Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019States Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019"हिंसा के लिए केंद्र और राज्य सरकार जिम्मेदार", मणिपुर हिंसा पर SC में PIL दायर

"हिंसा के लिए केंद्र और राज्य सरकार जिम्मेदार", मणिपुर हिंसा पर SC में PIL दायर

PIL में आरोप लगाया गया है कि मणिपुर में आदिवासी समुदायों पर हमलों को भारतीय जनता पार्टी का पूरा समर्थन प्राप्त है.

क्विंट हिंदी
राज्य
Published:
<div class="paragraphs"><p>मणिपुर हिंसा पर SC में PIL दायर- 'हिंसा के लिए केंद्र और राज्य सरकार जिम्मेदार'</p></div>
i

मणिपुर हिंसा पर SC में PIL दायर- 'हिंसा के लिए केंद्र और राज्य सरकार जिम्मेदार'

(फोटोः PTI)

advertisement

मणिपुर (Manipur Violence) में हुई झड़पों के बीच, शनिवार, 06 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है. मणिपुर ट्राइबल फोरम द्वारा दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि मणिपुर में आदिवासी समुदायों पर हमलों को भारतीय जनता पार्टी (BJP) का पूरा समर्थन प्राप्त है, जो राज्य के साथ-साथ केंद्र में भी सत्ता में है.

याचिका में कहा गया है, "इन हमलों को राज्य और केंद्र में सत्ता में बैठी पार्टियों (इंडियन पीपुल्स पार्टी, बीजेपी) का पूर्ण समर्थन प्राप्त था, जो प्रमुख समूह का समर्थन करता है और गैर-धर्मनिरपेक्ष एजेंडे के कारण इन हमलों की योजना बनाई है जो भारत के संविधान के प्रावधानों के उलट है.

जनहित याचिका में आगे आरोप लगाया गया कि प्रभावशाली समुदाय द्वारा 30 आदिवासियों की हत्या कर दी गई और 132 घायल हो गए, लेकिन इनमें से किसी के संबंध में अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है.

यह सबमिट किया गया है,

"न तो प्राथमिकी दर्ज की गई थी और न ही कोई जांच हो रही है क्योंकि पुलिस खुद प्रभावशाली समुदाय की तरफ है और हत्याओं के दौरान चुपचाप खड़ी रही है."

याचिकाकर्ता ने, इसलिए, असम के पूर्व पुलिस महानिदेशक हरेकृष्ण डेका की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल गठित करने और मेघालय राज्य मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष, मुख्य न्यायाधीश तिनलियानथांग वैफेई की निगरानी के लिए प्रार्थना की, ताकि आदिवासियों पर हमला करने वाले अभियुक्तों का पता लगाया जा सके और उनपर मुकदमा चलाया जा सके.

मणिपुर में मौजूदा संघर्ष और हिंसा कुछ जनजातियों द्वारा बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध के कारण हुए.

इस जनहित याचिका के अलावा, पहाड़ी क्षेत्र समिति के अध्यक्ष और बीजेपी विधायक डिंगांगलुंग गंगमेई द्वारा शीर्ष अदालत के समक्ष एक अन्य याचिका भी दायर की गई है, जिसमें मेइती समुदाय के लिए अनुसूचित जनजाति के दर्जे पर मणिपुर उच्च न्यायालय के 27 मार्च के आदेश को चुनौती दी गई है.

इस याचिका में कहा गया है कि मेइती को शामिल करने का कोई प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास लंबित नहीं है और ऐसा कोई प्रस्ताव राज्य द्वारा केंद्र सरकार को कभी नहीं भेजा गया है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT