं. ये हॉली लॉज के लिए एक और झटका है.

हिमाचल में किस हैसियत से काम करेंगी प्रतिभा सिंह?

हिमाचल में लगातार बदल रहे समीकरण के बाद सवाल उठ रहा है कि अब प्रतिभा सिंह हिमाचल कांग्रेस में किस हैसियत से काम करेंगी? क्या उन्हें धीरे-धीरे कांग्रेस से दरकिनार कर दिया जाएगा या अभी भी उनकी भूमिका कांग्रेस में रहने वाली है. फिलहाल, प्रतिभा सिंह कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष और मंडी से कांग्रेस सांसद हैं. सुक्खू ने भी कहा है कि मैं पहला मुख्यमंत्री होऊंगा जो अपने प्रदेशाध्यक्ष और वरिष्ठ नेता प्रतिभा सिंह को रिपोर्ट करूंगा. लेकिन, जानकार सुक्खू की इन बातों को ताने के रूप में देख रहे हैं. उनका कहना है कि अगर ऐसा होता तो क्यों सुक्खू ने प्रतिभा सिंह की एक भी बात नहीं मानी. चाहें डिप्टी सीएम बनाने की बात हो या मंत्रियों के चयन की बात हो, किसी में भी सुक्खू ने प्रतिभा सिंह की राय नहीं ली.

इसके पीछे की वजह जानकार वीरभद्र सिंह से जोड़कर देख रहे हैं. कहा जाता है कि सुक्खू और वीरभद्र सिंह से नहीं बनती थी. यही हाल वीरभद्र सिंह और कांग्रेस आलाकमान के बीच था. वीरभद्र सिंह की दिल्ली आलाकमान से कभी नहीं बनी. इसका फायदा सुक्खू को मिला. सुक्खू दिल्ली आलाकमान के नजदीक हो गए. अब, जब वीरभद्र सिंह नहीं हैं, तो इसका फायदा सुक्खू को मिला है और अब प्रतिभा सिंह दरकिनार दिख रही हैं.

तो सवाल ये है कि क्या इसमें कांग्रेस आलाकमान की सहमति है?

इस सवाल के जवाब में हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार शशिकांत शर्मा बताते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि आलाकमान की सहमति नहीं होगी, जरूर होगी. आलाकमान को जितना प्रतिभा सिंह से चाहिए था वो पा लिया है. वीरभद्र सिंह की सहानुभूति का वोट लेना था वो कांग्रेस ने ले लिया है. अब प्रतिभा सिंह कांग्रेस के लिए कोई मायने नहीं रखतीं. वैसे भी हिमाचल में नए युवा ब्रिगेड की सरकार है, जिसपर प्रियंका और राहुल गांधी का हाथ है. आलाकमान कभी भी हॉली लॉज का समर्थक नहीं रहा.

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