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डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर (Dr. Bhimrao Ambedkar) के 65वीं पुण्यतिथि दिन के मौके पर मुंबई स्थित दादर चैत्य भूमि पर लाखों अनुयायियों की भीड़ उमड़ी. कोरोना महामारी और ओमिक्रोन वेरिएंट के मद्देनजर महाराष्ट्र सरकार ने डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों से चैत्य भूमि परिसर में भीड़ नहीं करने की अपील करते हुए दिशा-निर्देश जारी किए थे. बावजूद उसके दो साल के खंड के बाद सोमवार 6 दिसंबर को लोग श्रद्धांजलि देने यहां इकट्ठा हुए.
राज्य के गृह विभाग के निर्देशों के अनुसार, इस परिसर में किताबों के स्टाल और भोजन की अनुमति नहीं दी गई. साथ ही जनसभा, धरना और विरोध प्रदर्शन करने की भी अनुमति नहीं दी गई. लेकिन रेलवे कि तरफ से विशेष सेवा का आयोजन करने पर महाराष्ट्र और देश के अलग-अलग जगहों से लोग मुंबई पहुंचते दिखे.
तो वहीं भीड़ को सही दिशा में मार्गदर्शन करने के लिए बौद्ध महासभा की महिला वालंटियर्स सबसे आगे दिखीं. उनमें से एक लक्ष्मी गायकवाड़ ने बताया कि, हम महिलाओं को खड़ा रहने का अधिकार बाबासाहब ने दिया हुआ है, फिर चाहे वो किसी भी धर्म या जाति की हो. अगर एक महिला पढ़ेगी तो वो अपने पूरे परिवार को पढ़ाएगी. इसीलिए हम अपने अधिकारों के प्रति जागरुक करने वाले महामानव को नमन करने हम यहां आते हैं.
दरअसल, बच्चों से लेकर बुजुर्ग सभी बड़ी तादाद में बाबासाहब को श्रद्धांजलि अर्पण करने पहुंचे थे. हालांकि आल इंडिया पैंथर संगठन के कार्यकर्ताओं ने कुछ समय के लिए पाबंदियों के खिलाफ हंगामा किया. पुलिस बैरिकेडिंग तोड़कर कार्यकर्ताओं ने अंदर घुसने की कोशिश की. लेकिन पुलिस और आयोजकों ने वक्त रहते ही उन्हें रोका और हिरासत में लिया.
डॉ. अंबेडकर महापरिनिर्वाण दिन समन्वय समिति के अध्यक्ष नागसेन कांबळे ने बताया कि हर साल 15 लाख से ज्यादा अंबेडकरी अनुयायी चैत्य भूमि पर आते हैं. हालांकि कोरोना के चलते सभी लोगों से हमने लाइव टेलीकास्ट की व्यवस्था से दर्शन लेने ला आह्वाहन किया था. ऐसे में इस साल फिर भी 3 लाख से ज्यादा लोगों ने नियमों का पालन करते हुए प्रत्यक्षरूप से दर्शन लिया.
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