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कर्नाटक के बीजेपी नेताओं को धमकी देने के आरोप में मंगलुरु शहर पुलिस ने 19 सितंबर को तीन राइट-विंग कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है. तीनों पर राज्य में सरकारी जमीन पर बने अवैध ढांचे को ध्वस्त या वहां से हटाने के लिए कोर्ट की निगरानी में चलाए जा रहे अभियान को लेकर धमकी देने का आरोप है.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 18 सितंबर को हिंदू महासभा की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, राइट-विंग कार्यकर्ताओं में से एक, धर्मेंद्र सुरथकल ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा और मुजराई मंत्री शशिकला जोले पर मैसुरू के नंजनगुड इलाके में एक मंदिर को ध्वस्त करने को लेकर निशाना साधा था.
मंगलुरु शहर के पुलिस कमिश्नर एन शशि कुमार ने कहा कि पुलिस ने हिंदू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष एल के सुवर्णा की शिकायत के बाद तीन लोगों- सुरथकल, राजेश पवित्रन और प्रेम पोलाली को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने आपराधिक साजिश समेत आईपीसी की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.
हिंदुस्तान टाइम्स ने उनके हवाले से कहा, "फिलहाल, धर्मेंद्र (मुख्य आरोपी) सहित तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है और जांच की जा रही है."
सुवर्णा की शिकायत का हवाला देते हुए कुमार ने कहा, "ग्रुप से निकाले गए लोग आज भी संगठन का हिस्सा होने और अवैध गतिविधियों में शामिल होने का दावा कर रहे हैं."
2010 में, सुप्रीम कोर्ट ने "सार्वजनिक स्थानों पर 29 सितंबर 2009 के बाद बने सभी अवैध ढांचों को हटाने" का आदेश दिया था. कर्नाटक सरकार उसी को लागू कर रही है, जिसकी निगरानी कर्नाटक हाईकोर्ट कर रहा है.
नंजनगुड में मंदिर ध्वस्त होने से राज्य में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी थी, जिसमें कई राजनीतिक और धार्मिक नेताओं ने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी.
पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने हिंदू भावनाओं को आहत करने के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया. सिद्धारमैया ने 11 सितंबर को ट्वीट में कहा, "हिंदू भावनाओं के खिलाफ इस कृत्य के लिए बीजेपी सरकार जिम्मेदार है. तत्काल बहाल करने के लिए व्यवस्था की जानी चाहिए."
अलग-अलग संगठनों से मिली प्रतिक्रियाओं के बाद, सीएम बोम्मई ने पिछले हफ्ते विध्वंस को रोकने का आदेश देते हुए कहा कि उनकी सरकार "कोर्ट के आदेशों की जांच करेगी और जिलों को नए निर्देश जारी करेगी."
जुलाई में, राज्य के मुख्य सचिव ने कहा था कि राज्य में 6,395 अवैध धार्मिक स्ट्रक्चर्स हैं.
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