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उत्तर प्रदेश के कानपुर के विकास दुबे को आप शायद अभी भूले नहीं होंगे, जिसने अपने आतंक से भय कायम किया था और पुलिसकर्मियों की हत्या भी की थी. कानपुर के ही पीयूष जैन (Piyush Jain) हैं. भले ही दोनों की गतिविधियां अलग हों, दोनों के काम अलग हैं, लेकिन दोनों नामों ने सुर्खियां बटोर रखी हैं.
कानपुर में पीयूष जैन के यहां छापे पड़े लेकिन पीयूष मूल रूप से कन्नौज के रहने वाले हैं. शहर के छिपट्टी मोहल्ला निवासी कंपाउंड कारोबारी पीयूष जैन के दो मकान हैं. पैतृक मकान कन्नौज में, जबकि एक और मकान कानपुर में है. कंपाउंड बनाकर गुटखा और अन्य फैक्ट्रियों में सप्लाई करने वाले व्यापारी के पास अताह संपत्ति का खुलासा जब हुआ, तो जिस ने सुना वो भौचक्का रह गया.
डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (DGGI) टीम के द्वारा जब कानपुर स्थित आवास पर छापेमारी की गई, जहां से 150 करोड़ रुपये से अधिक की रकम बरामद हुई, जिसके बाद टीम अगले दिन उसके बेटे प्रत्यूष को लेकर पैतृक आवास कन्नौज में आ गई.
बता दें कि पीयूष जैन ने नगदी और सोने को घर में बने तहखाने में छुपा कर रखा गया था. वहीं, इस पूरे मामले को लेकर जब क्विंट ने स्थानीय लोगों से राय लेनी चाही, तो आस-पड़ोस के रहने वाले लोगों ने बताया कि पीयूष जैन बड़े ही सादगी से अपना जीवन जीते थे. कंपाउंड का काम करते थे. इत्र से इनका कोई संबंध नहीं था. इनका ये पुश्तैनी काम था.
पड़ोसी राजेंद्र सिंह राजपूत ने कहा, "पीयूष जैन बढ़िया आदमी थे, सभी से अच्छी तरह से बोलते थे. व्यापार के बारे में जानकारी नहीं है ज्यादा. उनका केमिकल कंपाउंड का काम था, इत्र से कोई संबंध नहीं था."
राजेंद्र से जब पूछा गया कि इतना पैसा कैसे कमाया तो कहते हैं-पता होता हम खुद ही न कमा लेते!
मोहल्ला निवासी कुणाल यादव ने कहा कि पीयूष जैन काफी सरल स्वभाव के व्यक्ति थे.
पीयूष जैन के पास से जितनी रकम बरामद हुई है, वो जानकर आस-पड़ोसी भी हैरत में हैं. सभी का कहना है कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि जैन के पास से इतना पैसा निकल सकता है.
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