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महाराष्ट्र राज्य में हर दिन कोरोना संक्रमण के रिकॉर्ड नए मामले दर्ज किए जा रहे हैं. राज्य में सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में मुंबई भी शामिल है. राज्य सरकार के लिए ये 'गंभीर चिंता' का विषय बन गया है.
5 प्वाइंट में समझिए मुंबई के ताजा हालात और ये क्या संकेत दे रहे हैं.
मुंबई में भी कोरोना संक्रमण की रफ्तार बढ़ती ही जा रही है. शनिवार तक कोरोना के 9090 नए मामले दर्ज किए गए.
इससे पहले शुक्रवार को मुंबई में 8844 नए कोरोना मामले सामने आए थे, जो महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक एक दिन में दर्ज किए मामलों की सबसे ज्यादा संख्या थी, लेकिन शनिवार तक के आंकड़ो ने ये रिकॉर्ड भी तोड़ दिया.
पूरे महाराष्ट्र में कोरोना की दूसरी लहर फिर से लॉकडाउन की ओर बढ़ रही है और सीएम उद्धव ठाकरे ने अगले 2 दिन में इस पर फैसला लेने की बात कही है. 2 अप्रैल तक के आंकड़ों के मुताबिक महामारी के चलते मुंबई में करीब 657 इमारतें अब तक सील की जा चुकी हैं.
यानी इन इमारतों से कोई बाहर नहीं जा सकता और न ही अंदर जा सकता है. सिर्फ विशेष स्थिति में ही अनुमति मिलेगी. सारे जरूरी सामान की डिलिवरी गेट पर होगी. इमारतों को 14 दिन के लिए सील किया गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- लोगों को कोविड जांच की रिपोर्ट-RT-PCR रिपोर्ट मिलने में करीब 5 दिनों तक का समय लग रहा है.
इस देरी से एक और समस्या पैदा हो रही है. पॉजिटिव मरीज जानकारी के अभाव में खुद को क्वरंटीन नहीं करते जब तक उनकी रिपोर्ट उन तक नहीं पहुंचती. ऐसे में एसिम्प्टोमेटिक मरीजों से स्प्रेड के चांस बढ़ जाते हैं.
फिलहाल, मुंबई में हर दिन 46,000-49,000 सैंपल टेस्ट किया जा रहा है.
मुंबई की मेयर किशोरी पेडनेकर ने 2 अप्रैल को मीडिया से कहा कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हए अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या 16,000 से बढ़ाकर 25,000 कर दी गई है
उन्होंने संकेत दिए हैं कि जल्द ही कुछ प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि पहले की तरह मॉल्स और धार्मिक स्थान बंद किए जा सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि लॉकडाउन लगाना आखिरी विकल्प नहीं है लेकिन स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर पर दबाव पड़ने की वजह से कुछ सख्त कदम उठाने होंगे.
हालांकि इसे लेकर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है.
बीएमसी मुंबई कमिश्नर इकबाल सिंह चहल ने 1 अप्रैल को बयान दिया कि मुंबई में 30 मार्च तक पिछले 49 दिनों में 91,000 कोरोना मामले सामने आए. जिसमें 74,000 मामलों में कोई लक्षण नहीं दिख रहे. जिसका मतलब साफ है कि कोरोना के बढ़ते मामलों में तकरीबन 17 हजार मामले ऐसे है जिन्हें तत्काल ध्यान और देखभाल की जरूरत है. लेकिन ऐसे में बिना लक्षण वाले मरीजों को अनदेखा नहीं किया जा सकता. क्योंकि यही बड़ा आंकड़ा कोरोना संक्रमण तेजी से फैलाने के लिए जिम्मेदार हो सकता है.
इसीलिए बीएमसी ने अब बिना लक्षण वाले केसेस पर ध्यान रखने के लिए नई गाइडलाइन्स जारी की है.
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