advertisement
गृह मंत्रालय (Home Ministry) के आंकड़ों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में पिछले चार सालों में निवेश में भारी गिरावट आई है.
13 दिसंबर को लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने आंकड़ा पेश करते हुए बताया कि 2021-22 में जम्मू-कश्मीर में कुल निवेश 376.76 करोड़ रुपये था, जो 2020-21 में 412.74 करोड़ रुपये से कम था. 2017-18 में 840.55 करोड़ के मुकाबले निवेश में 55 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है.
राय ने यह जानकारी सांसद प्रताप चंद्र सारंगी, रमापति राम त्रिपाठी और बृजभूषण शरण सिंह के एक सवाल के जवाब में दी है.
नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में धारा 370 और 35A को खत्म करने के लिए दिए गए कारणों में से एक यह था कि जमीन खरीदने पर प्रतिबंध राज्य में बड़े पैमाने पर निवेश को रोक रहा था.
जम्मू और कश्मीर में निवेश के मामले में सबसे खराब साल 2019-20 था. उस साल कुल निवेश 296.64 करोड़ रुपये था, जबकि 2018-19 में 590.97 करोड़ का निवेश हुआ था. पिछले वर्ष के 840.55 करोड़ के निवेश की तुलना में 2018-19 का आंकड़ा अपने आप में एक बड़ी गिरावट थी.
गृह मंत्रालय के आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक ने कहा, "आंकड़े 5 अगस्त 2019 के बाद से केंद्र सरकार की विफलता से मेल खाते हैं.”
सादिक के मुताबिक, अगस्त 2019 के फैसले के बाद से प्रदेश में केवल "बेरोजगारी, विकास में गिरावट और प्रशासनिक जड़ता" में वृद्धि हुई है.
क्विंट से बातचीत में JKPDP के प्रवक्ता मोहित भान ने कहा, "370 को जम्मू-कश्मीर के विकास का रोड़ा बताकर पूरे देश से झूठ बोला गया है. निवेश में भारी गिरावट सभी सवालों का जवाब हैं."
गृह मंत्रालय के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में निवेश को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं. जैसे- औद्योगिक विकास के लिए नई केंद्रीय क्षेत्र योजना, जम्मू और कश्मीर औद्योगिक नीति 2021-30, जम्मू और कश्मीर निजी औद्योगिक संपदा विकास नीति 2021-30 और जम्मू-कश्मीर औद्योगिक भूमि आवंटन नीति 2021-30. इसके साथ ही कहा गया है कि पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले बेरोजगारी में कमी आई है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)