advertisement
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बरेली जिले में रविवार, 30 जुलाई को धार्मिक जुलूस के रास्ते को लेकर एक पक्ष के कुछ लोगों द्वारा कथित तौर पर अभद्रता का मामला सामने आया, जिसके बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया.
घटना के तुरंत बाद मीडिया से जानकारी साझा करते हुए बरेली के तत्कालीन एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने कहा," सुबह से समझाया जा रहा था की गैर परंपरागत है जुलूस और इसे ना निकाला जाए क्योंकि आगे दूसरे वर्ग की आबादी पड़ती है. अंत में हमने दूसरे पक्ष से सहमति भी बना ली. फिर दोबारा बात करने आए तो कुछ खुराफाती लोग शामिल हो गए और ऐसी भी आशंका है उसमें दो-चार लोग दारु पिये हुए थे."
बरेली में हुई घटना के चंद घंटों बाद ही प्रदेश में 14 आईपीएस अफसरों के तबादले कर दिये गये, इसमें पहला नाम 2010 बैच के आईपीएस अफसर प्रभाकर चौधरी का भी था.
सरकार की इस कार्यवाही के बाद सोशल मीडिया पर विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कई लोगों का आरोप है कि आईपीएस चौधरी को कावड़ियों पर कार्यवाही कराने की सजा मिली है और उन्हें कम महत्व वाली जगह पोस्टिंग देते हुए PAC भेज दिया गया है.
हालांकि, चौधरी का तबादलों से चोली दामन का साथ है. 2012 में पहली पोस्टिंग से लेकर अब तक चौधरी के 31 तबादले हो चुके हैं. पिछले 11 सालों में चौधरी कई संवेदनशील जिलों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे, लेकिन कहीं भी ज्यादा दिन टिक कर रह नहीं पाए. अपने सख्त पुलिसिंग और साफ छवि के लिए जाने जाने वाले चौधरी को पारंपरिक पुलिसिंग पर ही ज्यादा भरोसा रहा है और उन्होंने राज्य में हो रहे ताबड़तोड़ एनकाउंटर्स से भी दूरी बनाए रखी.
जून 2021 में जब प्रभाकर चौधरी का तबादला मेरठ हुआ, तब वहां पहुंचते ही उन्होंने अपने अधीनस्थ पुलिसकर्मियों की एक मीटिंग बुलाई. इस मीटिंग के अंत में वहां मौजूद सभी थाना प्रभारियों को एक लिफाफे में 500 की दो नोट पकड़ाते हुए चौधरी ने कहा, "थाने में आने वाले शिकायतकर्ताओं के चाय- नाश्ते का इंतजाम इसी पैसे से करें."
यही तरीका था प्रभाकर चौधरी का अपने अधीनस्थों को चेताने का किसी भी तरीके की घूस या गलत तरीके से पैसे कमाने की कोशिश ना करें.
विभिन्न जिलों में अपने कार्यकाल के दौरान चौधरी अपने अधीनस्थों पर ड्यूटी में हुई लापरवाही या किसी भी गलत काम में संलिप्तता की शिकायतों को लेकर काफी सक्रिय रहते हैं. शिकायत मिलने पर जांच होती है और जांच के बाद उन पुलिसकर्मियों को खामियाजा भी भुगतना पड़ता है.
प्रदेश में लगातार हो रहे हैं मुठभेड़ों को लेकर भी प्रभाकर चौधरी का रवैया अलग है. उनके अधीनस्थ बताते हैं कि आईपीएस चौधरी कागजी कार्यवाही और नियम-कानून से चलने पर ज्यादा बल देते हैं. यही कारण है कि मेरठ जैसे जिले में जहां पर उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा एनकाउंटर हुए हैं, वहां पर चौधरी के लगभग एक साल के कार्यकाल के दौरान सिर्फ एक एनकाउंटर हुआ जिसमें एक अभियुक्त को पैर में गोली लगी थी.
कई बार आरोप लगे कि की यूपी, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान जैसे सीमावर्ती जिलों से चोरी की गई गाड़ियों को काट कर इन दुकानों से स्पेयर पार्ट्स बेचा जाता है. प्रभाकर चौधरी के कार्यकाल के दौरान यह सारी दुकानें बंद कर हिदायत दी गई कि पुलिस वेरिफिकेशन के बाद ही व्यापारी अपनी दुकान खोल पाएंगे. सोती गंज मार्केट पर इस पुलिस एक्शन की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंच से सराहना की थी.
3 दिसंबर 2018 को बुलंदशहर के स्याना क्षेत्र में गोकशी की सूचना के बाद भड़की हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह समेत दो लोगों की मौत हो गई थी. हिंसा के दौरान इंस्पेक्टर सुबोध की उग्र भीड़ द्वारा निर्मम हत्या कर दी गई थी. इस घटना के बाद तत्कालीन एसएसपी कृष्ण बहादुर सिंह को हटाते हुए आईपीएस प्रभाकर चौधरी को बुलंदशहर का नया कप्तान बनाया गया था. अपने ढाई महीने के कार्यकाल में चौधरी ने ताबातोड़ कार्यवाही करते हुए मुख्य आरोपी समेत हिंसा में फरार चल रहे कई इनामी अपराधियों की गिरफ्तारी की.
ऐसा ही वाकया उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में 2019 में देखने को मिला. 17 जुलाई 2019 को सोनभद्र जिले का उभ्भा गांव में एक सोसाइटी की जमीन पर कब्जे को लेकर हुए विवाद में दबंगों ने गोली मारकर 11 आदिवासियों की हत्या कर दी थी. दो दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए थे. गोलियों की तड़तड़ाहट लखनऊ समेत पूरे देश में सुनाई दी थी.
घटना के 18 दिन बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्यवाही करते हुए सोनभद्र के तत्कालीन डीएम अंकित अग्रवाल को हटाकर एस रामालिंगम और पुलिस अधीक्षक सलमान ताज पाटिल को हटाकर प्रभाकर चौधरी पर भरोसा दिखाया था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)