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महाराष्ट्र सरकार ने आधार, पैन कार्ड और पासपोर्ट जैसे दस्तावेजों से जुड़ी सर्विस देने के लिए बनाए गए ई-सेवा केंद्रों पर योगगुरू बाबा रामदेव के पतंजलि के सामान बेचने को मंजूरी दे दी है.
पिछले सप्ताह एक सरकारी आदेश ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है. विपक्षी ने सवाल उठाया है कि सरकारी सेवा केंद्र पर सिर्फ पतंजलि की चीजों की बिक्री की मंजूरी कैसे दी जा सकती है. उनका कहना है कि दूसरी कंपनियों ने क्या बिगाड़ा है. सरकार सिर्फ एक ही कंपनी को तरजीह क्यों दे रही है?
सरकारी आदेश के मुताबिक पतंजलि उत्पाद ई-सेवा केंद्रों पर मिलने वाली सर्विस में एक है. पतंजलि ने हाल में ऐलान किया है कि उसके सामान अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों में भी बिकेंगे.
पहली बार ऐसा होगा कि किसी निजी कंपनी के उत्पादों को राज्य सरकार के माध्यम से बेचा जाएगा.
विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेर लिया है. उनका कहना है कि किसी एक कंपनी का पक्ष सरकार कैसे ले सकती है. महाराष्ट्र विधान सभा में नेता विपक्ष राधा कृष्ण विखे पाटिल ने सरकारी आदेश को तुरंत रद्द करने की मांग की है. एनसीपी ने भी बीजेपी सरकार के इस फैसले को पतंजलि कंपनी को मदद करने वाला बताया है.
मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरूपम ने भी हाल ही में आरोप लगाया था कि राज्य सरकार ने नागपुर में मल्टी-मॉडल इंटरनेशनल हब एयरपोर्ट में बहुत कम कीमत पर बाबा रामदेव की कंपनी को जमीन आवंटित की है.
विरोधियों के सवाल के बाद राज्य का आईटी विभाग बचाव में जुट गया है. आईटी सचिव श्रीनिवासन ने कहा कि केंद्र सरकार की योजनाओं को महाराष्ट्र सरकार आगे बढ़ा रही है. पतंजलि के प्रोडक्ट की मार्केटिंग करना या उसे बढ़ावा देने का सवाल ही नहीं उठता.
उन्होंने कहा कि केवल पतंजलि ही नहीं इस पोर्टल के जरिए टैली, एल एंड टी जैसी निजी कंपनियों की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है. दूसरी कंपनियों को भी इसमें शामिल किया जायेगा. लेकिन उसके लिए उन्हें केंद्र सरकार से बात करनी होगी.
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