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महाराष्ट्र: मुंबई को छूट लेकिन पुणे में सख्ती- ट्रेडर्स ने दी आंदोलन की चेतावनी

कारोबारियों का आरोप- मुंबई और पुणे में भेदभाव कर रही है महाराष्ट्र सरकार

ऋत्विक भालेकर
राज्य
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<div class="paragraphs"><p>लॉकडाउन की सांकेतिक तस्वीर</p></div>
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लॉकडाउन की सांकेतिक तस्वीर

(फोटो: PTI)

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महाराष्ट्र में जारी नई कोरोना गाइडलाइंस (COVID 19 Guidlines) के तहत 22 जिलों को राहत मिली है. लेकिन 11 जिलों में अभी भी लेवल 3 की पाबंदियां जारी हैं. जहां एक तरफ मुंबई, मुंबई उपनगर और ठाणे में छूट देने का अधिकार स्थानीय प्रशासन को दिया गया है, वहीं पुणे में कोविड रिकवरी रेट बढ़ने के बावजूद राहत नहीं मिली है. जिससे पुणे के ट्रेडर्स और इंडस्ट्री असोसिएशन नाराज हैं.

पुणे को नहीं मिल पाई ज्यादा छूट

मुंबई में BMC के जारी किए नोटिफिकेशन के चलते दुकानों को रात 10 बजे तक खुले रहने की अनुमति दी गई है. पहले दोपहर 4 बजे तक शुरू रखने के आदेश थे. हालांकि पुणे जिले का पॉजिटिविटी रेट 6% के करीब है जोकि राज्य के एवरेज पॉजिटिविटी रेट से ज्यादा है. इसीलिए पुणे को छूट नही मिल पाई है. लेकिन मुंबई का पॉजिटिविटी रेट 1 % से कम होने की वजह से छूट देने की बात मंत्री नवाब मालिक ने कही है.

दरअसल, पिछले डेढ़ साल से लॉकडाउन की मार झेल रहे पुणे के व्यापारी समुदाय की मांग है कि पुणे, पिंपरी चिंचवड़ नगरपालिका और ग्रामीण हिस्सों को अलग-अलग प्रशासनिक रूप में मूल्यांकन किया जाए, ताकि वो कम पॉजिटिविटी रेट का हवाला देते हुए छूट के अपने ग्रेड का फैसला कर सकें. लेकिन महाराष्ट्र सरकार के नए 'ब्रेक द चेन' गाइडलाइन्स के मुताबिक पुणे में अभी भी पुरानी पाबंदियां कायम रखते हुए स्थानीय प्रशासन को फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं दिया है.

सरकार पर लग रहा भेदभाव का आरोप

पुणे के मेयर मुरलीधर मोहोल ने सरकार पर आरोप लगाया है कि ठाकरे सरकार मुंबई और पुणे में भेदभाव कर रही है. मुंबई में शिवसेना की सत्ता है और पुणे महानगर निगम में बीजेपी की. इसीलिए मुंबई को राहत और पुणे में सख्ती कायम रखी जा रही है.

फेडरेशन ऑफ ट्रेड असोसिएशन ऑफ पुणे के अध्यक्ष फतेहचंद रांका का कहना है कि, पुणे के व्यापारियों को दुकानों की समय सीमा में राहत नहीं मिली तो वो सरकार के विरोध में नियम भंग आंदोलन करेंगे. असोसिएशन से जुड़े सभी व्यापारी अपनी दुकान रात 8 बजे तक खुली रखेंगे. इसके लिए सरकार की कारवाई झेलने के लिए वो तैयार हैं.
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मंत्रियों ने कही थी ढील देने की बात 

मंगलवार 3 अगस्त को सभी व्यापारी असोसिएशन के लोगों ने पुणे के लक्ष्मी रोड मारुति चौक पर सरकार के खिलाफ घंटा नाद आंदोलन किया. व्यापारियों ने सरकार के खिलाफ रास्ते पर प्रदर्शन कर अपनी समस्याएं बताने की कोशिश की.

दरअसल, पुणे जिला शहर नगर निगम, पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम और ग्रामीण इलाका ऐसे तीन हिस्सो में बंटा है. बात करें अगर सिर्फ पुणे शहर नगर निगम की तो 15-21 जुलाई में औसत पॉजिटिविटी रेट 3.9% था, जबकि 22-28 जुलाई के दौरान यह घटकर 3.4% हो गया, और 29 जुलाई से 2 अगस्त के लिए और गिरकर 3.23% हो गया. पिछले सप्ताह स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि राज्य की तुलना में औसत पॉजिटिविटी रेट वाले क्षेत्रों में छूट देने का विचार किया जाएगा. साथ ही पुणे के गार्डियन मिनिस्टर अजित पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर पुणे में नियमों में ढील देने के बारे में कहा था. बावजूद उसके राज्य सरकार से राहत ना मिलने पर लोगों में रोष है.

लेकिन राज्य के कोविड-19 टेक्निकल एडवाइजर सुभाष सालुंखे का कहना है कि, "भले ही पुणे शहर में कोविड के आंकड़े घट रहे हैं, लेकिन किसी एक क्षेत्र को अलग यूनिट के तौर पर छूट नही दी जा सकती. पुणे शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी आंकड़े बढ़ रहे हैं. लगभग 60 फीसदी आंकड़े ग्रामीण इलाकों में आज भी पाए जा रहे हैं. पुणे एक बड़ा इंडस्ट्रियल हब है. जहां लोग काम के लिए ग्रामीण इलाकों से शहर में आते जाते रहते हैं. साथ ही IT और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के कारण दूसरे राज्य और शहरों से भी जुड़ा रहता है. ऐसे में फिर एक बार पुणे में स्पाइक आ सकता है."

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