Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019States Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019अब कर्नाटक BJP में ‘बगावत’, येदियुरप्पा के विरोध की 4 वजह

अब कर्नाटक BJP में ‘बगावत’, येदियुरप्पा के विरोध की 4 वजह

भले ही बीजेपी विपक्ष के आरोपों पर खामोश रहे लेकिन ज्यादा दिन तक चुप्पी परेशानी की सबब बन सकती है.

क्विंट हिंदी
राज्य
Updated:
कर्नाटक  में येदियुरप्पा का कद कम करने में लगा बीजेपी आलाकमान?
i
कर्नाटक में येदियुरप्पा का कद कम करने में लगा बीजेपी आलाकमान?
(फोटो: Altered by The Quint)

advertisement

उत्तराखंड में सियासी तूफान अभी थमा ही था कि एक और राज्य में बीजेपी की टेंशन बढ़ गई है. बीजेपी-शासित राज्य कर्नाटक में मुख्यमंत्री विरोधियों के साथ-साथ अपनों के भी निशाने पर हैं. निशाना ऐसा कि सीएम को ही बदलने की मांग हो रही है. कर्नाटक में सीएम बीएस येदियुरप्पा से बीजेपी नेताओं ने इस्तीफे की मांग की है.

कर्नाटक में सीएम बीएस येदियुरप्पा को कुर्सी पर बैठे 20 महीने भी नहीं हुए हैं और उनके खिलाफ आवाज बुलंद होने लगी है. येदियुरप्पा के खिलाफ नाराजगी नई नहीं है, सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर पहले ही बीजेपी विधायकों में असहमति है. यहां तक कि विधायकों की नाराजगी से परेशान बीएस येदियुरप्पा ने कहा था कि अगर विधायकों को कोई आपत्ति है तो वे दिल्ली जाकर राष्ट्रीय नेताओं से मिल सकते हैं. फिलहाल येदियुरप्पा की परेशानी की अहम वजह भ्रष्टाचार का मामला है. चलिए आपको समझाते हैं येदियुरप्पा के खिलाफ हो विरोध के कारणों को.

भ्रष्टाचार का आरोप

दरअसल, कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के खिलाफ आठ साल पुराने भ्रष्टाचार मामले को दोबारा शुरू करने की इजाजत दी थी. कर्नाटक हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामलों के लिए गठित एक स्पेशल कोर्ट को निर्देश दिया है कि वह जुलाई 2016 में एक सत्र न्यायालय द्वारा मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ हटाए गए पुराने मामले को बहाल करे. अवैध तरीके से भूमि अधिसूचना का ये मामला 2008-2012 के दौरान का है जब बीजेपी पहली बार सत्ता में थी.

इस मामले को लेकर विपक्षी पार्टी कांग्रेस हमलावर है, और बीजेपी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है. राज्य में कांग्रेस ये संदेश देने की कोशिश कर रही है कि येदियुरप्पा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप है फिर भी बीजेपी चुप और पीएम मोदी चुप हैं.

भले ही बीजेपी विपक्ष के आरोपों पर खामोश रहे लेकिन ज्यादा दिन तक चुप्पी परेशानी की सबब बन सकती है.

पार्टी में नाराजगी

बीजेपी में रह-रहकर येदियुरप्पा के खिलाफ विरोध के सुर उठते रहे हैं और येदियुरप्पा को हटाने की मांग भी होती रही है. येदियुरप्पा के कट्टर विरोधी बसंगौड़ा रमनगौड़ा पाटिल ने ये तक कह दिया कि अगर बीजेपी 2023 में सत्ता दोबारा पाना चाहती है तो येदियुरप्पा को हटाना पड़ेगा. पाटिल ने 20 मार्च को कहा, “ये कंफर्म है कि सीएम बदला जाएगा.”

बता दें कि भले ही बीजेपी ने लिंगायत समाज से आने वाले येदियुरप्पा को 2019 में जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन की सरकार गिरने के बाद सीएम बनाया हो, लेकिन उनकी अनदेखी उस वक्त भी सामने आई थी.

कुमारस्वामी सरकार ने 23 जून 2019 को विश्वास मत गंवा दिया था, मगर बीजेपी आलाकमान ने येदियुरप्पा को 26 जून तक शपथ लेने के लिए अनुमति नहीं दी थी.

केंद्रीय हाई कमान से कैबिनेट की अनुमति मिलने के लिए उन्हें 25 और दिन तक इंतजार करना. बताया जाता है कि इस दौरान उन्हें कई बार दिल्ली के चक्कर काटने पड़े. फिर जाकर 26 जुलाई को येदियुरप्पा सीएम बने थे.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

परिवारवाद का आरोप

77 साल के येदियुरप्पा के बारे में माना जाता है कि वो अपने छोटे बेटे बीवाई विजयेंद्र को अपना उत्तराधिकारी मानते हैं. जब येदियुरप्पा 2019 में सीएम बने तब शपथ समारोह में भी उनके बेटे सबसे अहम चेहरों में से थे. इसके अलावा साल 2020 में विजयेंद्र पर रिश्वत लेने का आरोप लगा था. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता ने सिद्धारमैया विजयेंद्र पर 666 करोड़ के बीडीए निर्माण परियोजना घोटाले में 12 करोड़ रिश्वत लेने का आरोप लगाया था. इस मामले में येदियुरप्पा के बेटे, दामाद और पोते का नाम आया था.

आने वाले चुनाव से पहले संदेश

कर्नाटक बीजेपी में अंदरूनी कलह सामने है, येदियुरप्पा पर भ्रष्टाचार से लेकर वंशवाद का भी आरोप है, लेकिन फिर भी बीजेपी येदियुरप्पा को क्यों सीएम पद से नहीं हटा रही है? इस सवाल के पीछे एक वजह ये समझ आती है कि कर्नाटक बीजेपी में येदियुरप्पा एक मात्र ऐसे नेता हैं, जिनको मास लीडर माना जाता है.

येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से आते हैं, जिसके पास राज्य के वोट शेयर का लगभग 14 फीसदी हिस्सा है. शायद बीजेपी को लगता है कि येदियुरप्पा जैसे लोकप्रिय नेता को हटाने का फैसला बैकफायर कर सकता है. 

ऐसे में, आलाकमान इस लिंगायत नेता की राजनीतिक प्रासंगिकता को धीरे-धीरे दूर होने की तरफ देख रहा है.

तब ही शायद बीजेपी कभी भी येदियुरप्पा को लेकर जल्दबाजी नहीं करती है. अब सवाल ये है कि क्या पार्टी इस बात के इंतजार में है कि येदियुरप्पा अपने आरोपों और विरोध को देखते हुए खुद ही इस्तीफा दे दें और पार्टी जनता के बीच में ये संदेश दे कि हम भ्रष्टाचार सह नहीं सकते हैं. लेकिन फिलहाल येदियुरप्पा की मुश्किलें बढ़ती ही दिख रही हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 22 Mar 2021,03:05 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT